अमरावती

कुपोषण व बाल मौतों पर लगेगा झोन कार्यक्रम से नियंत्रण

सीईओ पंडा ने जारी किये आदेश, मेलघाट में अमल शुरू

अमरावती/दि.28– प्रतिवर्ष चलाये जानेवाले झोन कार्यक्रम के जरिये मेलघाट में कुपोषण की वजह से होनेवाली बाल मौतों को रोकने हेतु स्वास्थ्य महकमे को सफलता मिल रही है. जिसके मद्देनजर जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी व प्रशासक अविश्यांत पंडा के निर्देशानुसार मेलघाट के चिखलदरा व धारणी तहसीलों में 21 अप्रैल से झोन कार्यक्रम का अमल शुरू कर दिया गया है.
बता दें कि, मेलघाट में सन 1993 के दौरान पहली बार कुपोषण की समस्या दुनिया के सामने आयी, तब से स्वास्थ्य एवं आयसीडीएस विभाग द्वारा कुपोषण को दूर करने हेतु विविध उपाय किये जा रहे है और मेलघाट में स्वास्थ्य विभाग के जरिये कई उपाययोजनाओं को लागू किया गया है, लेकिन इसके बावजूद भी कुपोषण एवं इसकी वजह से होनेवाली बाल मौतों की संख्या कम नहीं हो रही. ऐसे में समस्या को पूरी तरह से खत्म करने का लक्ष्य अब तक हासिल नहीं हो पाया है.
उल्लेखनीय है कि, कुपोषण सहित बाल मौतों को कम करने के लिए चलाई जानेवाली उपाय योजनाओं के तहत प्रति वर्ष बारिश का मौसम शुरू होने से पहले अप्रैल माह में मान्सून पूर्व झोन तथा जून माह में मान्सून झोन कार्यक्रम पर अमल किया जाता है. जिनके सार्थक परिणाम भी अब दिखाई देने लगे है. इस बात के मद्देनजर जिप सीईओ अविश्यांत पंडा ने जारी अप्रैल माह के दौरान मेलघाट में मान्सून पूर्व झोन कार्यक्रम शुरू करने का आदेश दिया है और 21 अप्रैल से मेलघाट में झोन कार्यक्रम पर अमल करना शुरू कर दिया है. इस झोन कार्यक्रम अंतर्गत प्रत्येक क्षेत्र के लिए एक स्वतंत्र पथक तैयार किया जाता है और इस पथक को स्वास्थ्य विभाग द्वारा तय किये गये कार्यक्षेत्र में शामिल प्रत्येक गांव में जाकर शून्य से छह वर्ष आयुगुटवाले बच्चों, नवप्रसूता माताओं, गर्भवती महिलाओं तथा कमजोर व बीमार महिलाओें सहित गांव में रहनेवाले सभी लोगोें की स्वास्थ्य जांच करते हुए उनका औषधोपचार किया जाता है. प्रति वर्ष चलाये जानेवाले इन दो झोन कार्यक्रमों के जरिये मेलघाट में कुपोषण व बालमौतों पर काफी हद तक नियंत्रण पाने में सफलता प्राप्त हुई है. जिसके परिणाम स्वरूप इस कार्यक्रम को अब और भी अधिक व्यापक स्तर पर चलाया जा रहा है.

* 72 पथक करते है काम
मेलघाट की धारणी व चिखलदरा इन दो तहसीलों में कुल 72 स्वास्थ्यक पथकों की स्थापना की जाती है. हर पथक में डॉक्टर, स्वास्थ्य सेविका, स्वास्थ्यक सेवक, सुपरवाईजर व स्वास्थ्य सहायक का समावेश होता है और सभी पथकों को पहले से तय किये गये टाईम टेबल के अनुसार अलग-अलग दिन सुबह 9 से शाम 5 बजे तक अलग-अलग गांवों में जाकर वहां रहनेवाले सभी लोगों की स्वास्थ्य जांच करनी होती है.

मेलघाट में प्रतिवर्ष अप्रैल व जून माह के दौरान झोन प्रोग्राम चलाया जाता है. इन दोनों उपक्रमों की वजह से मेलघाट में कुपोषण के साथ ही बाल मौतों व माता मृत्यु के प्रमाण को कम करने का प्रयास किया जा रहा है. इस वर्ष सीईओ कार्यालय से जारी निर्देशों के अनुसार झोन कार्यक्रम पर अमल किया जा रहा है.
– डॉ. दिलीप रणमले
जिला स्वास्थ्य अधिकारी

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