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मानस ने भारत को चरित्रवान बनाया-दिनेश शर्मा

महेश भवन में गोस्वामी तुलसीदास जयंती समारोह

* नरेडी परिवार का धर्मप्रेमी अंबानगरी को उपहार
अमरावती/दि.24- गोस्वामी तुलसीदास जी रचित रामचरित मानस रामायण ने भारत वर्ष को राम जैसा मर्यादा पुरुषोत्तम चरित्र दिया. जिससे भारत वर्ष चरित्रवान हुआ. इस ग्रंथ ने भारत को बताया कि अच्छाई क्या होती है, आदर्श क्या होते हैं. पिता की शपथ को राम ने सहर्ष स्वीकार किया. सीता भी उसी दिन महान बनी जब वह अपने यजमान के साथ खुशी-खुशी और जिद करके वनवास को गई. यह प्रतिपादन कुशल वक्ता और विचारक एड. दिनेश शर्मा ने किया. वे बुधवार शाम महेश भवन के शंकरलाल राठी सभागार में गोस्वामी तुलसी जयंती उपलक्ष्य अनिल नरेडी परिवार व्दारा आयोजित समारोह में बोल रहे थे. मंच पर नरेडी के संग राजस्थानी हितकारक मंडल के अध्यक्ष तथा अमरावती मंडल के संपादक अनिल जु. अग्र्रवाल, पुणे से पधारे आर्ट ऑफ लिविंग तथा जॉयफुल सुंदरकांड ग्रुप के सुनील पोद्दार विराजमान थे.
* सामाजिक विषय को छूआ
दिनेश शर्मा ने मानस के उदाहरण देकर आज की महत्वपूर्ण हो चली सामाजिक समस्या को भी टटोला. उसका हल देने का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि समाज में आज लडकियां छोटे शहर और बडे परिवार में विवाह से विमुख हो रही हैं. जिससे बडी समस्या पैदा हो गई है. इसका निराकरण रामायण के चरित्रों का अनुकरण कर किया जा सकता है. त्याग ने ही देश, काल को उबारा है. उन्होंने कहा कि अमिताभ बच्चन के पिता हरिवंशराय बच्चन ने उन्हें सीख दी थी कि मन का हो तो अच्छा, मन का न हो तो ज्यादा अच्छा. इसका अर्थ यही है कि ईश्वर की इच्छा आपके लिए बेहतर रहती है. अनेक उदाहरणों से यह बात सिद्ध हुई है. अपने आपको ईश्वर के समर्पण कर देते ही चमत्कार आरंभ हो जाते हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के भी उद्धरण दिए. जिन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वे पीएम अथवा सीएम बनेंगे. अपने आपको समर्पित कर दिया था.
* चरित्र के आलोक में दमकता है जीवन
दिनेश शर्मा ने कहा कि ईश्वर की शक्ति निश्चित ही अधिक है और जो बात ईश्वर तय करता है वह मनुष्य समाज के लिए श्रेष्ठ ही होती है. राम के चरित्र के आलोक में भारत वर्ष की वीरता, वैभव बढा. लोगों के भीतर की प्रतिभा को राम के चरित्र ने निखारा. उन्होंने पुन: हनुमानजी, जामवंत के उदाहरण दिए. रामजी के सानिध्य में आते ही हर कोई जो देश, काल, समाज के लिए श्रेष्ठ होता है, वह करने लग जाता है. उन्होंने दावा किया कि तुलसीदास जी की कृति के बाद ही देश काल में स्वतंत्रता का शंखनाद हुआ.
* नित्य पढिएं रामायण-नरेडी
समारोह का सतत दूसरे बरस सुंदर, श्लाघनीय आयोजन करनेवाले अनिल नरेडी ने विनम्रतापूर्वक सभी से नित्य रामायण, सुंदरकांड पाठ करने की सलाह दी. इससे जीवन में सकारात्मक चमत्कार होने, जीवन सहज, सुलभ होने की बात कही. उन्होंने कोरोना महामारी दौरान अपनी आपबीती भी सुनाई. जीवन में कमाल होने का दावा किया. उसी प्रकार हर बरस तुलसी जयंती पर आयोजन को परंपरा बनाने की घोषणा भी की. संचालन सुनील नवरंगराय अग्रवाल ने बखूबी किया. आयोजन में शहर के अनेक गणमान्य सहर्ष उपस्थित थे. जिनमें सर्वश्री सुनील अग्रवाल ,अशोक नरेडी, उर्मिला नरेडी, ममता गोयनका, घनश्याम गोयनका, पूजा गोयनका, संजय चौधरी, दिलीप साबू, दिलीप शर्मा, श्याम शर्मा, हुक्मीचंद खंडेलवाल, प्रकाश केडिया, राधेश्याम अग्रवाल, कैलाश केडिया, प्रभाष अग्रवाल, डॉ नविन हन्तोद्कर, डॉ अर्चना तापडिया, डॉ.गिरीश तापडिया, अनिल सिकची, नीरज अग्रवाल, कैलाश अग्रवाल, रोशन कडू, विजय अग्रवाल, राजकुमार ककरानिया, रूचि ककरानिया, संजय ककरानिया, भारत चिरानिया, डॉ.हेमंत मुरके , डॉ करुना मुरके, कमल डागा, गजानन नवल, मोहनलाल अग्रवाल, प्रमोद चूड़ीवाला, सुनीता चूड़ीवाला, प्रमोद भर्तिया, सुनीता भर्तिया, विनोद अग्रवाल, आराधना अग्रवाल, देवन्द्र अग्रवाल, सावित्री अग्रवाल, उमा अग्रवाल, जीतू अग्रवाल, दिलीप अग्रवाल, डॉ.अशोक नरेडी, उर्मिला नरेडी, सर्शिवेश नरेडी, कविता नरेडी, शिल्पा दवे, रामेश्गवर गगड़, आशा गगड़, दीपिका गगड़, जुगलकिशोर गट्टानी, सुशीला गट्टानी, संजय झुनझुनवाला, कन्हैया खत्री, मनोहरलाल भूत, निर्मला भूत, गिरीश जालान, उर्मिला कलंत्री, सौरभ बागडिया, विजय शर्मा, गायत्री बागडिया, सरोज शर्मा, सीए सुनील सलाम्पुरिया, अधिवक्ता आर. बी. अट्टल, विजय अग्रवाल, माहेश्वरी पंचायत के सरपंच जगदीश कलंत्री, संजय नरबान, अशोक लड्ढा, लता बहेती, शिरीष ज़न्वेर, उन्मेष चंडक, सुदर्शन गांग, घनश्याम ककरानिया, सूरज गुप्ता, अक्षय मंत्री, प्रदीप गोधंकर, संजय अग्रवाल, गोपाल ज़न्वेर, अंजू सलाम्पुरिया, रिंकू सलामपुरिया, राजश्री चौधरी, राजेश्वरी खंडेलवाल, कृष्णा खंडेलवाल, गोपाल अग्रवाल, हंसा अग्रवाल, योगेश अग्रवाल, भारती अग्रवाल, शिव्कुंर अग्रवाल, सुरभि अग्रवाल, मुकेश लोहिया, आरती मेहरे, नंदिनी बरतारे, चारुदत्त लोखंडे, भागवताचार्य चौबेजी, कविता नरेडी, सर्वेश नरेडी, अनिल नरेडी, श्याम शर्मा, उमेश सेवक, गोकुल गग्गड, सुरेश राठी, शांतिलाल कलंत्री, उमेश चांडक, नम्रता गग्गड, प्रा. मुकेश लोहिया, गोपाल राठी गोविंदा, प्रणय अनिल अग्रवाल, कनिका गग्गड, गोपाल सोनी, मधुसूदन डागा, कमल डागा, राजेंद्र जाजू, शीला डागा, रचना राठी, राजू दायमा, लीलाधर मोर, डॉ. प्रीतिबेन गोटी, विजय अग्रवाल मामाजी, मुकेश जोशी, अनिल पुरवार, मनोहर ओझा, घनश्याम भूतडा, संजय भूतडा सहित बडी संख्या में मातृशक्ति का समावेश रहा. आयोजन अनेक मायनों में सफल सार्थक रहा. नरेडी परिवार के सदस्य व्यवस्था बनाए रखने और आगंतुकों की आवभगत में सतत लगे रहे. उसी प्रकार सेवाधारियों ने भी चाव से कार्य संपन्न किया. सुरुचिपूर्ण सजावट की गई थी. फूलों की लडियों के साथ सुंदर रंगोली ने प्रबंध की शोभा, गरिमा बढा दी थी.

