अमरावती

गाली-गलौज व हाथापायी से कलंकित हुई मनपा सदन की गरिमा

एक ही सप्ताह के दौरान दूसरी बार शर्मसार हुई अंबानगरी

अमरावती/दि.18– गत रोज स्थानीय महानगर पालिका की आमसभा का कामकाज जारी रहने के दौरान जिस तरह से बसपा गुट नेता चेतन पवार व एमआईएम गुट नेता अब्दुल नाजीम द्वारा एक-दूसरे के लिए असंसदीय शब्दों का प्रयोग किया गया. साथ ही दोनों ही सदन के भीतर जिस तरह एक-दूसरे से भीडते हुए मारपीट करने पर उतारू हो गये, उससे मनपा सदन की लोकतांत्रिक मर्यादा भंग होने के साथ ही मनपा का संसदीय इतिहास भी कहीं न कहीं कलंकित जरूर हुआ है. साथ ही विगत आठ दिनों के दौरान अमरावती शहर में यह दूसरी ऐसी घटना रही, जिसकी वजह से पूरे शहर को शर्मिंदगी का सामना करना पडा. इससे पहले जहां विगत बुधवार 9 फरवरी को मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर पर राजापेठ रेलवे अंडरपास में स्याही फेेंकने की शर्मनाक घटना घटित हुई थी, जिसका हर स्तर पर तीव्र निषेध किया गया था. वहीं अब मनपा की आमसभा में जनता द्वारा निर्वाचित दो प्रतिनिधि आपस में जिस तरह एक-दूसरे के साथ भिडते हुए मारपीट पर उतारू हुए और उन्होंने जिन असंसदीय शब्दों का सदन के भीतर प्रयोग किया, वह भी कम शर्मनाक नहीं है.
बता दें कि, गत रोज मनपा की आमसभा की कार्रवाई जारी रहते समय साफ-सफाई के ठेके से संबंधित प्रस्ताव पर चर्चा चल रही थी. जिसमें बसपा गुट नेता चेतन पवार का कहना रहा कि, चूंकि अब तीन सदस्यीय प्रभाग पध्दति को अमल में लाया जा रहा है. अत: इससे पहले चार सदस्यीय प्रभाग पध्दति को ध्यान में रखते हुए दिये गये ठेकों को रद्द कर नई प्रभाग रचना के अनुसार साफ-सफाई के ठेके नये सिरे से जारी किये जाये. इस समय कई पार्षदों द्बारा इस प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा गया कि, मनपा के कई सफाई ठेकेदारों ने ‘थ्री प्लस वन प्लस वन’ के करार को ध्यान में रखते हुए पंचवर्षीय ठेके के लिहाज से कचरा उठाने वाले वाहनों एवं साफ सफाई के उपकरणों पर पैसा निवेश किया था. प्रथम तीन वर्ष के लिए ठेका देते समय कहा गया था कि, तीन वर्ष पश्चात काम की गुणवत्ता को देखते हुए आगे एक-एक वर्ष की समयावृद्धी दी जाएगी लेकिन अब नई प्रभाग रचना की वजह को आगे करते हुए सभी ठेकेदारों के ठेके को खारिज करने का प्रयास किया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है. अत: इस विषय पर इस आमसभा में निर्णय लेने की बजाय इसे चुनाव पश्चात गठित होने वाले अगले सदन के लिए छोड देना चाहिए और चुनाव पश्चात निर्वाचित होने वाले नये पार्षद इस विषय में स्थिति का आकलन करते हुए कोई निर्णय लेंगे. अनेकों पार्षदों द्बारा किये जा रहे इस विरोध से कुछ हद तक बौखलाकर बसपा गुटनेता चेतन पवार ने अकस्मात कह दिया कि, तुम सब लोग यहा सफाई ठेकेदारों की वकालत करने आये हो क्या और उनकी कितनी वकीली क्यों कर रहे हो, जिस पर आक्षेप लेते हुए एमआईएम गुटनेता अब्दूल नाजिम ने चेतन पवार से अपने शब्द वापिस लेने हेतू कहा. किंतु चेतन पवार ने अपने शब्दों पर छेद जताने की बजाय अब्दूल नाजिम को ‘चल हट बे’ कहकर झिडकार दिया. इससे संतुप्त होकर अब्दूल नाजिम बेहद तैश में अपने स्थान से उठकर चेतन पवार के पास पहुंचे और दोनों के बीच जबर्दस्त कहा सुनी हुई. साथ ही दोनों पार्षदों ने एक दूसरे के गिरेबान पर हाथ डालते हुए एक दूसरे से कुछ हद तक मारपीट भी कर ली. जिससे पूरा सदन सकते में आ गया.
उल्लेखनीय है कि, जिस समय मनपा सदन में चेतन पवार व अब्दूल नाजिम के बीच मारपीट होने के साथ-साथ एक दूसरे पर बेहद अश्लीन व भद्दी गालियां देने का सिलसिला चल रहा था तब सदन में विभिन्न दलों की महिला पार्षद भी उपस्थित थी. किंतु चेतन पवार और अब्दूल नाजिम को इस बात का कोई भान नहीं था और महिला पार्षदों की मौजूदगी में दोनों ही एक दूसरे के लिए अपशब्दों का प्रयोग कर रहे थे. जिससे महिला पार्षदों को भी काफी हद तक शरर्मींदगी का सामना करना पडा.
ज्ञात रहे कि, किसी भी लोकतांत्रिक सदन की अपनी एक मार्यांदा की गरिमा होती है तथा उस सदन का हिस्सा रहने वाले सदस्यों को उसी अनुरुप अपना व्यवहार रखना होता है. संसदीय मर्यादाओं में शालिनता को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और वैचारिक बहस को पूरा स्थान भी दिया जाता है. किंतु इन दिनों लोकतांत्रिक सदनों में इस संसदीय मार्यादा का अक्सर उल्लंघन होता दिखाई देने लगा है और जनप्रतिनिधियों द्बारा कई बार अपनी संसदीय जिम्मेदारियों को ताक पर रख दिया जाता है. कई बार सस्ती लोकप्रियता के चक्कर में भी असंसदीय व्यवहार होते है. जिसे लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिहाज से काफी खतरनाक भी कहा जा सकता है. गत रोज एक छोटी सी बात को लेकर जिस तरह से गुटनेता जैसे जिम्मेदार पद पर आसिन दो नगर सेवक अपने आपे से बाहर हुए, उसके बाद उनके समर्थकों का जमावडा भी मनपा परिसर में लगना शुरु हो गया. यह तो गणिमत रहे कि, समय रहते मनपा परिसर में पुलिस भी आ चुकी थी और मनपा परिसर से पूरी भीड भाड को हटाया गया. अन्यथा आमसभा के भीतर हुई घटना का असर मनपा के प्रांगण में भी दिखाई दे सकता था. ऐसे में कहा जा सकता है कि, यदि दोनों ही पार्षदों द्बारा थोडा संयम से काम लिया जाता और एक दूसरे के प्रति शालिन व्यवहार करते हुए संसदीय शब्दों का प्रयोग किया जाता तो शायद कल की घटना को टाला जा सकता था.

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