अमरावती

कृषि प्रदर्शनी के सफल आयोजन के लिए प्रभावी नियोजन करे

राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने दिए निर्देश

अमरावती/ दि. 1– किसानों का उत्पादन बढाने के लिए नैसर्गिक कृषि को बढावा दिए जाने के लिए आधुनिक तकनीक की उन्हें जानकारी हो, इसलिए विभागीय कृषि प्रदर्शनी का जिले में आयोजन किया जा रहा है, तथा मेलघाट परिक्षेत्र में ‘ग्रो फॉरेस्ट्री’ की संकल्पना अपनायी जा रही हैं. जिसमें प्रदर्शनी के सफल आयोजन के लिए नियोजन करे ऐसे निर्देश राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने अधिकारियों को दिए.
संभागीय आयुक्त कार्यालय में विभागीय कृषि प्रदर्शनी के आयोजन को लेकर समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया था. जिसमें वे बोल रहे थे. बैठक में संभागीय आयुक्त डॉ. दिलीप पांढरपट्टे, जिलाधिकारी पवनीत कौर, विभागीय कृषि सहसंचालक किसन मुले, वनसंरक्षक जी.के. अनारसे, विभागीय वनाधिकारी एस.एस. करे, जिला नियोजन अधिकारी वर्षा भाकरे, आत्मा प्रकल्प संचालिका श्रीमती ए.व्ही. निस्ताने उपस्थित थे.
समीक्षा बैठक में डॉ. अनिल बोंडे ने आगे कहा कि, किसानों का उत्पादन बढाने हेतु व उन्हें नई कृषि तकनीक की जानकारी दिए जाने के लिए इसके पूर्व हर साल जिले में कृषि महोत्सव का आयोजन किया जाता रहा हैं. किंतु पिछले दो साल कोरोना संकट काल में कृषि महोत्सव का आयोजन नही किया गया. इस साल जिले में नए-नए उपक्रम चलाए जाने के उद्देश्य से कृषि प्रदर्शनी का आयोजन करना आवश्यक हैं. प्रदर्शनी के नियोजन के लिए समिती स्थापित की जाए और नए उपक्रम अंतर्गत जिला प्रशासन व कृषि विभाग प्रदर्शनी के लिए निधि का प्रावधान करे.
चार दिवसीय कृषि प्रदर्शनी का उद्घाटन कृषि मंत्री व पालकमंत्री के हस्ते किया जाएगा, तथा कृषि विषेयज्ञों की मुलाकात, कृषि विषय पर आधारित चर्चा सत्र, नैसर्गिक कृषि ठिंबक सिंचन, पशु संवर्धन, कृषि उत्पादो की बिक्री यहां की जाएगी तथा कृषि से संबंधित यंत्र, उपकरण, कृषि बैंक, महिला बचत गुट, कृषि पूरक व्यवसाय, कृषि विद्यापीठ मार्गदर्शन केंद्र आदि के 200 स्टॉल्स लगाए जाएंगे. प्रदर्शनी में नाफेड, मदर डेअरी, फार्मर प्रड्यूसर आर्गनाइजेशन, फेडरेशन के पदाधिकारियों को निमंत्रित किया जाएगा, और वे कृषि पूरक व्यवसाय के संदर्भ में किसानों का मार्गदर्शन करेंगे.
मेलघाट क्षेत्र में ‘ग्रो फॉरेस्ट्री’ संकल्पना सफल हो सकती है. इसके अंतर्गत वहां के आदिवासी किसान बंधुओं को उनकी जमीन अथवा वन पट्टो पर मनरेगा योजना से मोहफूल, जामून, आम, नींबू, सीताफल, बांबू, सफेद मुसली, चारोली जैसी औषधियों की बुआई हेतु प्रोत्साहित करे. इससे वनोें का संरक्षण भी होगा, साथ ही पयर्टन को भी बढावा मिलेगा और आदिवासी बंधुओं को उत्पादन के साधन उपलब्ध होंगे, ऐसा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने समीक्षा बैठक में कहा.

Related Articles

Back to top button