संस्कृति की रक्षा और समाज की विशेष व्यवस्था खडी करने भगवान परशुराम ने कार्य किये
विधायक सुलभा खोडके का प्रतिपादन

* भगवान परशुराम जयंती की शोभायात्रा का अंबानगरी में जगह-जगह स्वागत
अमरावती/दि.30- भगवान परशुराम की जयंती यानि वैशाख शुद्ध तृतीया. यह तिथि अक्षय तृतीया के रुप में पहचानी जाती है. इस वर्ष 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया रही तो भी भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में होने की बात पुराण में कही जाती है. इस कारण 29 अप्रैल को भगवान परशुराम जन्मोत्सव समारोह मनाया गया. अंबानगरी में अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ व भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव शोभायात्रा समिति की तरफ से भव्य शोभायात्रा निकाली गई. इस शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया गया. विधायक सुलभा खोडके भी इसमें शामिल हुई. इस अवसर पर उन्होंने कहा कि, यह भगवान परशुराम का पावन पर्व है और संस्कृति की रक्षा और समाज की विशेष व्यवस्था खडी करने के लिए उन्होंने कार्य किये. उन्हें ऋषि, योद्धा और भक्त के रुप में पहचाना जाता है.
मंगलवार 29 अप्रैल को अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ व भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव शोभायात्रा समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित भव्य शोभायात्रा के अवसर पर वह बोल रही थी. श्री परशुराम साप्ताहिक महोत्सव का यह 26 वां वर्ष रहने से हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी भव्य शोभायात्रा निकाली गई. अंबापेठ परिसर स्थित श्रीराम मंदिर (आलसी) परिसर के निकट से शोभायात्रा का समारंभ हुआ. उस समय विधायक सुलभा खोडके ने भगवान परशुराम की प्रतिमा का वंदन व पूजन कर मार्ल्यापण किया. इस अवसर पर सुलभा खोडके ने विश्व मांगल्य की प्रार्थना की. साथ ही इस भव्य शोभायात्रा में शामिल होकर उन्होंने सभी उपस्थितों को भगवान परशुराम जन्मोत्सव के पावन पर्व पर शुभेच्छा दी. इस अवसर पर आमंत्रित मान्यवरों के साथ अखिल भारतीय ब्राह्मण महासंघ व भगवान श्री परशुराम जन्मोत्सव शोभायात्रा समिति के सभी सदस्य व पदाधिकारी बडी संख्या में उपस्थित थे.