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मंडल अधिकारी दंदाले और सहनिबंधक पेठे बरी

मामला झूठे दस्तावेज तैयार करने का

* गट्टानी का तारखेडा का प्लॉट बेचा था
* कोर्ट ने कहा अपनी ड्यूटी कर रहे थे दोनों, कोई कसूर नहीं
अमरावती /दि.9- मुख्य न्याय दंडाधिकारी एस. जे. भट्टाचार्य ने करीब 11 वर्ष पुराने तारखेडा के पद्मा किशोर गट्टानी के प्लॉट विक्री में दूसरी महिला को खडा कर धोखाधडी करने के मामले में लिप्त होने के आरोप से तत्कालीन मंडल अधिकारी राजू दंदाले और सह दुय्यम निबंधक वर्ग-2 अविनाश पेठे को दोषमुक्त कर दिया है. कोर्ट ने आदेश में कहा कि, दंदाले और पेठे ने अपना सरकारी कर्तव्य का काम किया. उसी प्रकार उन पर आरोप पत्र दायर करने से पहले नियमानुसार सक्षम अधिकारी की पूर्व अनुमति भी नहीं ली गई थी. इसलिए अदालत दोनों को दोषमुक्त कर रही है. इस मामले में दंदाले की तरफ से एड. अनिल विश्वकर्मा और पेठे की ओर से एड. देवेंद्र दापुरकर ने पैरवी की.
* क्या है प्रकरण?
पद्मा किशोर गट्टानी के मौजे तारखेडा, शेत सर्वे नं.-20 के प्लॉट क्रमांक-12, क्षेत्रफल 3480 वर्ग फीट को आरोपी तबस्सुम शेख अब्दूल समद, राधेश्याम बद्रीनाथ राठी, शेख बशीर शेख अब्दूल, संजय चिरकुटराव नेवारे ने जाली कागजात के आधार पर बेच डाला. इस प्रकार की शिकायत किशोर गट्टानी ने गाडगे नगर थाने में दर्ज की. पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध धारा 420, 465, 466, 467, 468, 471, 34 के तहत अपराध दर्ज किया. जांच में पुलिस ने पाया कि, आरोपी सुनील शंकरलाल मालानी, जयकुमार नारायणदास मंत्री, दिनेश गणेशदास बूब, राजू दंदाले मंडल अधिकारी, अविनाश पेठे सह दुय्यम निबंधक वर्ग-2, तत्कालीन पटवारी रमेश रामकृष्ण कालबांडे, सचिन संजय सैनी, अंजार परवेज खान व सैयद शोएब अली को भी आरोपी बनाया गया.
* दोषमुक्ति का आवेदन
उपरोक्त आरोपियों ने पद्मा गट्टानी की जगह दूसरी बनावटी महिला को दुय्यम निबंधक कार्यालय में प्लॉट की खरीदी के समय खडा कर झूठे दस्तावेजों के आधार पर दूसरे आरोपियों को बेच दिया. जिसका फेरफार तत्कालीन पटवारी ने कर दिया. फेरफार को तत्कालीन मंडल अधिकारी ने स्वीकृति दी. ऐसे आरोप दंदाले और पेठे पर लगाये गये. जांच कर मुख्य न्याय दंडाधिकारी की अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया. जिससे दंदाले और पेठे ने अपने को दोषमुक्त करने की याचिका प्रस्तुत की.
* दापुरकर और विश्वकर्मा के युक्तिवाद
आरोपियों की ओर से एड. अनिल विश्वकर्मा और एड. दापुरकर ने कोर्ट में दोर देकर कहा कि, आरोपियों का उक्त अपराध से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने सरकारी अधिकारी के रुप में अपना कर्तव्य पूर्ण किया है. उसी प्रकार उनके विरुद्ध न्यायालय में दोषारोप पत्र दाखल करते समय धारा 197 के अनुसार सक्षम अधिकारी की अनुमति लेना आवश्यक था. वह नहीं ली गई. न्यायाधीश भट्टाचार्य ने दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद आरोपी राजू दंदाले और अविनाश पेठे को दोषमुक्त कर दिया. एड. विश्वकर्मा को इस प्रकरण में एड. नम्रता साहू, एड. मनोज नरवाडे, एड. ऋतुराज भोरे ने सहयोग किया.

 

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