अमरावती

विदर्भ में महालक्ष्मी महोत्सव, भक्ति भाव से की जाती है स्थापना

महाप्रसाद का अनेकों ने लिया लाभ

चांदुर रेल्वे/दि.23– विदर्भ में तीन दिवसीय महालक्ष्मी उत्सव मनाया जाता है. महालक्ष्मी बड़ी आस्था और भक्तिभाव से घर आती हैं और उनकी विधिवत पूजा की जाती हैं. तीसरे दिन महालक्ष्मी अपने गांव चली जाती मतलब जिसमें विसर्जन की परंपरा है. महालक्ष्मी पूजा के इस पर्व के दूसरे दिन यानी शुक्रवार को महालक्ष्मी को 16 चटनी, 16 सब्जियां और विभिन्न प्रकार के पंच व्यंजन का भोग लगाया गया. इस पूरे त्योहार का विदर्भ मे बहुत महत्व है. इस साल महालक्ष्मी का उत्साह घर-घर बड़े उत्साहपूर्ण रूप से मनाते तीन दिन चलनेवाले इस उत्सव में बाहर गाँव या अलग अलग रहने वाले परिवार एक साथ आकर सभी सदस्य मिलकर महालक्ष्मी उत्सव मनाते एक तरह से यह त्यौहार एकता और भक्ती का प्रतीक है. श्याम में गोधुलि बेला में महालक्ष्मी को पंच व्यंजन का भोग लगने के बाद आरती कर आस पास के लोगों और रिश्तेदार को आमंत्रित कर भक्तिभाव से भोजन करवाया गया. इस दिन साक्षात महालक्ष्मी भोजन करती ऐसी श्रद्धालुओं की आज भी मान्यता है. अधिकांश घरों में अनेक वर्ष पुरानी परंपरा बरकरार है. वर्षों पुराने महालक्ष्मी के मुखौटा प्रती वर्ष स्थपित कर पूजा की जाती है तथा कुछ घरों में अति दुर्लभ महालक्ष्मी मुखौटे देखने को मिलते हैं. गौरी के दर्शन और आशीर्वाद लेने सुहागन महिलाएं साज-श्रुंगार कर जाती और भक्तिभाव से रास अर्पण कर पूजा अर्चना करती है.

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