वर्ष 2022 की प्रमुख घटनाएं
* जनवरी – शिवाजी पुतले को लेकर तपा माहौल
12 जनवरी को जिजाउ जन्मोत्सव का औचित्य साधतते हुए खुद को शिवप्रेमी बताने वाले कुछ लोगों ने राजापेठ रेलवे ओवर ब्रिज पर छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला लाकर स्थापित कर दिया था. पश्चात बिना अनुमति पुतला स्थापित करने को लेकर काफी हंगामा मचा था. विधायक रवि राणा ने राजापेठ पर स्थापित पुतले का पूजन करने के साथ ही इस कृत्य का समर्थन किया था. जिसके चलते राणा समर्थक और स्थानीय प्रशासन आमने-सामने आ गए थे. वहीं करीब चार दिन बाद नियमों का हवाला देते हुए, मनपा प्रशासन ने कडे पुलिस बंदोबस्त के बीच राजापेठ रेलवे ओवर ब्रिज से छत्रपति शिवाजी महाराज के पुतले को हटा दिया था.
* फरवरी – स्याही फेंक मामले से गरमाई राजनीति
राजापेठ रेलवे ओवर ब्रिज से छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा को हटाए जाने के बाद राणा समर्थकों में मनपा प्रशासन को लेकर काफी हद तक संताप व्याप्त था. जिसकी परिणिती 9 फरवरी को हुई. जब राणा समर्थकों ने मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर पर राजापेठ रेलवे अंडरपास में स्याही फेंकी. इस घटना को लेकर आयुक्त आष्टीकर व्दारा राजापेठ पुलिस थाने में दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर विधायक रवि राणा सहित करीब 11 लोगों के खिलाफ हत्या के प्रयास जैसा संगीन अपराध दर्ज किया गया था. पश्चात पुलिस व्दारा राणा समर्थकों की धरपकड का सिलसिला शुरु किया गया. हालांकि विधायक रवि राणा पूरा समय अमरावती से बाहर ही थे और अग्रीम जमानत मिलने के बाद ही अमरावती वापस लौटे.
* मार्च – मनपा व जिप का कार्यकाल खत्म, प्रशासक राज शुरु
8 मार्च को मनपा के पदाधिकारियों व पार्षदों का कार्यकाल खत्म हुआ. मनपा के सदन का कार्यकाल खत्म होने से पहले मनपा के आम चुनाव को लेकर नवंबर माह से ही सरगर्मियां तेज हो गई थी. किंतु प्रभागों की सदस्य संख्या को लेकर प्रभाग रचना व आरक्षण का मामला कई बार अधर में लटका. जिसकी वजह से चुनाव नहीं कराए जा सके. ऐसे में 8 मार्च को मनपा के सदन का कार्यकाल खत्म होते ही 9 मार्च से मनपा में प्रशासक राज शुरु हो गया और आयुक्त आष्टीकर को प्रशासक के तौर पर मनपा का जिम्मा मिला. ठीक इसी तरह 9 मार्च को जिला परिषद का कार्यकाल खत्म हुआ और जिला परिषद में भी प्रशासक राज शुरु होकर जिप के सीईओ अविश्यांत पंडा को प्रशासक पद की जिम्मेदारी मिली.
* अप्रैल – हनुमान चालिसा को लेकर अमरावती से मुंबई तक हंगामा
अप्रैल माह के दौरान सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा ने शिवसेना के पार्टी प्रमुख व तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मातोश्री बंगले के सामने हनुमान चालिसा पढने का एलान किया. साथ ही राणा दंपति अपनी घोषणा पर अमल करने मुंबई पहुंचे, जहां पर उन्हें मुंबई पुलिस व्दारा राजद्रोह सहित अन्य धाराओें के तहत गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था. इस मामले को लेकर अमरावती से मुंबई तक हंगामा मचा रहा और अनेको बार राणा समर्थक व शिवसैनिक आमने-सामने हुए.
