अमरावतीविदर्भ

मोर्शी में फैल रहा है लम्पी स्किन डिसीज

गायों व भैसों में हो रहा विषाणुजन्य रोग का संक्रमण

मोर्शी/दि.४ – इन दिनों सर्वत्र विषाणुजन्य रोगोें का खतरा व्याप्त है. वहीं मोर्शी तहसील के गाय, भैस जैसे दुधारू जानवरों को एक नई तरह की विषाणुजन्य बीमारी का सामना करना पड रहा है. विगत कुछ दिनों से यहां पर लम्पी स्किन डिसीज नामक विषाणुजन्य बीमारी का संक्रमण फैल रहा है. जिसमें धीरे-धीरे मोर्शी तहसील के अधिकांश दुधारू जानवरों को अपनी चपेट में ले लिया है. जिसकी वजह से मवेशी पालकों व दुध उत्पादकों को काफी नुकसान होने की संभावना है.

जानकारी के मुताबिक विगत कुछ दिनों से मोर्शी तहसील में गाय व भैस जैसे दुधारू जानवर लम्पी स्किन डिसीज नामक एक विचित्र विषाणुजन्य बीमारी से ग्रस्त दिखाई दे रहे है. जानकारी के मुताबिक लम्पी स्किन डिसीज नामक यह बीमारी काफी पहले वर्ष १९७८ के दौरान केवल अफिक्री महाद्विप में पायी गयी थी. पश्चात वर्ष २०१३ के बाद यह बीमारी एशियायी व युरोपियन देशों में भी पायी गयी. साथ ही जारी वर्ष मार्च माह में महाराष्ट्र के गढचिरोली जिले में पहली बार यह बीमारी पायी गयी और अब तक इस बीमारी का कोई इलाज नहीं खोजा जा सका है. जानकारी के मुताबिक देसी नस्ल की गाय-भैसों की तुलना में यह बीमारी संकलित नस्ल की गायों में काफी अधिक पायी जाती है.

इस संदर्भ में जानकारी देते हुए मोर्शी के पशुधन विकास अधिकारी डॉ. पंकज भोपसे ने बताया कि, मच्छर-मख्खियां तथा गोचिड व चिल्टे के जरिये जानवरों में इस बीमारी का संक्रमण फैलता है. साथ ही संक्रमित जानवरों अथवा उनकी लार के संपर्क में आने की वजह से भी इस बीमारी का संक्रमण अन्य जानवरों में फैलता है. अत: संक्रमित जानवरों को अन्य जानवरों से अलग रखा जाना चाहिए. इस बीमारी में भेड व बकरियों को दी जानेवाली गोट पॉक्स वैक्सीन का अच्छा प्रभाव दिखाई दे रहा है. ऐसे में मोर्शी तहसील में जानवरों के इलाज हेतु गोट पॉक्स वैक्सीन का भरपुर स्टॉक उपलब्ध कराया जाना बेहद जरूरी है.

  • इस बीमारी में जानवरों के शरीर पर गांठ आना व जानवरों को बूखार आना जैसे लक्षण शुरूआत में दिखाई देते है. जिसके बाद ये गांठे पूरे शरीर में बननी शुरू होती है. जिसकी वजह से जानवरों को जबर्दस्त तकलीफ होती है और बूखार की वजह से उनकी दूध उत्पादन क्षमता पर परिणाम होकर दूध उत्पादन भी काफी कम हो जाता है. इस बीमारी के चलते जानवरों में जबर्दस्त कमी देखी जाती है. साथ ही गर्भवति मवेशियों का गर्भपात होने की भी संभावना रहती है.

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