चेक अनादर के मामले में भगवान पुंड को एक वर्ष की सजा
10.82 लाख का जुर्माना, प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी ने सुनाया फैसला
अमरावती/ दि. 10- गंगा कॉट फायबर्स के भागीदार आनंद पनपालिया व अन्य लोगों व्दारा दायर चेक अनादरण के मामले में स्थानीय 6 वें प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी प्रितेश भंडारी की अदालत ने भगवान ऑईल मिल, कामरगांव के मालक भगवान पुंड को 1 साल की सजा और साथ में .9,41,182 रुपये के चेक के बदले में 18,82,364 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है. उपरोक्त रक्कम आरोपी को 1 माह के अंदर गंगा फायबर्स के मालिक को देना है. अगर वक्त रहते नहीं दी गई तो अतिरिक्त 3 माह कैद की सजा आरोपी को भूगतनी होगी.
घटना इस प्रकार है कि आरोपीने तक्रारकर्ता गंगा कॉट फायवर्स, नवसारी, अमरावती से 30 दिसंबर 2016 से 22 जुलाई 2017 के बिच 25,72,243 रुपये की सरकी खरेदी किया और उपरोक्त कालावधि में शिकातयकर्ता को कुल 20,31,061 रुपयों का भुगतान किया. पर बचे हुए रुपये देने में आनाकानी की. साथ में आरोपीने शिकायतकर्ता से किसी कारणवश 2 लाख रुपये और लिये. उपरोक्त रक्कम के बदले में आरोपीने शिकायतकर्ता को कुल रकम 9,41,182 रुपए की मांग की, परंतु आरोपीने नोटीस लेने से इंकार किया, इस वजह से शिकायतकर्ता ने अदालत में उपरोक्त मामला दायर किया.
उपरोक्त मुकदमे में शिकायतकर्ता ने अपनी ओर से खुद को, साथ में दलाल नंदकिशोर भट्टड एवं जिस ट्रांसपोर्ट कंपनी से माल आरोपी के फॅक्टरी में भेजा उसके मालिक का सबुत दायर किया. आरोपीने उपरोक्त व्यवहार को पूरी तरह से नकार दिया और न्यायालय को यह बताने की कोशिश की. की तुमने जो 2 लाख रुपये शिकायतकर्ता से लिए थे इसके बदले में कोरा चेक दिया था, जिसका दुरुपयोग शिकायतकर्ता इन्होंने किया और झूठी केस दायर की. अदालत ने दोनों पक्षों का दलिले सुनने के बाद और शिकायतकर्ता के अधिवक्ता द्वारा दायर सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का हवाला देते हुए आरोपी को उपरोक्त सजा सुनाई.
विशेष यह की, न्यायाधिश भंडारी ने फैसला सुनाते हुए पत्र में कुछ अहम टिप्पणियां की है. अदालतने अपने आदेश में लिखा है कि, आजकल हर कोई किसी को व्यवहार के बदले चेक दे रहा है और सोच रहा है कि, कोई इसका कुछ भी बिगाड़ नहीं सकता और वो मामले से बरी हो जायेंगे. साथ ही लोगों में चेक अनादरण के मामले में कोई भय नहीं रहा है. और इसका मुख्य कारण है धिमी गति से केस चलना और न्यायालयद्वारा सजा देते वक्त नरमाई बरतना. अदालत नेे अपने फैसले में यह भी लिखा है कि, आरोपी द्वारा बार-बार गैरहाजीर रहना, वारंट की तामील न होना और आखरी वक्त तक आरोपी का हाजीर ना होना यह भी एक कारण है. इस वजह से शिकायतकर्ता को भारी मानसिक परेशानी होती है. इस वजह से आरोपी को ज्यादा से ज्यादा सजा और चेक की रकम के दुगुना जुर्माना लगाना जरुरी है. इस मामले में शिकायतकर्ता की ओर से एड. नंदकिशोर कलंत्री ने दलीले पेश की.