अमरावती

महाराष्ट्र जनसेवा संगठन ने बिरसा मुंडा जयंती पर निकाली भव्य रैली

रैली में शामिल सभी लोग सिर पर पीली पगडी व विविध वेशभूषा परिधान किए हुए थे

अमरावती/दि.16- भगवान बिरसा मुंडा ने 25 साल की आयु में अपना बलिदान देकर जनजातीय समुदाय को न्याय दिलाने का प्रयास किया था. ऐसे क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती उपलक्ष्य में महाराष्ट्र जनसेवा संगठन की ओर से शहर के विविध मार्ग से भव्य रैली का आयोजन किया गया. जिसमें सैकडों की तादाद में युवाओं ने सहभागी होकर बिरसा मुंडा के विचारों को शहरवासियों तक पहुंचाने का प्रयास किया.
स्थानीय गर्ल्स हाईस्कूल चौक जिसे रानी दुर्गावती चौक भी कहा जाता हैं. जहां से महाराष्ट्र जनसेवा संगठन के साथ ट्रायबल फोरम, आदिवासी युवा क्रांति दल, पेसा समन्वय समिति मेलघाट, एम्प्लॉइज फेडरेशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित रैली की शुरुआत की गई. सर्वप्रथम क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की प्रतिमा के समक्ष रंगोली निकालकर तथा उनकी प्रतिमा को फूलमाला से सजाकर पूजन किया गया. पश्चात श्याम चौक, राजकमल चौक, उडान पुल से रेलवे स्टेशन चौक, बस स्टैंड मार्ग, पुलिस पेट्रोल पंप मार्ग से होते हुए यह रैली रानी दुर्गावती चौक पर समाप्त हुई. यहां सभी युवा सदस्यों व्दारा क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की प्रतिमा को अभिवादन कर तथा उनके नाम का जयघोष करते हुए रैली का समापन किया गया. बता दें कि बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर 1875 को एक छोटे तथा गरीब किसान परिवार में हुआ था. छोटा नागपुर पठार में निवास करने वाले मुंडा एक जनजातीय समुदाय का हिस्सा हैं. जल, जंगल, जमीन तथा अपने परिवार व मुंडारी पहचान की रक्षा करने हेतु युवा बिरसा मुंडा ने सन् 1895 में ब्रिटिश सरकार के खिलाफ ‘उलगुलान’ का आगाज किया था. ब्रिटिश सरकार के सैनिकों को ‘दांतो तले चने चबाने’ को विवश किया. फलस्वरुप बिरसा मुंडा को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर तत्कालीन बिहार के हजारीबाग ‘अब झारखंड में’ जेल तथा बााद में रांची कारागार में बंद कर दिया, जहां उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट के कारण सन् 1990 ई. को केवल 25 वर्ष की आयु में बिरसा मुंडा अपने माटी की रक्षा करते हुए शहीद हुए. बिरसा मुंडा के इस बलिदान के कारण उन्हें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के जनजातीय विद्रोहों तथा क्रांति के प्रतीक के रुप में याद किया जाता हैं और इसलिए उन्हें ‘भगवान’ बिरसा मुंडा के इस बलिदान के कारण उन्हें भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के जनजातीय विद्रोहों तथा क्रांति के प्रतीक के रुप में याद किया जाता हैं और इसलिए उन्हें ‘भगवान’ बिरसा मुंडा कहा जाने लगा. रैली में म.रा. जनसेवा संगठन के संस्थापक अध्यक्ष जगदीश युवाने, जिलाध्यक्ष पूजा ठाकरे, तहसील अध्यक्ष शशिकांत आत्राम, चांदूर बाजार के देवीदास वरटी, सुखदेव युवाने, प्रवीण सराटे, प्रवीण गजान, राजू मसराम, दिनेश टेकाडे, गंगाराम जांभेकर, राजेश्वर युवनाते, वासुदेव युवाने, परमेश्वर युवनाते, वासुदेव युवाने, परमेश्वर बोमले, प्रियंका कुमरे, संतोष किरनाके, चेतन टोलसांड, श्रावण आत्राम, प्रवीण धुर्वे, अनुकेश अंबाडकर, राजेश उईके, अजय युवनाते समेत बडी संख्या में युवक व युवतियां सहभागी थे.

 

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