लोकसभा चुनाव का प्रचार हुआ अब डिजिटलाईज
राजनीतिक दलो के नेताओ द्वारा कार्यकर्ताओं से संवाद करने हाईटेक यंत्रणा का इस्तेमाल
अमरावती /दि. 20– लोकसभा चुनाव का रणसंग्राम जोरशोर से जारी है. प्रमुख राजनीतिक दलो के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से सीधे कार्यकर्ताओं से संवाद करने के लिए हाईटेक यंत्रणा चलाई जा रही है. झूम मिटिंग के जरिए कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित कर संवाद किया जा रहा है. इस कारण नेताओं को कम समय में और बिना भागदौड के अपेक्षित काम करते आ रहा है.
चुनाव का प्रचार 1995 तक पोस्टर, मकानो की दीवारे पार्टी के उम्मीदवारो के नाम और चिन्ह से रंगाना, घोषणापत्र का वितरण आदि किया जाता था. कार्यकर्ताओं को बैठको का संदेश पहले घर पहुंचकर करना पडता था. कार्यकर्ता पैदल घर-घर जाकर प्रचार रैली में शामिल होते थे. चुनाव प्रचार के पत्रक बाटने के लिए साईकिल से गांव-गांव घुमते थे. लेकिन वर्ष 2000 से इसमें बदलाव होता गया. हाथ में आए मोबाईल के मैसेज जाने लगे. लेकिन इसमें आमूलाग्र बदलाव सोशल मीडिया के कारण हुआ. जिन राजनीतिक नेताओं ने सोशल मीडिया का महत्व नहीं पहचाना उन्हें इसकी किमत चुकानी पडी. लेकिन इससे सबक लेते हुए राजनीतिक नेताओं ने भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल शुरु किया है. वर्तमान में जिले में काफी कम नेता मोबाईल का इस्तेमाल नहीं करते और इस्तेमाल करते भी हो तो वह स्मार्ट फोन नहीं रहता. सोशल मीडिया से उन्होंने दूर रहना पसंद किया है. देश व राज्य के अनेक वरिष्ठ नेता अधिकृत भूमिका ट्विटर (एक्स) के जरिए व्यक्त करते है. उनके समर्थको ने भी उनके नाम से सोशल मीडिया पर पेजेस बनाए है. इस माध्यम से विरोधियों पर टिप्पणी, अपने नेताओं पर की गई टिप्पणीयों का जवाब और नेताओं तथा पार्टी की भूमिका रखने का प्रयास किया जा रहा है.
* फेसबुक पेज से संदेश
सभी दलो के नेताओं ने जिले में तथा तहसील में स्वतंत्र वॉटस्एप ग्रुप तैयार किया है तथा राज्यस्तर पर भी अनेक वॉटस्एम कम्युनिटी ग्रुप कार्यरत है. इसके जरिए कार्यकर्ताओं को पार्टी की राज्य की गतिविधियों तथा नेताओं के कार्यक्रम की जानकारी दी जाती है. साथ ही पार्टी के नियोजित कार्यक्रम का ब्यौरा भी दिया जाता है. इसके अलावा अनेक राजनीतिक नेताओं की तरफ से अधिकृत फेसबुक पेज बनाया गया है. यहां पार्टी के राजनीतिक, सामाजिक विचार रखने के साथ ही विरोधियों के समय-समय पर समाचार भी लिए जाते है.