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जिले सहित विदर्भ में महाविकास आघाडी हुई मजबूत

बाजार समिति के चुनाव से निकला साफ संदेश

अमरावती/दि.1 – जिले की 12 कृषि उत्पन्न बाजार समितियों के साथ-साथ समूचे विदर्भ क्षेत्र की फसल मंडियां के चुनावी नतीजे घोषित हो चुके है और लगभग सभी स्थानों पर महाविकास आघाडी के शामिल घटक दलों द्बारा मैदान में उतारे गए पैनलों को जीत हासिल हुई है. यद्यपि तहसीलस्तर पर सहकार क्षेत्र से वास्ता रखने वाले कृषि उत्पन्न बाजार समितियों के चुनाव की हार-जीत से किसी भी मौजूदा या पूर्व विधायक की राजनीतिक ताकत का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता. लेकिन राजनीतिक बयार किस दिशा में बह रही है. इसका अंदाजा जरुर लगाया जा सकता है. ऐसे में विदर्भ क्षेत्र की फसल मंडियों के चुनावी नतीजों को महाविकास आघाडी के लिए उत्साहजनक तथा राज्य के सत्ताधारी दलों के लिए चिंताजनक कहा जा सकता है.
बता दें कि, अमरावती सहित नागपुर, वर्धा, यवतमाल, अकोला व बुलढाणा जिलों की सभी फसल मंडियों के चुनावी नतीजे अब घोषित हो चुके है. जिनमें ज्यादातर स्थानों पर महाविकास आघाडी समर्थित गुटों व पैनलों को सफलता मिली है. हालांकि कई स्थानों पर मंडी चुनाव को ध्यान में रखते हुए राजनीतिक विचारधारा व आपसी विरोध को परे रखते हुए कई परस्पर विरोधी गुटों ने भी एक-दूसरे के साथ हाथ मिलाया. जिसके चलते लगभग सभी जिलों में कांग्रेस-भाजपा, कांग्रेस-शिंदे गुट, भाजपा-राकांपा, सेना-राकांपा जैसे गटबंधन बनते भी दिखाई दिए. कुछ स्थानों पर तो भाजपा ने शिंदे गुट से दूरी बनाकर कांग्रेस व राकांपा समर्थित गुटों से हाथ मिलाया. लेकिन इसके बावजूद औसत तौर पर महाविकास आघाडी काफी हद तक फायदे में दिखाई दे रही है. वहीं कुछ स्थानों पर स्थानीय आघाडियों व नेताओं को सफलता मिलती दिखाई दी है. साथ ही अपने क्षेत्र से बाहर निकलकर अन्य क्षेत्रों में वर्चस्व जमाने की कोशिश करने वाले कुछ नेताओं को असफलता का सामना करना पडा. वहीं कुछ स्थानों पर तो स्थानीय नेताओं के पैनलों के सामने महाविकास आघाडी के हाथ असफलता लगी. लेकिन फिर भी महाविकास आघाडी को बेहद फायदेमंद स्थिति में कहा जा सकता है. इसके साथ ही गडचिरोली जिले में पूरी तरह से स्थानीय गुट प्रभावी साबित हुआ.
अमरावती जिले मेें पूर्व मंत्री व विधायक यशोमति ठाकुर के नेतृत्व में महाविकास आघाडी से घटक दलों ने जिले की सभी 12 फसल मंडियों के चुनाव में सहकार पैनल के तौर पर अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे थे. जिसमें से तीन फसल मंडियों को छोडकर 9 फसल मंडियों में महाविकास आघाडी समर्थित सहकार पैनल की जीत हुई. जिसमेें अमरावती सहित अचलपुर, दर्यापुर, अंजनगांव, मोर्शी, तिवसा, चांदूर रेल्वे, धामणगांव रेल्वे, नांदगांव खंडेश्वर फसल मंडियों का समावेश है. वहीं चांदूर बाजार में विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व वाले शेतकरी पैनल, वरुड में राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे व पूर्व विधायक नरेशचंद्र ठाकरे तथा धारणी फसल मंडी में विधायक राजकुमार पटेल व पूर्व विधायक केवलराम काले के नेतृत्व वाले पैनलों को जीत मिली. ऐसे में यदि पूरे जिले का विचार किया जाए, तो तहसील एवं ग्रामीण क्षेत्र में इस समय महाविकास आघाडी की स्थिति काफी हद तक मजबूत दिखाई दे रही है. विशेष उल्लेखनी है कि, विधायक यशोमति ठाकुर के गुट में तिवसा कृषि उत्पन्न बाजार समिति में अपनी एकछत्र सत्ता को कायम रखने में सफलता प्राप्त की है. वहीं अमरावती बाजार समिति में विधायक रवि राणा के भाई सुनील राणा को हार का सामना करना पडा.
