लोकसभा चुनाव इतिहास-1984
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद कांग्रेस लहर में दूसरी बार निर्वाचित हुई थी उषाताई चौधरी
* समाजवादी कांग्रेस प्रत्याशी शरद तसरे रहे थे दूसरे स्थान पर
* 14 उमीदवार थे चुनावी मैदान में
* विदर्भवीर जांबुवंतराव धोटे ने भी अमरावती से आजमाया था भाग्य, रहे थे चौथे स्थान पर
अमरावती /दि. 15- सन 1984 का लोकसभा चुनाव एक तरह से कांग्रेस की लहर का था. अक्तूबर 84 में इंदिरा गांधी की हत्या होने के दो माह बाद दिसंबर माह में आठवें लोकसभा चुनाव हुए और कांग्रेस की लहर में दूसरी बार उषाताई चौधरी अमरावती संसदीय क्षेत्र से भारी मतो से निर्वाचित हुई थी. इस चुनाव में शरद पवार की समाजवादी कांग्रेस पार्टी की तरफ से शरद तसरे मैदान में उतरे थे और वें दूसरे स्थान पर रहे थे. जबकि विदर्भवीर के नाम से पहचाने जानेवाले जांबुवंतराव धोटे ने भी अमरावती संसदीय क्षेत्र से भाग्य आजमाया था और वें इस चुनाव में चौथे स्थान पर रहे थे.
1984 का लोकसभा चुनाव एक तरह से कांग्रेस की लहर का था. आठवें लोकसभा चुनाव दिसंबर 1984 में हुए थे. इस चुनाव के दो माह पूर्व अक्तूबर माह में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी. पश्चात हुए चुनाव में कांग्रेस की आंधी चली थी. मतदाताओं ने एक तरह से इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि स्वरुप कांग्रेस को वोट देकर जीत के सारे रिकॉर्ड तोड दिए थे. इस चुनाव में कुल 515 सीटों में से 404 सीटों पर कांग्रेस की जीत हुई थी. तब एकतरफा कांग्रेस की जीत पर भाजपा के लालकृष्ण आडवानी ने कहा था कि, यह चुनाव लोकसभा के लिए नहीं बल्कि शोकसभा के लिए हुआ है. कांग्रेस से 1978 में अलग हुए शरद पवार ने समाजवादी कांग्रेस पार्टी बनाई थी और उन्होंने भी अपने उमीदवार लोकसभा चुनाव में उतारे थे. अमरावती संसदीय क्षेत्र से उषाताई चौधरी को कांग्रेस ने दूसरी बार मौका देते हुए चुनाव मैदान में उतारा था. जबकि समाजवादी कांग्रेस की तरफ से शरद पवार के निकटतम माने जानेवाले शरद तसरे मैदान में उतरे थे. इस चुनाव में अमरावती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से कुल 14 उमीदवार मैदान में थे. उनमें विदर्भवीर जांबुवंतराव धोटे और देवराव गोंडाजी वानखेडे के अलावा लोकदल से मुनीर खान उस्मान खान और निर्दलीय के रुप में कृष्णराव लक्ष्मणराव वानखडे, नामदेव गुणाजी चोरपगार, मुरलीधर वासुदेवराव कडू, शंभुदयाल बाबुलाल श्रीवास, हरिहर नारायण दातेराव, मोहम्मद अली शेख मुनशी, पंजाब नागोजी कोचे, खुशाल मुनोत और शंकरलाल समुंद मैदान में थे.
इस चुनाव में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सभी तरफ कांग्रेस की लहर चली थी. इसमें उषाताई चौधरी ने दूसरी बार जीत हासिल की थी. इस चुनाव में कुल 7 लाख 2 हजार 357 मतदाता थे और इनमें से 4 लाख 28 हजार 343 मतदाताओं ने मतदान किया. इनमें उषाताई चौधरी को 2 लाख 17 हजार 910 वोट मिले थे. जबकि समाजवादी कांग्रेस के शरद तसरे 96 हजार 164 वोट लेकर दूसरे स्थान पर और निर्दलीय देवराव वानखेडे 48 हजार 304 वोट लेकर तीसरे स्थान पर जबकि विदर्भवीर जांबुवंतराव धोटे 43 हजार 597 वोट लेकर चौथे स्थान पर रहे थे. इसके अलावा अन्य 10 उमीदवारों की जमानत जब्त हो गई थी. उषाताई चौधरी यह चुनाव 1 लाख 21 हजार 746 मतो के अंतर से जीती थी. इस चुनाव का देश का रिकॉर्ड अब तक नहीं टूट पाया है.
* इसी चुनाव के समय लगाए गए थे टेलिवीजन
अक्तूबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद संपूर्ण देश में शोक की लहर थी. उस समय लोग रेडिओ पर देश के समाचार सुना करते थे. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद जिले में ब्लैक एंड वाईट टेलिवीजन भी आ गए थे. अनेको ने टीवी खरीदकर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की अंतिम यात्रा का सीधा प्रसारण और समाचार सुने थे. पश्चात लोकसभा चुनाव के समय भी लोग टेलिवीजन के सामने से नहीं हटे थे. उस समय काफी कम लोगो के यहां टीवी रहने से देखनेवालों की भीड काफी रहती थी.
* चुनाव में प्रत्याशियों को मिले वोट
उमीदवार पार्टी प्राप्त वोट
उषाताई चौधरी राष्ट्रीय कांग्रेस 217910
शरद तसरे समाजवादी कांग्रेस 96164
देवराव वानखेडे निर्दलीय 48304
जांबुवंतराव धोटे निर्दलीय 43597
कृष्णराव वानखडे निर्दलीय 3188
नामदेव चोरपगार निर्दलीय 1490
मुरलीधर कडू निर्दलीय 1319
शंभुदयाल श्रीवास निर्दलीय 1013
हरिहर दातेराव निर्दलीय 970
मुनीर खान उस्मान खान लोकदल 811
मो. अली शेख मुनशी निर्दलीय 778
पंजाब कोचे निर्दलीय 726
खुशाल मुनोत निर्दलीय 522
शंकरलाल समुंद निर्दलीय 333
कुल 417125