अमरावती

देश विदेश में कल मनायी जाएगी महर्षि वाल्मिकी जयंती

उमेश ढोणे ने दी जानकारी

अमरावती/दि.19 – महर्षि वाल्मिकी ने प्रभू श्रीरामचंद्र जन्म लेने से पूर्व श्रीराम का इतिहास वाल्मिकी रामायण ग्रंथ लिखकर विश्व के सामने रखा. ग्रंथ में लिखा एक-एक शब्द प्रभू श्रीराम के जीवन में सही साबित हुआ. इतनी प्रबल ज्ञान शक्ति महर्षि वाल्मिकी की थीं. इसीलिए अयोध्या के राममंदिर में महर्षि वाल्मिकी आश्रम निर्माण कर, प्रभू श्रीराम व वाल्मिकी की विरासत का जतन करने के लिए सरकार ने सहयोग करना चाहिए यह अपील उमेश ढोणे ने की है.
इसी कडी में 20 अक्टूबर को भारतभर व देश के बाहर बडे उत्साह के साथ रामायण रचनाकार महर्षि वाल्मिकी की जयंती सर्वत्र मनायी जाएगी.
बता दें कि हजारों वर्षों पहले जिस दौर में समाज में निरक्षरता, अज्ञानता का जाल फैला हुआ था. उस दौर में वाल्मिकी ने शिक्षा, कलम की महत्ता को पहचानकर अंधकारमय, हिंसात्मक मार्ग, बुराईयों, अज्ञानता का त्याग कर अपने जीवन में आमूचल बदलाव लाया. इसके बाद अहिंसा मार्ग का स्वीकार कर कडी तपस्या करते हुए ज्ञान प्राप्त किया. संस्कृत भाषा में लगभग 24 हजार श्लोक की रचना कर महान वाल्मिकी रामायण अध्यात्मिक ग्रंथ लिखकर महाकाव्य की निर्मिति की. प्रथम महाकाव्य की रचना करने से आध्य कवि के रुप में वे सभी मानव समाज के लिए आदर्श साबित हुए. वाल्मिकी रामायण व्दारा सभी को आध्यात्म शिक्षा दी गई. व्यक्ति के मन में दृढ विश्वास और इच्छाशक्ति होगी तो उसे कोई भी लक्ष्य वह कितना कठिन क्यों न हो वह निश्चित तौर पर हासिल कर सकता है. यही पाठ महर्षि वाल्मिकी के जीवन प्रवास से मिलती है.

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