मनुष्य सृष्टि की रचना है और भाषा मनुष्य की सर्वोत्तम रचना : डॉ. राऊत
संगाबा अमरावती विद्यापीठ में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिन पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन
अमरावती/दि.28– संत गाड़गेबाबा अमरावती विद्यापीठ में मराठी व हिंदी विभाग के संयुक्त तत्वावधान में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया गया.
इस समय डॉ. अनंत राऊत ने अपने व्याख्यान में कहा कि विविधता पूर्ण सृष्टि की विशेषता है और इसकी सुंदरता इसमें छिपी है. मनुष्य सृष्टि की रचना है और भाषा मनुष्य की सर्वोत्तम रचना. दुनियाभर में भाषाओं की विविधता को स्वीकार किए बिना किसी भी भाषा के एकाधिकार को बढ़ने देना स्वाभाविक नहीं है. अपने विद्वतापूर्ण भाषण में डॉ. राऊत ने आगे कहा कि यह चिंता का विषय है कि दुनिया की बोलियां तेजी से लुप्त होती जा रही है. अपनी मातृभाषा मराठी के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि मराठी विश्व की पंद्रहवी सबसे बड़ी भाषा है और भारत में तीसरी या चौथी सबसे बड़ी भाषा है हमें इसका पोषण व महिमामंडन करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए.
कार्यक्रम की शुरुआत संत गाड़गेबाबा का अभिवादन कर की गई. इस समय मराठी एवं हिंदी विभाग प्रमुख डॉ. मोना चिमोटे ने कहा कि विश्वभर में बोली जाने वाली भाषाओं का महिमामंडन करने के लिए 21 फरवरी को मातृभाषा दिन मनाया जाता है. 1952 में बंगाली भाषा की सुरक्षा के लिए ढाका विश्वविद्यालय में बड़े पैमाने पर छात्र आंदोलन हुए छात्रों को सैनिकों ने गोली मार दी. अपनी मातृभाषा के प्रति इन छात्रों के जुनून और इसके प्रति उनके समर्पण को याद करने के लिए यूनेस्को ने 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रुप में घोषित किया और आज यह पूरे विश्व में मनाया जाता है. उन्होंने कहा कि दुनियाभर में बोली जाने वाली विभिन्न बोलियां समृद्ध हैं और उनकी शब्दावली का उपयोग मानव ज्ञान को बढ़ाने के लिए किया जा सकता है. इसलिए इन सभी बोलियों को पोषित करने की आवश्यकता है.
* संगाबा विद्यापीठ व भारतीय शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजन
संत गाड़गेबाबा अमरावती विद्यापीठ एवं भारतीय शिक्षा बोर्ड के संयुक्त तत्वावधान में मातृभाषा दिन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि डॉ. किशोर क्षत्रिय ने मराठा भाषा के विकास, मराठी साहित्य के प्रकार, भारुड, अभंग, शौर्य गीत, पोवाडे, कीर्तन की जानकारी देते हुए कहा कि यदि मातृभाषा को विकसित करना है तो शिक्षकों के लिए इसे अपनाना और उसे छात्रों तक पहुंचाना आवश्यक है. इस अवसर पर स्नातकोत्तर शिक्षा विभाग के शिक्षक, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित थे.