अमरावती

उतना ही लो थाली में, फेंकना न पडे नाली में

विवाह समारोह में बडे पैमाने पर होता है भोजन बर्बाद

होटलों व मंगल कार्यालयों में व्यापक जनजागृति होना जरूरी
अमरावती-/दि.25  भूखमरी से संबंधीत इंडेक्स में देश का स्थान और स्थिति चिंताजनक है. ऐसे समय मंगल कार्यालयों व होटलों में होनेवाली भोजन की बर्बादी चिंता पैदा करती है. जिसके चलते व्यर्थ फेंके जानेवाले भोजन को बचाने के लिए बडे पैमाने पर जनजागृति किये जाने की जरूरत है. यदि यह भोजन व्यर्थ न फेंका जाये, तो इससे कई भूखे लोगों का पेट भरा जा सकता है.
बता दें कि, शहर में करीब 300 के आसपास होटल व 200 के आसपास मंगल कार्यालय है. इन होटलों में बाकी बचे रहनेवाले भोजन को लेने के लिए कुछ संगठनों के पदाधिकारी आया करते थे, जो होटलों से खानेयोग्य बचा हुआ भोजन प्राप्त कर उसे जरूरतमंदों के बीच बांटा करते थे. वहीं अब कई होटल व्यवसायियों ने अपने होटल में शेष बचे रह जानेवाले भोजन को खुद ही गरीब बस्तियों में बांटना शुरू कर दिया है. वही कई मंगल कार्यालयों द्वारा अपने यहां पर झूठे में डाले गये भोजन व शेष बचे रह गये खाद्य पदार्थों को किसी खेत या मैदान में गढ्ढा कर उसमें डाल दिया जाता है, ताकि उस बाकी बचे व बासी भोजन को खाने की वजह से किसी को कोई तकलीफ न हो.

अनाज की बर्बादी न करे
शहर में होटल सहित विवाह समारोह व अन्य कार्यक्रमों में बडे पैमाने पर अन्न शेष बच जाता है. विवाह समारोह जैसे आयोजन में तो कई लोग अपनी प्लेट में अपनी भूख और जरूरत से कहीं अधिक भोजन परोस लेते है और बाद में इसे फेंक देते है. जिसकी वजह से अनाज की बडे पैमाने पर बर्बादी होती है. इस आदत को बदले जाने की जरूरत है, साथ ही जितनी भूख है, उतना ही भोजन थाली में लिये जाने की आदत व प्रथा पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

होटलों में नहीं होती भोजन की बर्बादी
होटलों में अमूमन अनाज व भोजन की बर्बादी नहीं होती, क्योंकि यहां पर ग्राहक द्वारा दिये गये ऑर्डर के हिसाब से ही भोजन तैयार किया जाता है और परोसा जाता है. परंतु इसके बावजूद यदि हमारे पास कुछ भोजन शेष बच जाता है, तो हम उसकी पैकिंग करते हुए उसे गरीबों में बांट देते है.
– रविंद्रसिंह सलुजा
अध्यक्ष, होटल एसोसिएशन

शहर में 300 होटल
अमरावती शहर में 300 के आसपास होटल व बार, रेस्टॉरेंट है. इन सभी स्थानों पर ग्राहकों को उनकी ऑर्डर के हिसाब से ही भोजन परोसा जाता है. जिससे अनाज और भोजन की बर्बादी कम होती है. वहीं अगर होटल तथा बार रेस्टॉरेंट में थोडा-बहुत भोजन बच भी जाता है, तो उसे खुद होटल व्यवसायियों द्वारा गरीबों व जरूरतमंदों में बांट दिया जाता है.

200 मंगल कार्यालय
शहरी क्षेत्र में 200 मंगल कार्यालय व लॉन्स् है. जहां बडे पैमाने पर विवाह समारोह सहित अन्य कार्यक्रम होते है. जिसमें अमूमन इन दिनों बफे पार्टी की व्यवस्था होती है, जिसमें अपने ही हाथों से अपनी थाली में भोजन परोसना होता है. ऐसे में कौन कितना भोजन अपनी थाली में ले रहा है, इस पर कोई रोकटोक नहीं होती. जिसकी वजह से लोगबाग अपनी भूख और जरूरत से ज्यादा भोजन परोस लेते है और फिर भोजन बच जाने पर उसे झूठे में फेंक देते है. जिससे इस तरह के आयोजनों में बडे पैमाने पर भोजन की बर्बादी होती है. ऐसे झूठे भोजन को मंगल कार्यालयवालों द्वारा खेत अथवा मैदान में गढ्ढा करते हुए गाड दिया जाता है.

जितना खा सको, उतना ही भोजन लो
चाहे घर हो, या फिर कोई वैवाहीक समारोह, जितनी पेट में भूख हो और जितना भोजन खाया जा सके, उतनाही भोजन थाली में लिया जाना चाहिए. इससे अधिक भोजन लेने पर थाली में भोजन झूठा बचा रह जाता है. जिसे व्यर्थ फेंकना पडता है. अत: प्रत्येक अभिभावक ने अपने बच्चों को भोजन व्यर्थ नहीं फेंकने की आदत लगाना चाहिए.

बचा हुआ भोजन जरूरतमंदों तक पहुंचाने हेतु…
– संस्थाओं के संकलन
कोविड काल से पहले कई सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी व कार्यकर्ता शहर के होटलों में शेष बचा रह जानेवाला भोजन प्राप्त करने हेतु पहुंचते थे. पश्चात वे इस भोजन को शहर के गरीबों व जरूरतमंदों में बांट दिया करते थे

होटल संचालकों द्वारा वितरण
वहीं अब शहर के कई होटल संचालक अपने होटल में बाकी बचे रह जानेवाले भोजन को पैक करते हुए उसे शहर में खुले आसमान के नीचे सडकों पर रहनेवाले गरीबों के बीच बांटा जाता है. साथ ही जरूरतमंदों को भी भोजन उपलब्ध कराया जाता है.

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