* तुलसी के विचारों को जीवंत रखना
संपादक अनिल अग्रवाल ने नरेडी परिवार के आयोजन की प्रशंसा करते हुए कहा कि, आज के दौर में ऐसे आयोजन आवश्यक है. इसका उद्देश्य तुलसी के विचारों को जीवंत रखना है. रामायण, राम, रावण की कथा तक गोस्वामी तुलसीदास जी को सीमित कर दिया गया था. नरेडी परिवार उसे प्राचीन ग्रंथों से बाहर निकालकर जनमानस में ला रहा है. यह बडी बात है. सराहनीय है. प्रशंसनीय है. नरेडी परिवार ने अमरावती की सुंदर परंपराओं में एक और श्रृंखला जोड दी है. अग्रवाल ने मुख्य वक्ता दिनेश शर्मा व्दारा आधुनिक दौर में समाज में विवाह व्यवस्था को लेकर बढ रही समस्या का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि राजस्थानी हितकारक मंडल पूरे मनोयोग से इस समस्या के निराकरण का प्रयत्न कर रहा है. आपस में विवाह संबंध के लिए दो परिचय सम्मेलन सफलतापूर्वक हो चुके हैं. प्रदेश और देश के अन्य भागों में भी यह विचार पहुंचा है. जिसे अपनाया जा रहा है. अग्रवाल ने खचाखच भरे सभागार में बताया कि भारत आज चंद्रयान सफलता से आल्हादित है. तुलसीदास जी ने 500 बरस पहले ही सूर्य की पृथ्वी से दूरी बता दी थी. इसके लिए उन्होंने हनुमान चालीसा की पंक्तियां उद्ध्रत की.

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