अमरावती

हेरिटेज ड्रिंक के नाम पर मिल सकता है महुआ की ब्रांडेड शराब को बढ़ावा

उत्पादन व बिक्री को लेकर सरकार के फैसले में स्पष्टता की दरकार

नागपुर/प्रतिनिधि दि.६ – महुआ व उत्पादन व बिक्री की पाबंदियां हटाने के राज्य सरकार के फैसले को लेकर स्पष्टता की दरकार है. जानकारों का कहना है कि पहले से ही इस मामले में काफी पेचीदगी रही है. पाबंदियां हटाने के बाद ऐसा न हो कि केवल शराब उत्पादन से जुड़े लोगों को अधिक लाभ हो या फिर संगठित अवैध व्यवसाय को बढावा मिले. हालांकि हेरिटेज ड्रिंक के नाम पर महुआ की ब्रांडेट शराब को केन्द्र सरकार की ओर से प्रोत्साहन मिलता रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार के नियंत्रण में उत्पादन व बिक्री हो तो राज्य व खासकर विदर्भ में महुआ व्यवसाय काफी फायदेमंद साबित हो सकता है.

  • सरकार का ही रहे नियंत्रण

राज्य में उत्पादन शुल्क विभाग के पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने शराबनीति में संशोधन के साथ ही महुआ उत्पादन बिक्री के लिए नीति तैयार करने का प्रयास किया था. वे कहते है कि महुआ से शराब कारोबार को बढ़ावा मिलने से इनकार नहीं किया जा सकता है. सरकार इस मामले में नियंत्रण की ठोस उपाय योजनाएं करें. आदिवासी समुदाय के लिए वनक्षेत्र में महुआ का पारंपरिक उत्पादन होता रहा है. महुए से विविध औषधियां बनती है. फार्मा के अलावा कास्मेटिक कारोबार में भी महुआ का इस्तेमाल होता है. आदिवासी समुदाय के लोगों की समितियां बनाकर उनसे सरकार महुआ खरीदें. खुले बाजार में बिक्री से गलत इस्तेमाल होगा. गड़चिरोली, चंद्रपुर जैसे जिलों में शराबबंदी प्रभावित होगी.

  • लाइसेंस की जटिलता न रहें

शेतकरी स्वावलंबन मिशन के प्रमुख रहे किसान नेता किशोर तिवारी राज्य सरकार के फैसले का अभिनंदन करते हुए यह भी कहते है कि लाइसेंस की जटिलता नहीं रहना चाहिए. बकौल तिवारी-हमने महुआ उत्पादन को किसान व आदिवासी आत्मनिर्भरता का आधार माना है. बांस की तरह महुआ की खेती होने की दिशा में मार्ग खुला है. लेकिन उत्पादन, बिक्री को लेकर लाइसेंस की अडचन नहीं रहना चाहिए. सरकार ने महुआ बिक्री संबंधी फैसले के साथ कुछ शर्तो का जिक्र किया है. वह स्पष्ट होना चाहिए.

  • सबसे अधिक विदर्भ को लाभ

जानकारों का कहना है कि महुआ उत्पादन की पाबंदिया हटाने से सबसे अधिक विदर्भ को लाभ मिलेगा. राज्य में १२ करोड़ में से ९.३५ फीसदी अर्थात एक करोड़ से अधिक आबादी आदिवासी समाज की है. आदिवासी बहुल ३५ जिलों में ८ प्रमुख जिले गडचिरोली, चंद्रपुर, यवतमाल, पालघर,नाशिक, नंदुरबार, रायगढ़ जिले में परंपरागत जनजातीय समुदाय के लोग है. विदर्भ के सभी ११ जिले में आदिवासी समुदाय के लोग रहते है. भंडारा, गोंदिया व नागपुर के कुछ तहसीलों में भी इनकी संख्या अधिक है. इन क्षेत्र में महुआ आधारित प्रक्रिया उद्योग खुलने से रोजगार बढ़ेगा. महुआ से इथेनाल भी बनता है. केन्द्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी जैविक र्इंधन को बढ़ावा दे रहे है.

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