अमरावतीमहाराष्ट्र

महाराष्ट्र में 10 टन प्याज की ‘महाबैंक’

836 करोड से कोबाल्ट 60 की सुविधा सहित पांच केंद्रों का प्रस्ताव

छ. संभाजीनगर/दि.25 – भाव में गिरावट के कारण प्याज उत्पादक किसानों को राहत मिलने के लिए विकिरण तकनीकी ज्ञान की सहायता से 10 लाख मैट्रीक टन का ‘प्याज महाबैंक’ करने के प्रस्ताव को गति मिली है. गेमा किरण के माध्यम से सुक्ष्म जंतू मारकर तथा प्याज में नड तैयार न हानेे की प्रक्रिया कर प्याज बिक्री का समय बढाने के 836 करोड रुपए के प्रकल्प के लिए अब भाभा अनुसंशोधन केंद्र के अधिकारी डॉ. नितिन जावले की नियुक्ति की गई है.
नाशिक, छत्रपति संभाजीनगर, पुणे, सोलापुर, अहिल्यानगर इन पांच जिलों में प्रत्येकी दो लाख मैट्रीक टन का भंडार और विकिरण के लिए कोबाल्ट 60 यह सुविधा निर्माण की जाने वाली है. लोकसभा चुनाव में प्याज का प्रश्न केंद्र सरकार का सिरदर्द साबित होने के बाद अब तकनीकी ज्ञान की सहायता से नया मार्ग निकालने की योजना तैयार की जा रही है. देश के कुल प्याज उत्पादन में से राज्य का हिस्सा 35 प्रतिशत है. राज्य के कुल उत्पादन में 40 प्रतिशत हिस्सा नाशिक जिले का है. पुणे, सोलापुर, मराठवाडा के छत्रपति संभाजी नगर जिले के वैजापुर, सिल्लोड, कुलंबी में प्याज उत्पादक लिया जाता है. पिछले कुछ साल में भारतीय प्याज की विदेश में भी मांग है. 2021-22 की आंकडेवारी के मुताबिक 3432 करोड 14 लाख रुपए का प्याज निर्यात हुआ था. कभी प्याज के भाव काफी रहते है, तो कभी किसानों को काफी कम किमत में प्याज बिक्री करना पडता है. इस पर उपाय योजना के रुप में हेमा किरण के आधार पर प्याज भंडाकरण के पांच बडे केंद्र तैयार करने का प्रस्ताव तैयार किया गया. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को ऐसा प्रस्ताव करने कहा था. अणुउर्जा विभाग के विशेषज्ञों को इस प्रकल्प के अमल के लिए नियुक्त किया गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस निमित्त हाल ही में बैठक ली है.

* 5 जिलों के 75 एकड जगह पर क्या रहेगी सुविधा?
– प्रत्येक घंटे में 250 मैट्रीक टन प्याज की नापजोख करने का वजन माप.
– प्याज के दर्जे के मुताबिक वर्गीकरण करने वाली यंत्रणा.
– कोबाल्ट 60 की विकिरण की यंत्र सामग्री.
– 2 लाख टन क्षमता का शीतगृह.
– यातायात की अच्छी सुविधा, छत पर सौर उर्जा 10 मैगावैट के लिए 40 हजार एकड जगह.

* तकनीकी ज्ञान कैसा?
1960 में भाभा अणुशक्ति केंद्र से हेमा किरण की सहायता से कृषि उत्पादन से जंतू मारे जाते है. इस कारण कृषि माल अच्छा रखने की कालावधि बढती है. कोबाल्ड-60 विकिरण के माध्यम से यह काम किया जाता है. इसके अलावा भी अब अत्याधुनिक एक्सरे और इलेक्ट्रॉन प्रकाश के आधार पर यह काम किया जा सकता है. यह प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित है. विश्व स्वास्थ्य संगठना की तरफ से उसे मान्यता दी गई है, ऐसा कृषि माल दर्शाने के लिए एक संकेतांक भी ‘रुद्र’ नाम से मंजूर किया गया है. इस कारण कृषि माल को जंतू प्रादूर्भाव कम करते आता है.

* तीन साल से जारी थे प्रयास
पिछले तीन साल से इस प्रकल्प के लिए प्रयास शुरु थे. महाराष्ट्र इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रान्सफार्मेशन की तरफ से इस प्रकल्प पर अमल करने के लिए प्रयास शुरु थे. केंद्र सरकार ने इसके लिए प्रयास किये है. अब यह प्रकल्प शुरु करने के लिए हम प्रयास कर रहे है. यह प्रकल्प अनेकों को रोजगार देने वाला होगा. साथ ही 50 हजार किसानों को इसका लाभ होगा.
– राणा जगजीतशसिंह पाटिल,
उपाध्यक्ष मित्रा, महाराष्ट्र राज्य.

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