अमरावती

तापी के 191 टीएमसी पानी पर महाराष्ट्र का अधिकार, लेकिन 26.3 टीएमसी पानी ही रोका जा सकता है

जलसंग्रहण की क्षमता ही उपलब्ध नहीं

प्रति वर्ष 100 टीएमसी पानी व्यर्थ बह जाता है
अमरावती- दि.16अयंगार समिती द्वारा सन 1958 में निश्चिती तथा वर्ष 1986 में दी गई मंजुरी के अनुसार तापी नदी के 407 टीएमसी में से 191.40 टीएमसी पानी पर महाराष्ट्र का अधिकार है. वहीं 146 टीएमसी पानी पर गुजरात व 70 टीएमसी पानी पर मध्यप्रदेश का अधिकार है. किंतु जलगांव, धुलिया व नंदूरबार जिले में तापी सिंचाई विकास मंडल के अख्तियार में आनेवाले निम्नतापी व उपसा सिंचन योजनाओें का काम प्रलंबित रहने के चलते 191.40 में से केवल 91 टीएमसी पानी को प्रयोग में लाने का नियोजन है. इसमें भी केवल 26.3 टीएमसी पानी को ही रोका जा सकता है. ऐसे में प्रति वर्ष बारिश के मौसम दौरान तापी नदी में उपलब्ध होनेवाले पानी का अधिकांश हिस्सा व्यर्थ ही बह जाता है.
बता दें कि, तापी नदी में 400 टीएमसी पानी उपलब्ध होता है, जिसका तीन राज्यों के बीच वितरण अय्यंगर समिती ने वर्ष 1958 में तय किया था और इसे वर्ष 1986 में मंजूरी दी गई थी. लेकिन इतने वर्षों के दौरान भी महाराष्ट्र के हिस्से में रहनेवाले 191 टीएमसी पानी को रोकने और उससे सिंचाई व जलापूर्ति की सुविधा उपलब्ध कराने का इतने वर्षों में पर्याप्त प्रबंध नहीं हो पाया. जिसके चलते 191 टीएमसी की बजाय केवल 26.3 टीएमसी पानी को ही रोका जा सकता है. वहीं शेष पानी व्यर्थ ही बह जाता है.

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