-
30 से 40 फीसद हुई बिल में वृध्दि
अमरावती/प्रतिनिधि दि.३ – महावितरण द्वारा विद्युत ग्राहकोें को प्रति माह दिये जानेवाले विद्युत बिल में प्रत्यक्ष प्रयोग में लाये गये विद्युत हेतु शुल्क लेने के साथ-साथ अन्य कई तरह के आकार, शुल्क व ब्याज लिये जाते है. जिसकी वजह से ग्राहकों के बिल की राशि अनाप-शनाप बढ जाती है और उन्हें नाहक ही आर्थिक बोझ सहन करना पडता है. वहीं दूसरी ओर महावितरण द्वारा विद्युत बिल नहीं भरने पर बिजली कनेक्शन काटने की धमकी दी जाती है.
बता दें कि, विद्युत बिल में प्रत्यक्ष विद्युत शुल्क के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र के लिए 100 रूपये तथा शहरी क्षेत्र के लिए 110 रूपये का स्थिर आकार वसूला जाता है. जबकि मार्च 2017 में स्थिर आकार 55 रूपये था, जो अक्तूबर 2018 में बढकर 80 रूपये किया गया था. वहीं अब मार्च-अप्रैल 2021 से ग्रामीण क्षेत्र हेतु 100 रूपये व शहरी क्षेत्र हेतु 110 रूपये का स्थिर आकार वसूला जाता है. इसमें भी प्रति यूनिट के लिए 1.18 रूपये का वहन प्रभार लगाया जाता है. जिसकी वजह से बिल की रकम में 35 से 40 प्रतिशत की वृध्दि हो जाती है. साथ ही प्रति माह वहन आकार बढाते हुए महावितरण द्वारा विद्युत ग्राहकों की एक तरह से आर्थिक लूट की जा रही है. धीरे-धीरे हो रही इस वृध्दि के चलते ग्राहकों पर नाहक ही आर्थिक बोझ पड रहा है. किंतु विद्युत ग्राहकों के पास चूपचाप सिर झूकाकर विद्युत बिल अदा करने के अलावा अन्य कोई रास्ता नहीं है. क्योेंकि यदि विद्युत बिल अदा नहीं किये गये तो महावितरण द्वारा विद्युत कनेक्शन काट दिये जाते है.
-
कोविड काल में राहत की बजाय अतिरिक्त बोझ
विगत दो वर्षों से कोविड एवं लॉकडाउन के चलते कई लोगों के व्यापार-व्यवसाय ठप हो गये और कई लोगों के रोजगार के साधन खत्म हो गये. ऐसे में उन्हें अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. ऐसे में सरकार द्वारा आम विद्युत उपभोक्ताओं को राहत दिये जाने की जरूरत थी. लेकिन राहत देना तो दूर, विद्युत बिलों में कई शुल्क व अधिभार जोडकर ग्राहकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला जा रहा है.
-
ऐसे बढा विद्युत बिल में स्थिर आकार
मार्च 2017 – 55 रू.
अप्रैल 2017 – 59 रू.
मई 2017 – 60 रू.
अप्रैल 2018 – 62 रू.
मई 2018 – 65 रू.
अक्तूबर 2018 – 80 रू.
मार्च 2021 – 100 रू.