वहीं 17 अप्रैल की रात अचलपुर में दुल्हागेट पर झंडा लगाने को लेकर दो समुदायों के बीच तनाव वाली स्थिति बनी. इस समय दोनो ओर से पत्थरबाजी भी हुई और आपसी झडप वाले हालात भी बने. जिसकी वजह से अचलपुर सहित परतवाडा व कांडली परिसर में कर्फ्यू लगा दिया गया. वहीं 18 अप्रैल से परतवाडा में चिलखदरा मार्ग पर स्थित प्रागंण में अंतर्राष्ट्रीय ख्याती प्राप्त कथा वाचिका जयाकिशोरीजी व्दारा नानीबाई का मायरा की कथा सुनाई जानी थी, जिसके लिए परतवाडा निवासी दुर्गाशंकर अग्रवाल व परिवार के आग्रह पर जयाकिशोरीजी का परतवाडा में आगमन हुआ और नानीबाई का मायरा की तीन दिवसीय कथा निर्विध्न रुप से संपन्न हुई.
* जून – कोल्हे हत्याकांड के चलते देशभर में सनसनी
अमरावती सहित समूचे महाराष्ट्र राज्य के लिए जून महिना काफी उठापटक व चर्चाओं से भरा रहा. इसी महिने में राज्यसभा व विधानसभा के चुनाव निपटने के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में कई सेना विधायकों ने शिवसेना के खिलाफ बगावत कर दी और करीब 40 सेना विधायक मुंबई छोडकर सूरत जा पहुंचे. वहीं 21 जून को अमरावती में उमेश कोल्हे हत्याकांड घटित हुआ. जिसे लेकर लंबे समय तक सनसनी मची रही और 29 जून को जैसे ही इस हत्याकांड की वजह सामने आई वैसे ही अमरावती का नाम राष्ट्रीय स्तर की मीडिया में झलकना शुरु हो गया. इसी बीच राज्य में शिंदे गुट व्दारा की गई बगावत के चलते राजनीतिक उठापटक का दौर चलता रहा. जिसकी वजह से 30 जून को उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास आघाडी सरकार गिर गई.
* अगस्त – सानुग्रह घोटाला मामला उजागर
कई निवेशकों के साथ करोडों रुपए की धोखाधडी को लेकर सानूग्रह घोटाला उजागर हुआ था. 19 अगस्त को उजागर हुए इस मामले में आगे चलकर नवंबर माह के दौरान पहली बार अमरावती के सिटी कोतवाली पुलिस स्टेशन में अपराध दर्ज. इस मामले की जांच को रुकवाने के संदर्भ में मुंबई के तत्कालीन पुलिस आयुक्त संजय पांडे व्दारा अमरावती की तत्कालीन पुलिस आयुक्त आरती सिंह के नाम पर लिखे गए पत्र को लेकर काफी हंगामा भी मचा था.
* दो विराट संत सम्मलनों से पावन हुई शहर व जिले की धरती
गुजरते वर्ष 2022 के दौरान अगस्त माह में अमरावती में और नवंबर माह के अंत में अचलपुर में दो विराट संत सम्मेलन हुए. जिनमें देश के विभिन्न हिस्सों से कई बडे-बडे संतो-महंतों व महात्माओं का आगमन हुआ. पहला आयोजन अगस्त माह में गणेश उत्सव के दौरान अमरावती के चिंतामणी नगर में हुआ. जहां पर चिंतामणी गणेश मंदिर के निर्माण का प्रारंभ करने 10 दिवसीय चिंतामणी महायज्ञ का आयोजन किया गया था. वहीं दूसरा आयोजन नवंबर माह के अंत में अचलपुर के पास बालाजीपुरम स्थित सुलतानपुरा परिसर में हुआ. जहां पर एकादश कुंडात्मक श्रीराम कथा महायज्ञ का आयोजन किया गया था. जिसके तहत करीब एक माह तक संत सम्मेलन चला और कथा के प्रारंभ अवसर पर संतों की भव्यरथ यात्रा निकाली गई. इन दोनों आयोजनों के चलते संबंधित क्षेत्रों में भावभक्ति की गंगा प्रवाहित हुई.