अमरावती प्रतिनिधि/दि.२० – स्थानीय कृषि उत्पन्न बाजार समिती की फल व सब्जी मंडी में शिकायतकर्ता किसान को कृषि उपज बिक्री के संदर्भ में दी गई पट्टी (पावती) फर्जी रहने की बात बाजार समिती द्वारा कही गयी है. जिससे यह स्पष्ट हो गया है कि, सब्जी व फल मंडी में अडत व्यवसायियों द्वारा नकली पट्टी व बिल के जरिये दलाली का गोरखधंधा किया जाता है. किंतु इससे भी बडा सवाल यह है कि, विगत कई वर्षों से चले आ रहे इस अवैध धंधे की ओर निरीक्षकोें का ध्यान कैसे नहीं गया, साथ ही यह सवाल भी पूछा जा रहा है कि, कहीं इस मामले में निरीक्षक एवं मंडी इंचार्ज के बीच कोई मिलीभगत तो नहीं.
बता दें कि, 5 जुलाई 2016 को राज्य सरकार के पणन व वस्त्रोद्योग विभाग ने किसानों से ली जानेवाली अडत (दलाली) को बंद करवाते हुए इसे खरीददार से लेने का आदेश जारी किया था तथा यह आदेश 18 जुलाई 2016 से अमरावती फसल मंडी में लागू किया गया. जिसके संदर्भ में अनाज, फल व सब्जी मंडी के निरीक्षकों सहित अडत व्यवसायियों को आवश्यक सूचना देने के साथ ही दिशानिर्देश भी दिये गये. बता दें कि, सभी अडत व्यवसायियों को अपने पास रहनेवाले पट्टीबुक व बिल बुक को बाजार समिती से प्रमाणित करना अनिवार्य है. किंतु अब पता चल रहा है कि, कई अडत व्यवसायियों ने फर्जी पट्टीबुक व बिलबुक छाप रखे है. विगत दिनों एक किसान द्वारा की गई शिकायत के बाद शुरू की गई जांच-पडताल में पता चला कि, उस शिकायतकर्ता किसान को दी गई पट्टी प्रमाणित पुस्तिका की नहीं, बल्कि बनावट पुस्तिका की है. इसके साथ ही मंडी में अवैध रूप से चलनेवाले दलाली व्यवसाय की जानकारी उजागर हुई. जिसमें पता चला कि, फर्जी पट्टीबुक छापकर एडवांस के नाम पर किसानोें से आठ प्रतिशत अडत वसूल करने का काम विगत पांच वर्षों से खुलेआम चल रहा है. उल्लेखनीय है कि, सब्जि व फल मंडी में रोजाना करीब 60 लाख रूपये की खरीदी-बिक्री का व्यवसाय होता है. जिसके जरिये बाजार समिती को रोजाना 60 हजार रूपये के सेस की आवक होती है. यह पूरा व्यवहार बेहद साफ-सूथरा होता है, लेकिन इसके पीछे कई काले धंधे भी खुलेआम चल रहे है. जिसके तहत यहांं के अडत व्यवसायी खरीददारों से तो 6 से 8 फीसद अडत वसूल कर रहे है, साथ ही मनाही रहने के बावजूद किसानोें से भी लगभग उतना ही अडत वसूल किया जा रहा है. यानी अडत व्यवसायियों द्वारा दोनों ओर से करीब 16 फीसदी दलाली ली जा रही है और इस जरिये रोजाना करीब 10 लाख रूपयों की दलाली वसूल करने का गोरखधंधा किया जा रहा है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, विगत पांच वर्षों से चल रहे इस गोरखधंधे की ओर अब तक मंडी निरीक्षकोें का ध्यान कैसे नहीं गया और अडत व्यवसायियोें के पास रहनेवाले बिल बुक व पट्टीबुक की जांच करनी की जिम्मेदारी रहनेवाले निरीक्षकों को इस दौरान कभी फर्जी बिलबुक व पट्टीबुक कैसे प्राप्त नहीं हुए. इसी वजह से अब यह आरोप लगाया जा रहा है कि, विगत पांच वर्षों से चली आ रही इस लूट के के पीछे कहीं मंडी निरीक्षकोें व अडत व्यवसायियों की मिलीभगत तो मुख्य वजह नहीं.