अमरावतीमहाराष्ट्र

महाशिवरात्रि विशेष, शहर से सटे तपोवनेश्वर की गाथा

श्रृंगीऋषि ने की थी तप आराधना

अमरावती/दि.07– श्री क्षेत्र तपोवनेश्वर संस्थान अमरावती चांदूर रेलवे रोड पर 11 किमी के बाद घने जंगल में स्थित है. भगवान महादेव की पारणिक तपस्या करने का स्थान है. यह स्थान घने जंगल से घिरा हुआ है और केवल तपस्या के उद्देश्य से ही महत्वपूर्ण है. कौण्डण्यपुर-तपोवनेश्वर और अमरावती के अंबाबाई मंदिर तक पहुँचने का भूमिगत मार्ग इसी स्थान से होकर गुजरता है, यह हमें आज भी देखने मिलता है. इस स्थान का महत्व योगीराज गुरुदेव सीतारामगिरि महाराज के रूप में जन-जन को ज्ञात हुआ.

इस स्थान पर भगवान तपोवनेश्वर का मंदिर है और इस मंदिर में प्राचीन शिवलिंग पहले भूमिगत था. उन्होंने इस स्थान पर जप, तप और साधना कर इस स्थान के बारे में जनसामान्य तक पहुंचाया. भूमिगत शिवलिंग की मंदिर में स्थापना की गई. तपोवनेश्वर संस्थान परिसर में एक प्राचीन विष्णु मंदिर है और उसके बगल में भगवान भैरव का मंदिर है. मंदिर के चहुंओर सुखद वनश्री से आच्छादित घना जंगल है. शिव कथा वाचक पंडित प्रदीपजी मिश्रा ने कहा है कि इस स्थान का उल्लेख श्री स्कंद पुराण में है और जब उन्होंने इस स्थान का दौरा किया, तो उन्होंने प्रार्थना की और उन्होंने जिस गुंफा में बैठकर श्रृंगीऋषि ने तपसाधना की थी, उस गुंफा के सामने प्रदीप मिश्रा ने ध्यान साधना की. इस स्थान पर आने वाला हर भक्त आस्थापूर्वक भगवान तपोवनेश्वर के दर्शन कर यहां की वनश्री का आनंद लेता है.

 

 

 

 

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