अमरावती

10 आदिवासी जिलों में कुपोषण का तांडव

बाल मौतों के बढते मामलों से सरकार की नींद उडी

* 2024 तक बाल उपचार केंद्रों को शुरु रखने का निर्णय
गढचिरोली/दि.27 – केंद्र और राज्य सरकार की विविध योजनाओं के बावजूद गर्भवतियों और बाल मृत्यु के मामले राज्य सरकार की नींद उडा रहे हैं. राज्य सरकार ने दावा किया है कि, राज्य के आदिवासी क्षेत्र के 10 जिलों में कुपोषण (बाल मृत्यु) की स्थिति गंभीर है.
राज्य में कुपोषण का प्रमाण गढचिरोली, नंदुरबार, नासिक, पालघर, चंद्रपुर, यवतमाल, पुणे, धुलिया, गोंदिया और ठाणे इन 10 जिलों में है. सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने 22 जुलाई को जारी पत्रक में इसका उल्लेख किया है. माता मृत्यु और बाल मृत्यु का बढता ग्राफ कम करने के लिए राज्य में इन 10 जिलों की 30 तहसीलों में बाल उपचार केंद्र भी कार्यान्वित किए गए थे. यह सभी केंद्र अब तक शुरु रहे हैं.
लेकिन परिणाम सकारात्मक नहीं आने से सरकार ने इन सभी बाल उपचार केंद्रों को 2024 तक शुरु रखने का निर्णय लिया है. राज्य में कुपोषण कम करने के लिए स्थानीय स्तर के लोगों की भागीदारी से राजमाता जिजाउ स्वास्थ्य व पोषण अभियान चलाया जाएगा.

* वित्त आयोग के फंड से 477.60 लाख
माता बौर बाल मृत्यु दर कम करने के लिए आदिवासी क्षेत्र के जिले में बाल उपचार केंद्रों को फिर से सक्षम बनाने और वहीं पर बुनियादी सुविधाओं को मुहैया कराने अब राज्य सरकार गंभीर है. उपरोक्त 30 तहसीलों के केंद्रों के लिए 13 वें वित्त आयोग के फंड से 477.60 लाख रुपए की निधि का प्रावधान किया गया है.

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