वहीं दूसरी ओर फसल मंडी चुनाव को लेकर बुलढाणा जिले में शिंदे गुट के विधायक संजय गायकवाड, अकोला जिले में राकांपा विधायक अमोल मिटकरी, अमरावती जिले में सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा, भंडारा जिले में नाना पडोले व चंद्रपुर जिले में कांगे्रस सांसद बालू धानोरकर को कुद हद तक नुकसान में कहा जा सकता है. गोंदिया, भंडारा संसदीय क्षेत्र में राकांपा नेता प्रफुल्ल पटेल ने कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पडोले के शह देने हेतु भाजपा से युती करते हुए लाखनी व सडकअर्जुनी मेें कांग्रेस समर्थित पैनल को पराजीत किया. साथ ही चंद्रपुर जिले में कांग्रेस सांसद बालू धनोरकर को रोकने हेतु भाजपा नेता व पालकमंत्री सुधीर मुनगंटीवार तथा कांग्रेस नेता व पूर्व पालकमंत्री विजय वडेट्टीवार एक साथ आए थे. जिन्होंने चंद्रपुर, वरोरा व राजूरा बाजार समिति में जीत हासिल की. इसके अलावा नागपुर जिले में कांग्रेस नेता सुनील केदार की सहकारी संस्थाओं पर जबर्दस्त पकड है और उन्होंने 7 में से 6 बाजार समितियों पर जीत हासिल की. लेकिन रामटेके ने उनके द्बारा शिंदे गुट के साथ की गई युती को मतदाताओं ने खारिज कर दिया और यहां पर किसी समय उनके सहयोगी रहने वालों ने ही उन्हें पराजीत कर उनकी मक्तेदारी को खत्म किया. उधर वर्धा जिले में वर्धा, पुलगांव व सेलू बाजार में महाविकास आघाडी को सफलता मिली. साथ ही बुलढाणा जिले की 5 में से 3 बाजार समितियों में महाविकास आघाडी सफल साबित हुई.
इसके अलावा खामगांव में अपेक्षा के अनुरुप पूर्व विधायक दिलीप सानंदा की नेतृत्व वाली आघाडी ने 18 में से 15 सीटें जीतते हुए भाजपा विधायक आकाश पुंडकर के नेतृत्व वाले पैनल को जोरदार झटका दिया. वहीं मलकापुर में पूर्व विधायक चैनसुख संचेती व भाजपा नेता शिवचंद्र तायडे के नेतृत्व वाले पैनल ने 18 में से 16 सीटें जीती. बुलढाणा जिले की 5 में से 3 बाजार समितियों में महाविकास आघाडी को तथा 2 समितियों में भाजपा-शिंदे गुट को सफलता मिली. यहीं यवतमाल जिले में फसल मंडी के चुनाव प्रस्थापितों को धक्का देने वाले साबित हुए. जहां पर पालकमंत्री संजय राठोड को अपने गृह नगर दिग्रस की फसल मंडी चुनाव में हार का सामना करना पडा. परंतु उनके नेतृत्व में शिंदे गुट व राकांपा की युती ने नेर कृषि उत्पन्न बाजार समिति ेमेें जीत हासिल करते हुए कांग्रेस नेता माणिकराव ठाकरे को जोरदार झटका दिया. इसके अलावा पुसद फसल मंडी में राकांपा नेता व पूर्व मंत्री मनोहरराव नाईक के नेतृत्व वाले पैनल ने सभी 18 सीटें जीतकर अपना वर्चस्व कायम रखा और यहां पर मनोहरराव नाईक के भतीजे व भाजपा विधायक एड. नीलय नाईक के नेतृत्व वाले पैनल को हार का सामना करना पडा. इसके अलावा अकोला जिले में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस व ठाकरे गुट सहित भाजपा ने एकजूट होकर चुनाव लता था. लेकिन जिले की 3 कृषि उत्पन्न बाजार समितियों में सहकार गुट ने अपना वर्चस्व अबाधित रखा. साथ ही अकोला फसल मंडी के चुनाव में वंचित बहुजन आघाडी को हार का सामना करना पडा.
उधर गडचिरोली जिले की अहेरी बाजार समिति में भाजपा व राकांपा की युती को स्थानीय आघाडी ने हराया. वहीं गोंदिया जिले की आमगांव बाजार समिति में भाजपा-राकांपा युती को सफलता मिली. परंतु गोंदिया फसल मंडी में यह युती असफल साबित हुई.

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