करते हैं प्रभु तेरा हर पल शुक्रिया जीवन जो दिया है उसका भी शुक्रिया
अमरावती/दि.19– सिंधु नगर स्थित पूज्य शिवधारा आश्रम में चल रहा शिवधारा झूलेलाल चालिहा के आज 34 वें दिन के अपने कथा प्रवचन में संत श्री डॉ.संतोष देव जी महाराज ने फरमाया कि हम सब का जीवन केवल हमारे चलने से नहीं चल रहा, पर सूक्ष्मता से अध्ययन करने से समझ में आता है कि प्रभु की सत्ता व शक्ति से चल रहा है और प्रभु की कृपाऊं पर जो लोग ध्यान रखते हैं, उनके जीवन में कभी निराशा नहीं आती, दुखी नहीं होते एवं हर पल शुक्रिया करते रहते हैं. घर परिवार में भी हम लोग देखते हैं कि जिनके जुबान पर शुक्रिया होता है, उसको और अधिक हम देने का सोचते हैं, वहीं कोई ऐसा भी होता है, जिनको जितना कुछ भी दिया जाए फिर भी मानता नहीं, तो उसको देने के लिए हम सोचते हैं. वैसे ही जिनके जीवन में शुकराना है, परमात्मा उनको सदैव देता रहता है. शुक्रिया अदा करने वाले के मन में कहीं तो भी यह रहता है कि मेरा कोई है. जिससे मैं मांगता हूं और वह देने में सक्षम समर्थ भी है, देकर थकता भी नहीं. किसी को बताता भी नहीं और हर बार मांगने पर देता भी है। तो मन की आशा बनी हुई रहती है। कितना भी दुख कष्ट आए वह घबराते नहीं और इसी बात को ध्यान में रखकर हम सबकुछ प्रभु को समर्पण भाव करने की भावना से शुभ कर्म करते रहते हैं, जिससे भी प्रभु राजी होते हैं, मन की शांति बढ़ती है,संसार में यश होता है और समाज में एक अलग स्थान भी बनता है. ‘भगवान श्री कृष्ण ने कहा था, द्रोपदी में इसका फल तुझे दूंगा‘ और हम सब जानते हैं कि पांडवों ने जब जुआ में सब कुछ हारने के बाद द्रौपदी को भी हारा था,तब द्रोपदी की इज्जत पर आंच आई थी, पुकारने पर भगवान श्री कृष्ण ने कई हजारों साड़ियां देकर उनकी लाज बचाई थी। इस तिथि पर द्रोपति जी ने भगवान श्री कृष्ण को एक साल के बाद धागा बांधना था, तब से ’रक्षाबंधन की परंपरा सनातन धर्म में आरंभ हुई है’. भगवान श्री कृष्ण ने उसी साड़ी के टुकड़े को उंगली पर बाधने पर उनको अपनी बहन कहा था. इसलिए रक्षाबंधन के दिन हर बहन अपने भाई को राखी बांधती है. फिर अगर हम लोग ध्यान से सोचेंगे तो भाई कितनी, कब-कब और कहां तक रक्षा कर पाएगा. इसलिए हम लोग एक राखी अपने इष्ट देव और गुरुदेव को भी बांधते हैं, क्योंकि सच्चे रक्षक देस प्रदेस, हर जगह में वही होते हैं. 1008 सतगुरु स्वामी शिवभजन जी महाराज कहा करते थे, रक्षाबंधन एक औपचारिकता का नाम नहीं है, पर साथ-साथ में रिश्तों को मजबूत बनाने का त्यौहार है और इसी भावना से ही यह त्यौहार मनाने से सही मान्य में लाभ होगा. इस पावन अवसर पर श्री सुभाष तलड़ा का केक काटकर जन्मदिन भी मनाया गया. इस अवसर पर विशेष तौर पर अनिल तलरेजा, सुरेंद्र खत्री, अर्जुन चांदवानी, कैलाश पुंशी, डॉ रोशन चांदवानी, डॉ. श्याम राठी, डॉ. हितेश गुल्हाने, डॉ.राम गट्टानी, डॉ.प्रियंका भंसाली, शमनलाल खत्री, राजू भाई लुल्ला, अमरलाल चांदवानी, सत्यवान दास चांदवानी, सत्यवान दास हरवानी, संतोष नाथानी, जगदीश गुंडयाल, अनूप नवलानी,अमरलाल बख्तियार, सधु पुंशी, राजू रतनानी, महेश कुकरेजा, बंटी जांभानी, जेठानंद मेघानी, अशोक बजाज, राम अहूजा, घनश्याम बजाज, अशोक बत्रा कई लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे.