अमरावती

वापसी की बारिश से सोयाबीन का नुकसान

खेतों में पानी भरने से कटाई हेतु तैयार फसल बर्बाद

किसानों के मुंह तक आया निवाला छिना, किसान चिंता में
अमरावती-/दि.12  ऐन सोयाबीन की कटाई के समय एकबार फिर सततधार बारिश का दौर शुरू हो गया है. जिसके चलते अब खेती-किसानी के लिए दुबारा संकट पैदा हो गया है, क्योेंकि पूरी तरह से पककर तैयार हो चुकी सोयाबीन बारिश में भीगकर खराब हो रही है और सोयाबीन की प्रतवारी खराब होने से उसे अपेक्षित दाम नहीं मिलनेवाले है. ऐसे में किसानों के सामने एक बार फिर चिंता और संकट के बादल मंडरा रहे है.
बता दें कि इस वर्ष बारिश के सीझन में करीब 84 राजस्व मंडलों में अतिवृष्टि हुई है और सभी तहसीलों में औसत से अधिक बारिश हुई है. विगत 5 जुलाई से शुरू हुई सततधार बारिश के दौर की वजह से पहले ही 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन का नुकसान हो चुका है. अभी जिले के किसान इससे जैसे-तैसे संभले ही थे कि, बीते पांच दिनों से एक बार फिर बारिश का दौर शुरू हो गया है. ऐसे में ऐन फसलों की कटाई के समय सोयाबीन की फसल और उपज बर्बाद हो रही है. उल्लेखनीय है कि, इस समय कई किसानों ने अपने-अपने खेतों में सोयाबीन की कटाई शुरू कर दी है और पूरी तरह से पककर तैयार सोयाबीन के ढेर अभी खेतों में ही लगे हुए है, लेकिन इसी बीच शुरू हुई बारिश की वजह से खेतों में रखे सोयाबीन के ढेर पूरी तरह से भिग गये है. जिसके चलते सोयाबीन सडना शुरू हो गई है और उनमें नमी बढ जाने की वजह से अंकुरण होने लगा है. इसके अलावा विलंब से बुआई किये गये सोयाबीन की फसल अपेक्षित रूप से तैयार नहीं हुई है. ऐसे में दोनों ही तरह के सोयाबीन की प्रतवारी कम हुई है. इसके चलते व्यापारियों द्वारा ऐसे सोयाबीन की औने-पौने दाम पर खरीदी की जा रही है. करीब एक माह पहले सोयाबीन के दाम पांच से छह हजार रूपये के आसपास थे, जो अब घटकर 4 हजार रूपये के आसपास पहुंच गये है. ऐसे में ऐन दीपावली पर्व से पहले मुंह तक आया निवाला छिन जाने की वजह से किसानों में चिंता देखी जा रही है. सीझन के शुरूआत में ही कृषि उपज के दाम गिर जाने की वजह से किसानों द्वारा नाफेड का खरीदी केंद्र शुरू किये जाने की मांग की जा रही है.

तुअर पर मर रोग का साया
लगातार हो रही बारिश और अतिवृष्टि की वजह से खेतों में पानी भर जाने के चलते तुअर की फसल पर मर नामक बुरशीजन्य रोग का प्रादुर्भाव हो रहा है और तुअर की फसल जगह पर ही सूखने लगी है. यह संकट जिले में करीब 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में देखा जा रहा है. इस बार तुअर को शानदार दाम मिलने के बावजूद भी यह संकट देखा जा रहा है, क्योंकि बारिश और अतिवृष्टि की वजह से फसल का काफी नुकसान हो रहा है.

कपास पर इल्लियों का खतरा
लगातार हो रही बारिश की वजह से कपास की फसल पर भी बुरशीजन्य रोग का प्रादुर्भाव हो रहा है. जिससे कपास के बोेंड सड रहे है. इसके अलावा खेतों में पानी जमा होने से ‘पैराविल्ड’ के चलते कपास जगह पर ही सूखने लगी है. साथ ही कुछ स्थानों पर कपास की फसल पर इल्लियों का हमला भी होता दिखाई दे रहा है.

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