अमरावती/दि.22 – कृषि विभाग व्दारा किसानों के लिए अमल में लाये जाने वाले विविध योजनाओं के निकष काफी पुराने हुए है. वह निकष वर्तमान स्थिति में किसानों को मुश्किलभरे साबित हो रहे है. इस कारण निकषों में बदलाव करना चाहिए, इस तरह की मांग पूर्व पालकमंत्री विधायक प्रवीण पोटे पाटील ने कृषिमंत्री दादाजी भुसे से पत्र व्दारा की.
किसानों ने पारंपारिक पध्दति से खेती व्यवसाय न करते हुए नए तंत्रज्ञान से खेती करनी चाहिए, ऐसा कृषि विभाग बार-बार कहता है. किसानों का मनोबल बढाने की दृष्टि से अनेक नई-नई योजनाएं तैयार की जाती है. उसमें एकात्मिक फलोत्पादन, भाऊसाहेब फुंडकर फलबाग बुआई, एमआरजीएस तथा पोकरा अंतर्गत कृषि बुआई योजना का समावेश है. यह योजना भले ही नई है. फिर भी उनका किसानों को लाभ देने संबंधित व बुआई संबंधित के निकष मात्र सभी योजनाओं के लिए पुराने है. किसानों ने कृषि विद्यापीठ की शिफारिश के अनुसार नई-नई प्रजाति, फलों की वृक्ष प्रजाति तैयार की है. उसमें कम अंतराल में ज्यादा ुफल वृक्ष लगाए तो उन्हें अनुदान के लिए पात्र नहीं ठहराया जाता है. इसमें कम से कम क्षेत्रफल में ज्यादा से ज्यादा वृक्ष बुआई हो सकती है. और कम समयावधि में ज्यादा उत्पन्न किसानों को मिल सकता है. किंतु कृषि विभाग व्दारा फल बाग की बुआई के लिए शासकीय अनुदान का लाभ लेने के निकष पुराने है.
किसानों ने दूसरी प्रजाति के फलबाग लगाई तो उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलता. आम वृक्ष की कलम 10 बाय 10 मीटर में 100 पेड हेक्टरी लगाने चाहिए व संतरा, मौसंबी, कागदी नीम 6 बाय 6 मीटर में हेक्टरी 277 पेड लगाने चाहिए, ऐसे निकष है. किसान नई-नई प्रजाति के फलबाग नहीं लगा सकते. अगर किया तो किसानों को अनुदान प्राप्त्ा नहीं होता. उसके लिए कृषि विभाग के पुराने धोरणात्मक नियमों में बदलाव करना यह समय की जरुरत है. किसान योजना का लाभ किस प्रकार से ले सकते है, यह उस क्षेत्र की जमीन पर व फलबाग बुआई की प्रजाति पर करना चाहिए. जिले के कृषि विभाग की रोप वाटिका को अनुदान प्राप्त न होने से उसकी देखभाल दुरुस्ती व नए-नए वृक्षों से व फलों के कलम उपलब्ध नहीं हो पाते. राष्ट्रीय अन्न सुरक्षा योजना अंतर्गत गोदाम बांधनेेे की योजना यह गट अंतर्गत अमल में लाने के संदर्भ में नियमावलि रहने से जिले में एक भी गोदाम की मांग नहीं की गई और मंजूरी प्रदान नहीं की गई. जिससे गोदाम बांधकाम की योजना पोकरा योजना अंतर्गत किसानों को व्यक्तिगत रुप से देने की योजना अमल में लायी तो किसानों को उनका माल रखने की दृष्टि से सुविधाजनक होगा और ज्यादा से ज्यादा किसान इसका लाभ लेंगे, ऐसा विधायक प्रवीण पोटे ने पत्र में कहा है.