अमरावती

जलापूर्ति में मजीप्रा का नियोजन ‘फेल’

समय-बेसमय छोडा जा रहा पानी

* अनियमित जलापूर्ति से नागरिक परेशान
अमरावती/दि.14- अमरावती शहर को जिले के सबसे बडे अप्पर वर्धा बांध से पीने के लिए साफ-सुथरे पानी की आपूर्ति होती है और गत वर्ष अच्छी बारिश होने के चलते अप्पर वर्धा बांध का नल दमयंती तालाब पूरी तरह से भर गया था. वहीं इस समय भीषण गर्मी रहने के बावजूद इस तालाब में 50 फीसद जलसंग्रहण है, जो अमरावती शहर की प्यास बुझाने के लिए काफी हद तक पर्याप्त है. लेकिन इसके बावजूद जलापूर्ति की जिम्मेदारी रहनेवाले महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण की नियोजन शून्यता के चलते अमरावती शहर वासियों को पानी के लिए कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. साथ ही जलापूर्ति का कोई निश्चित समय नहीं रहने और रात-बेरात नलों से पानी छोडे जाने के चलते लोगोें को अपनी नींद खराब करते हुए अपनी जरूरत के लिए पानी भरना पड रहा है. जिससे आम नागरिकों को काफी परेशानियां भी हो रही है. किंतु इन सब बातों से शायद जीवन प्राधिकरण का मानो कोई लेना-देना ही नहीं है.
बता दें कि, विगत कई वर्षों से जीवन प्राधिकरण द्वारा अमरावती शहर में रोजाना की बजाय एक दिन की आड लेकर पानी की आपूर्ति की जा रही है. इसमें भी केवल एक से डेढ घंटे तक नलों से पानी छोडा जाता है और इन दिनों दाब काफी कम रहने के चलते नलों से आनेवाले पानी की धार बेहद पतली रहती है. ऐसे में लोगों को एक-एक बाल्टी पानी के लिए नल के सामने घंटों बैठे रहना पडता है. साथ ही उन्हें पर्याप्त पानी भी नहीं मिल पाता. जिसकी वजह से दिनोंदिन लोगों में जीवन प्राधिकरण को लेकर रोष व संताप की लहर फैल रही है. वहीं कुछ इलाकों में जीवन प्राधिकरण द्वारा रात 12 बजे नलों से पानी छोडा जाता है. यह अपने आप में सबसे बडी परेशानी का सबब है.

* वर्ष 2033 का नियोजन अभी से करना जरूरी
‘ड’ वर्ग मनपा क्षेत्र रहनेवाले अमरावती शहर की जनसंख्या करीब 8 लाख के आसपास है और यहां पर शहर से 55 किमी दूरी पर स्थित मोर्शी में सन 1994 के दौरान बनाये गये अप्पर वर्धा बांध के नल-दमयंती तालाब यानी सिंभोरा डैम से जलापूर्ति की जाती है. साथ ही वर्ष 2016-17 में अमरावती शहर के लिए अमृत अभियान योजना शुरू की गई. जिसमें वर्ष 2033 में शहर की जनसंख्या 8 लाख 83 हजार 954 रहने की बात ग्राह्य मानते हुए किये जानेवाले काम प्रस्तावित किये गये थे. किंतु इन कामों की जरूरत अभी से ही महसूस की जा रही है, क्योंकि इस समय पूरा शहर जलकिल्लत की समस्या की वजह से त्राहीमाम् कर रहा है.

* फिर शुरू हो सकते है आंदोलन
उल्लेखनीय है कि पश्चिम विदर्भ क्षेत्र में अप्पर वर्धा बांध से होनेवाली जलापूर्ति के चलते अमरावती शहर को पानी के मामले में सबसे भाग्यशाली माना जाता है. क्योेंकि शहर को जलापूर्ति करनेवाले अप्पर वर्धा बांध में पूरे सालभर लबालब पानी भरा रहता है. परंतू इसके बावजूद भी जीवन प्राधिकरण के लचर कामकाज की वजह से अमरावतीवासियों को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड रहा है. यहीं वजह है कि, विगत कुछ दिनों से आये दिन अलग-अलग क्षेत्रों के नागरिकों द्वारा जीवन प्राधिकरण के कार्यालय पर पहुंचकर धरना प्रदर्शन जैसे आंदोलन किये जा रहे है. लेकिन इसके बावजूद भी समस्या जस की तस बनी हुई है. ऐसे में जीवन प्राधिकरण कार्यालय के समक्ष होनेवाले आंदोलनों की संख्या और भी अधिक बढ सकती है.

* गर्मी तेज रहने से पानी की मांग बढी
शहर में जलापूर्ति करने के लिए शहर को अप्पर झोन व लोअर झोन ऐसे दो विभागों में विभाजीत किया गया है और मोर्शी स्थित अप्पर वर्धा बांध से नियमित तौर पर चार पंपों के जरिये पानी लिया जाता है. इन दिनों गर्मी का प्रमाण काफी अधिक रहने के चलते पानी की मांग व जरूरत में काफी इजाफा हो गया है. जिसके चलते अगले सप्ताह से एक अतिरिक्त पंप भी शुरू किया जायेगा. शहर में जलापूर्ति करने हेतु डाली गई भूमिगत पाईपलाईन काफी पुरानी हो गई है. जिसकी वजह से इन पाईपलाईनों के जरिये छोडे जानेवाले पानी के प्रेशर को थोडा कम ही रखा जाता है, ताकि पाईपलाईन फुटने का खतरा न रहे.
– विवेक सोलंके
कार्यकारी अभियंता, मजीप्रा अमरावती

* शहर में नल कनेक्शन धारकों की संख्या
व्यवसायिक – 756
घरेलू – 94,319
संस्था – 336
सार्वजनिक – 1,167
कुल – 96,875

* पूरे साल में केवल 165 दिन आता है नल
– गर्मी के समय 65 दिनों तक रहती है ‘बोंबाबोंब’
चूंकि पानी की कमी की वजह को आगे करते हुए जीवन प्राधिकरण द्वारा विगत कुछ वर्षों से रोजाना जलापूर्ति करने की बजाय एक-एक दिन की आड में नलों से पानी छोडा जा रहा है. ऐसे में सालभर के 365 दिनों में से नागरिकों को कम से कम 182 दिन पानी मिलना चाहिए. लेकिन बीच-बीच में कई बार जीवन प्राधिकरण द्वारा जलापूर्ति वाहिनियों अथवा बांध पर लगे मोटर पंप की देखभाल व दुरूस्ती के नाम पर जलापूर्ति को बंद रखा जाता है और इसकी ऐवज में दूसरे दिन पानी नहीं छोडा जाता. ऐसे में कई बार लोगों को चार-चार दिनों तक बिना पानी के रहना पडता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, जीवन प्राधिकरण द्वारा पूरे सालभर के दौरान केवल 160 से 165 दिन ही नलों से पानी छोडा जाता है. इसमें भी गर्मी के मौसम दौरान पडनेवाले 60 से 65 दिनों के दौरान जीवन प्राधिकरण द्वारा मानों लोगों के धैर्य व सब्र की परीक्षा ही ले ली जाती है, क्योंकि इन दिनों के दौरान नाममात्र की जलापूर्ति होती है और लोगबाग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाते है. इसे सीधे तौर पर महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण के स्थानीय कार्यालय व अधिकारियों की नाकामी कहा जा सकता है.

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