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दर्यापुर को लेकर महायुति व मविआ परेशान

दोनों गठबंधनों में दिखाई दे रही असमंजस वाली स्थिति

* किसके कोटे में सीट छोडी जाये, कौन होगा प्रत्याशी, तय नहीं
अमरावती/दि.22- आगामी विधानसभा चुनाव हेतु अमरावती जिले की 8 में से लगभग 7 सीटों पर यह तय हो चुका है कि, किस राजनीतिक गठबंधन के तहत कौन सी सीट किस राजनीतिक दल के हिस्से में छुटेगी और कहां से किस दल का कौन प्रत्याशी होगी. लेकिन जिले की दर्यापुर सीट एकमात्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जिसे लेकर अब तक सत्ताधारी गठबंधन महायुति व विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाडी में सीट बंटवारे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है. इसके चलते प्रत्याशी तय करना तो अभी दूर की बात है.
बता दें कि, दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र में पिछला चुनाव कांग्रेस ने जीता था तथा कांग्रेस प्रत्याशी बलवंत वानखडे दर्यापुर से विधायक निर्वाचित हुए थे, जो आगे चलकर लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर विजयी होते हुए अमरावती संसदीय क्षेत्र के सांसद निर्वाचित हुए. ऐसे में इस सीट पर महाविकास आघाडी की ओर से कांग्रेस का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है. लेकिन मविआ के तहत अमरावती जिले की 4 सीटें पहले ही कांग्रेस के कोटे मेें छूट चुकी है. जिनमें अमरावती, अचलपुर, तिवसा व धामणगांव निर्वाचन क्षेत्रों का समावेश है. ऐसे में अब शेष 4 सीटों पर मविआ में शामिल शिवसेना उबाठा व शरद पवार गुट वाली राकांपा का दावा बनता है. जिसमें से शिवसेना उबाठा द्वारा बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र को अपने कोटे में लेते हुए वहां से दिवंगत विधायक संजय बंड की पत्नी प्रीति बंड को प्रत्याशी बनाना लगभग तय कर लिया गया है. वहीं कांग्रेस द्वारा दर्यापुर सीट को शिवसेना उबाठा के लिए छोडने की तैयारी भी कर ली गई है, लेकिन किसी समय शिवसेना का मजबूत गढ रहने वाले दर्यापुर में इस समय शिवसेना उबाठा के पास कोई दमदार प्रत्याशी ही नहीं है. जबकि अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित रहने वाली इस सीट पर कांग्रेस की टिकट से चुनाव लडने के इच्छुकों की लंबी कतार है. वहीं मोर्शी-वरुड निर्वाचन क्षेत्र पर मविआ के तहत अपना दावा करने वाली शरद पवार गुट वाली राकांपा का भी दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र में कोई विशेष जनाधार नहीं है. ऐसे में मविआ में अब भी इस बात को लेकर माथापच्ची चल रही है कि, दर्यापुर सीट को किस घटक दल के हिस्से में रखा जाये.
लगभग इसी तरह की स्थिति राज्य की सत्ताधारी महायुति में भी देखी जा रही है. जहां पर भाजपा के स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा दर्यापुर सीट को इस बार अपने कोटे में रखने का पूरा प्रयास किया जा रहा है. वहीं शुरुआती दौर में दर्यापुर सीट को लेकर काफी उत्साह दिखाने वाली शिंदे गुट वाली शिवसेना द्वारा अब अनमने ढंग से दर्यापुर सीट के बारे में बात की जा रही है. क्योंकि दर्यापुर सीट के लिए मांग उठाने वाले अडसूल पिता-पुत्र को इससे पहले महायुति सरकार द्वारा पूर्व सांसद अडसूल के लिए राज्यपाल पद व पूर्व विधायक अभिजीत अडसूल के लिए दर्यापुर क्षेत्र हेतु टिकट देने का वादा किया था. लेकिन पूर्व सांसद अडसूड को राज्यपाल बनाने की बजाय राज्य एससी-एसटी आयोग के अध्यक्ष पद का लॉलीपॉप थमा दिया गया. जिसके चलते अडसूल पिता-पुत्र की महायुति को लेकर काफी हद तक नाराजगी देखी जा रही है. साथ ही महायुति में शामिल भाजपा नेत्री व पूर्व सांसद नवनीत राणा द्वारा दर्यापुर सीट पर भाजपा का दावा बताते हुए शिंदे गुट वाली शिवसेना के नेता व पूर्व विधायक अभिजीत अडसूल को बार-बार बाहरी पार्सल कहा जा रहा है. जिसे लेकर भाजपा के बडे नेताओं द्वारा पूर्व सांसद नवनीत राणा को एक बार भी टोका नहीं गया. जिसके चलते अडसूल पिता-पुत्र की नाराजगी और भी अधिक बढ गई है. लेकिन भाजपा के पास भी अनुसूचित जाति, विशेषकर हिंदू दलित संवर्ग से कोई सशक्त दावेदार दर्यापुर क्षेत्र में नहीं है. वहीं अब पूर्व विधायक अभिजीत अडसूल ने भी दर्यापुर क्षेत्र से चुनाव लडने को लेकर पहले की तरह उत्साह नहीं दिखा जा रहा. साथ ही दर्यापुर क्षेत्र में अजीत पवार गुट वाली राकांपा का कोई विशेष प्रभाव भी नहीं है. जिसके चलते महायुति के तहत दर्यापुर सीट किस राजनीतिक दल के हिस्से में जाएगी और महायुति की ओर से कौन इस क्षेत्र से प्रत्याशी होगा. यह भी अब तक तय नहीं हो पाया है.
यानि कुल मिलाकर दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र महायुति सहित महाविकास आघाडी के लिए गले की हड्डी बन गया है और दोनों गठबंधनों में शामिल दल इस सीट को अपने किसी सहयोगी घटक दल के हिस्से में छोडने के लिए बडी आसानी के साथ तैयार भी है. जबकि अन्य सीटों को अपने कब्जे में रखने के लिए आपस में सहयोगी रहने वाले दलों के बीच जबर्दस्त तनातनी दिखाई दे रही है. वहीं दर्यापुर में ‘पहले आप पहले आप’ वाला माहौल चल रहा है.

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