* अमरावती आईआईएमसी का शीघ्र भवन
* सूचनाएं कोई भी दे सकता है, पत्रकार बनने चाहिए सोच व समझ
अमरावती/ दि.7 – भारतीय जन संचार संस्थान के महानिदेशक डॉ. संजय व्दिवेदी ने कहा कि, सोशल मीडिया सूचनाओं का माध्यम है. उसकी विश्वसनीयता नहीं है. मुख्य मीडिया की विश्वसनीयता है और वह अपने पाठकों व दर्शकों के प्रति जवाबदेह रहता है. मीडिया स्वाभाविक रुप से बदलता है, किंतु उसकी जिम्मेदारी नहीं. डॉ. व्दिवेदी गत शाम अमरावती मंडल से विशेष बातचीत कर रहे थे. वे जन संचार संस्थान के अमरावती केंद्र को भेंट देने अमरावती पधारे थे. उन्होंने पत्रकार दिवस उपलक्ष्य अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल से भेंट की. इस दौरान अमरावती केंद्र क्षेत्रीय निदेशक डॉ. वी. के. भारती, विकास अधिकारी संजय पाखोडे भी उपस्थित थे. डॉ. व्दिवेदी ने अमरावती क्षेत्रीय केंद्र से लेकर मीडिया और सोशल मीडिया सहित अनेक विषयों पर बात की. अमरावती मंडल के प्रश्नों के समर्पक उत्तर दिये. उनकी विनम्रता और सहज भाषा प्रभावित कर गई.
डॉ. व्दिवेदी ने मुख्य मीडिया की जिम्मेदारी और विश्वसनीयता को अकाट्य बतलाया. उन्होंने कहा कि, सोशल मीडिया केवल सूचनाएं देने का माध्यम है. सूचना कोई भी दे सकता है. समाचार देने के लिए उस व्यक्ति की सोच और समझ की दरकार होती है. इसलिए जन संचार संस्थान है. पहले के दौर में किसी की नैसर्गिक प्रतिभा को उस समय के प्रकाशन संस्थान के जिम्मेदार लोग मार्गदर्शन करते और पत्रकारीय सोच व समझ विकसित करते. धीरे-धीरे वह प्रतिभा पत्रकार के रुप में आकार लेती है. कुछ इस तरह का ही शाश्वत कार्य भारतीय जन संचार संस्थान कर रहा है.
* प्रस्तुति प्रभावी बनाएं
प्रिंट और इलेक्ट्रानिक के साथ मीडिया के और भी रुप डेवलप हो रहे हैैं. ऐसे में कडी स्पर्धा के दौर में समाचार, सूचनाएं सभी के पास है. उसकी प्रस्तुति को महत्व प्राप्त हो गया है. इसलिए मीडिया में सफल रहने अपनी प्रस्तुति को प्रभावी बनाना आवश्यक है. जन संचार केंद्र ऐसे ही दक्ष पत्रकारों को तेैयार करने का केंद्र है. जिसमें लगातार युवा वर्ग की रुचि बढ रही है. यह अच्छे संकेत हैं.
* 600 सीटें, 12,000 आवेदन
डॉ. व्दिवेदी अनेक पुस्तकों के रचयिता भी हैं. अपने चिंतन और लेखन से उन्होंने मीडिया को नए दौर और उसकी चुनौतियों से निपटना बतलाया है. उन्होंने बताया कि, जन संचार संस्थान के मास कम्युनिकेशन पाठ्यक्रम में छात्र-छात्राओं की रुचि बढी है. पहले जहां संस्थान के देशभर के केंद्रों पर मुश्किल से 3 हजार आवेदन प्रवेश हेतु आते, अब 600 स्थानों हेतु 12 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हो रहे हैं. जिसमें से छंटनी करनी पडती है. दक्ष पत्रकार बनने के लिए विषय की जानकारी, दर्शनशास्त्र, समाजशास्त्र की भी रूचि होनी चाहिए.
* तीनों भाषाओं में कोर्स
डॉ. संजय व्दिवेदी ने अमरावती क्षेत्रीय केंद्र के बारे में बताया कि, यहां तीनों भाषाओं अंग्रेजी, हिंदी तथा मराठी में पाठ्यक्रम चलाया जा रहा है. उसी प्रकार संस्थान का प्रयास रहता है कि, जो सुविधाएं और लेक्चर दिल्ली में मिलते है, उसी प्रकार की सुविधाएं और पढाई अमरावती में भी रहे. उचित प्रशिक्षण भाषाओं में दिया जा रहा हैं. कौशल विकास पर बल दिया जाता है. इसी का सुफल है कि, अमरावती में पढ रहे विद्यार्थियों ने मात्र डेढ माह के प्रशिक्षण पश्चात तीनों भाषाओं में जनरल प्रकाशित किये हैं.
* बडनेरा में 15 एकड भूमि प्राप्त
अमरावती क्षेत्रीय केंद्र हेतु महाराष्ट्र सरकार ने हाल ही में बडनेरा के निकट 15 एकड भूमि प्रदान की है. उसका अवलोकन शुक्रवार को डॉ. व्दिवेदी और डॉ. भारती ने किया. डॉ. व्दिवेदी ने बताया कि, शीघ्र ही वहां भवन निर्माण और अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाएगी. आवासीय परिसर भी विकसित होगा. उन्होंने अमरावती केंद्र के नागपुर स्थानांतरण की आशंका को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि, केंद्र हेतु जमीन का आवंटन हो गया है. जमीन पर सबसे पहले कंपाउंड वॉल का काम अति शीघ्र शुरु होगा.
मोदी की प्रशंसा
महानिदेशक डॉ. व्दिवेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विविध क्षेत्र में सक्रियता और संवाद की क्षमता को अद्भुत बतलाया. उन्होंने कहा कि, मोदी ने जो कहा, वह कर दिखाने का अलग मॉडल प्रस्तुत किया है. इसी कारण वे भारतभर के पसंदीदा बने हैं. खूबियां और गुणों की बात करे तो भारत के अन्य किसी प्रधानमंत्री में एकसाथ इतनी विशेषताएं उन्हें नजर नहीं आती. उन्होंने सउदाहरण कहा कि, मोदी चाहते तो अपनी मां के निधन पर भी काफी तामझाम कर सकते थे. ऐसे पद पर रहने वाले व्यक्ति को इस प्रकार के मोह हो जाते हैं. किंतु यहां भी मोदी अनूठे रहे. एक-एक पल का सदुपयोग करते हुए मोदी अपनी मां के अंतिम संस्कार पश्चात कुछ ही घंटों में काम पर लग गए थे.