अमरावती

किस्मत बुलंद थी, तो ‘वह’ बच गया

हादसे से थोडा पहले ही कार से उतर गया था रवि मसराम

* सुरेश निर्मले हुआ बदकिस्मती का शिकार, हादसे में गई जान
परतवाडा/दि.19- विगत रविवार की रात परतवाडा-बहिरम मार्ग पर हुए हादसे में कुल 6 लोगों की जाने गई. जिससे पूरे परिसर में शोक की लहर व्याप्त है. चूंकि सभी मृतक बोदड, बहिरम, कारंजा, सालेपुर व खरपी इन आसपास स्थित गांवों के ही निवासी है. ऐसे में इन 6 मौतों की वजह से पूरा परिसर शोक के साये में है. वहीं रवि मसराम नामक 28 वर्षीय युवक और उसका परिवार इस बात को लेकर खुश है कि, रवि मसराम इस हादसे से बालबाल बच गया, क्योेंकि वह हादसे से कुछ देर पहले ही कार से नीचे उतर गया था. क्योंकि उसका घर पहले पडता है. वही रवि के ही गांव का रहनेवाला सुरेश निर्मले बदकिस्मती का शिकार हुआ, जो यूं ही घुमने-फिरने के लिहाज से बीच रास्ते इस कार में सवार हुआ था और हादसे का शिकार होकर मारा गया.
बता दें कि, परतवाडा-बहिरम मार्ग पर मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित निम्भोरा गांव के पास रविवार 17 जुलाई की मध्यरात 12 बजे के करीब परतवाडा से बोदड गांव की ओर जा रही कार ने सामने से आ रहे दुपहिया वाहन को जोरदार टक्कर मार दी. बाइक सवार को उड़ाने के बाद आगे जाकर यह कार भी असंतुलित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई. कार की गति अत्याधिक होने से कार असंतुलित होकर चार-पांच पलटियां खाते हुए एक नहर में जा गिरी. दुर्घटना में कार में सवार सभी 6 लोग बुरी तरह से जख्मी हो गए, इसमें से 5 लोगोें की मौके पर ही मौत हो गई और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ. वही इस हादसे के बाद दुपहिया पर सवार युवक की भी मौके पर ही मौत हो गई. मृतकों में पांडूरंग रघुनाथ शनवारे (30, बोदड, चांदूर बाजार), सतीश सुखदेव शनवारे (30, बहिरम कारंजा), सुरेश विठ्ठल निर्मले (25, खरपी), अक्षय सुभाष देशकर (26, बोदड, चांदूर बाजार), कार चालक रमेश धुर्वे (30, सालेपुर) तथा दुपहिया चालक प्रतिक दिनेश मांडवकर (26) का समावेश था. वहीं इस हादसे में संजय गजानन गायन (22, बोदड, चांदुर बाजार) नामक व्यक्ति बुरी तरह से घायल हुआ था.
जानकारी के मुताबिक परतवाडा स्थित एक हार्डवेअर प्रतिष्ठान में काम करनेवाले मजदूरों को उनके घर छोडने हेतु दुकान मालिक ने अपने कार चालक रमेश धुर्वे को अपना वाहन लेकर भेजा था. परतवाडा से रवाना होते समय इस वाहन में सालेपुर निवासी रवि मसराम भी सवार था, जो सालेपुर जाने हेतु रास्ते में खरपी फाटे पर उतर गया और वहां से अपने घर चला गया. जिसकी वजह से रवि मसराम इस हादसे का शिकार होने से बालबाल बच गया. इसके अलावा कार में सवार संजय गजानन गायन नामक व्यक्ति का नसीब भी बडा मजबूत रहा, क्योंकि इस हादसे में जहां कुल 6 लोगों की जान गई, वही संजय गायन एकमात्र ऐसा शख्स है, जो इस हादसे में जिंदा और सही-सलामत बच गया है, हालांकि उसे काफी चोटें आयी है.

* सुरेश निर्मले की किस्मत थी खराब
पता चला है कि, जिस समय रवि मसराम सालेपुर जाने हेतु खरपी फाटे पर उतरा, तब वहां पर सालेपुर का ही रहनेवाला सुरेश निर्मले खडा था. चूंकि कार चालक रमेश धुर्वे भी सालेपुर का ही रहनेवाला था. ऐसे में उसने सुरेश निर्मले को यह कहते हुए अपनी कार में बिठा लिया कि, सभी मजदूरों को बोदड छोडकर जल्दी वापिस आते है और चूंकि सुरेश निर्मले के पास भी कोई खास काम नहीं था. अत: वह भी कार में सवार हो गया, लेकिन यही उसके लिए अंतिम सफर साबित हुआ. क्योंकि यहां से चलने के कुछ ही दूर बाद यह कार एक भीषण हादसे का शिकार हो गई. जिसमें सुरेश निर्मले की भी जान चली गई. यदि उस समय सुरेश निर्मले खरपी फाटे पर नहीं खडा रहा होता, या वह रमेश धुर्वे के आग्रह को ठुकरा कर बेमतलब ही कार में बैठकर बोदड जाने से मना कर देता, तो शायद उसकी मौत टल सकती थी. लेकिन कहा जाता है कि, हर व्यक्ति की जिंदगी और मृत्यु विधिलिखीत होती है. जिसे टाला नहीं जा सकता. शायद इस घटना में भी यही हुआ. यही वजह है कि, रवि मसराम हादसे से थोडा पहले ही वाहन से नीचे उतर गया, तो हादसे का शिकार होने से बच गया. वही कोई लेना-देना नहीं रहने के बावजूद सुरेश निर्मले उसी वाहन में बैठा और हादसे का शिकार होकर मारा गया.

* पुलिस की समय सूचकता से बची संजय गायन की जान
विशेष उल्लेखनीय है कि, जिस स्थान पर यह हादसा घटित हुआ, वह लगभग पूरी तरह से सूनसान इलाका है और रात के समय वहां से वाहनों की आवाजाही भी बेहद कम होती है. जिस वक्त यह भीषण सडक हादसा घटित हुआ, तो उस समय इस हादसे को किसी ने भी घटित होते हुए देखा नहीं था और रास्ते पर दुर्घटनाग्रस्त दुपहिया वाहन व चारपहिया वाहन भी नहीं थे, क्योंकि दोनों ही वाहन हादसे के बाद पास ही स्थित नहर में जा गिरे थे. ऐसे में सुबह होने तक हादसे का पता लगना मुश्किल था, लेकिन रात के समय इस परिसर में पेट्रोलिंग कर रहे पुलिसवालों को रास्ते पर एक दुपहिया वाहन का फटा हुआ सीट कव्हर दिखाई दिया. जिसे देखकर उन्हें कुछ संदेह हुआ और तेज बारिश व घने अंधेरे के बीच पुलिस पार्टी ने अपनी जीप से उतरकर आसपास यूं ही ऐहतियात के तौर पर जब अपनी नजर दौडाई, तो नहर में गिरी हुई आर्टीका कार दिखाई दी. जिसके पास एक दुपहिया वाहन भी क्षतिग्रस्त पडा था. यह नजारा देखते ही पुलिस पार्टी ने तुरंत वहां पहुंचकर रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया और अपने वरिष्ठाधिकारियों को भी इससे अवगत कराया. तब तक चार लोग मौके पर ही दम तोड चुके थे और केवल संजय गायन की ही सांसे चल रही थी. जिसे तुरंत अस्पताल में भरती कराया गया. जिसके चलते उसकी जान बचायी जा सकी.

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