अमरावतीविदर्भ

नकली बीजों के १ करोड की नुकसान भरपाई

अमरावती संभाग में २ हजार किसानों को मिली रकम

  • १५ हजार किसानों को अभी भी मुआवजों का इंतजार

प्रतिनिधि/दि.१२

अमरावती – खेतों में सोयाबीन के बीज अंकुरित नहीं होने वाले ३२ हजार शिकायतें प्राप्त हुई है. इनमें ज्यादातर कंपनियों का ही दोष पाया गया है. किसानों के आक्रोश को देखते हुए बीज बदलकर देने के साथ ही नकद रकम भी लौटाई गई है. संभाग में अब तक २ हजार १२१ किसानों को १ करोड १० लाख रुपए की रकम लौटायी गई है. १६ हजार ३८२ शिकायतों मे बीज उत्पादक दोषी पाए गए है. वहीं १५ हजार ३८२ शिकायतों का निपटारा अभी भी बचा हुआ है. ऐसे में मौसम की समाप्ती के बाद रकम मिलेगी क्या यह सवाल किसान उठा रहे है. बता दें कि, अमरावती संभाग के बुलढाणा, यतवमाल, अकोला, वशिम व अमरावती जिले से नकली बीज से संबंधित कृषि विभाग के पास लगभग ३२ हजार १२६ शिकायतें प्राप्त हुई है. उनकी जांच की जा रही है अब तक १६ हजार ३८२ शिकायतों में सत्यता पायी गई है. नुकसान झेल चुके किसानों को भरपाई देने की प्रक्रिया भी शुरु की गई है. अब तक ५६४ किसानों को १८७८ सोयाबीन के बैग बदलकर दी गई है. जिसके चलते किसानो ने पुन: खेतों में बुआई कार्य किया है. वहीं डिमांड करने पर १५५७ किसानों को नगद तौर पर रकम दी गई है. संभाग में १५५७ किसानों को १ करोड १० लाख ७ हजार ५२७ रुपए वितरीत किए गए है. सबसे ज्यादा अमरावती जिले के ५१८ किसानों को ४४ लाख ५६ हजार रुपए मिले है. इसके ठीक पीछे यवतमाल जिले के ५०५ किसानों को ३५ लाख ६२ हजार, बुलढाणा जिले के ४८८ किसानों को २४ लाख ३७ हजार, अकोला जिले के ४४ किसानों को ५ लाख २४ हजार व सबसे कम वाशिम जिले के दो किसानों को २६ हजार ७५० रुपए नगद तौर पर लौटा दिए गए है. अमरावती संभाग में खरीफ के दौरान सोयाबीन फसल के बीज में दोष पाए गए थे. किसानों की शिकायतें मिलने पर गुणनियंत्रक विभाग की ओर से जांच की गई. जिसके बाद स्थिति सामने आयी है.

  • तीन कंपनियों के खिलाफ अपराध दर्ज

नकली बीज आपूर्ति करने वाले तीन कंपनियों द्वारा नुकसान मुआवजा देने से इंकार किए जाने के बाद उनके खिलाफ फौजदारी कार्रवाई की गई है.इससे जुडे लगभग ७३ मामले न्यायालय में पहुंचे है.

  • बीज उत्पादक दोषी

३२ हजार १२६ में से ३१ हजार ७४४ शिकायतों की जांच की जा रही है. इनमें से १६ हजार ३८२ शिकायतों में बीज उत्पादक दोषी पाए गए है. १५ हजार ३८२ शिकायतों का निपटारा होना अभी भी बाकी है. यह जानकारी गुण नियंत्रक विभाग के तकनीकी अधिकारी नरेंद्र बारापात्रे ने दी है.

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