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अमरावती विमानतल के तौर पर हो रही स्वप्नपूर्ति

समिपस्थ बेलोरा स्थित अमरावती विमानतल से हवाई उडाने शुरु होने की उत्सुकता विगत लंबे समय से अमरावती शहर व जिले सहित पूरे संभाग में देखी जा रही थी. जो कल पूर्ण होने जा रही है. जब अमरावती विमानतल का विधिवत उद्घाटन होने के साथ ही इस विमानतल से पहली बार कमर्शियल पैसेंजर फ्लाईट भी शुरु होगी. जिसके चलते 16 अप्रैल 2025 की तारीख को अमरावती जिले के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा.
वैसे तो अमरावती में बेलोरा एअरपोर्ट की असल शुरुआत सन 1992 में ही हो गई थी. जब इस विमानतल पर रनवे बनाया गया था. इसके बाद सन 1997 में इस विमानतल को एमआयडीसी ने अपने कब्जे में लिया. पश्चात यह विमानतल एमएडीसी को हस्तांतरित किया गया. साथ ही वर्ष 2014 में राज्य सरकार ने अमरावती विमानतल 60 वर्ष के लिए भारतीय विमानतल (एएआय) को किराया तत्व पर दिया. जिसके तहत मासिक किराया एक लाख रुपए तय किया गया. जिसके बाद एएआय ने विमानतल को विकसित करने की योजना तैयार की, जिसके तहत रनवे का विस्तार 2500 मीटर तक करने के साथ ही सन 2019 में नए विमानतल की नीव रखी गई और निर्माण के पहले चरण में रनवे के विस्तार, नए अ‍ॅप्रॉन व नई टर्मिनल बिल्डींग का समावेश किया गया.
बेलोरा विमानतल का विकास व विस्तार करने हेतु अमरावती जिले के तत्कालीन पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख के कार्यकाल दौरान 26 फरवरी 2009 को शासन निर्णय जारी कर मान्यता दी गई थी. और बीओटी तत्व पर महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी की नियुक्ति विशेष उद्देश्य कंपनी के तौर पर की गई थी. इस प्रकल्प की कुल कीमत 279.31 करोड रुपए मंजूर की गई थी. साथ ही जोड मार्ग व भूसंपादन इत्यादी के लिए 64.33 करोड रुपए मंजूर किए गए थे. सन 1997 में एमआईडीसी के अख्तियार में रहनेवाली तत्कालीन विमानतल की 64.87 हेक्टेअर जमीन, 3 हजार चौरस फीट वाली प्रशासकीय इमारत एवं एटीसी टॉवर इमारत इत्यादी को एमएडीसी की ओर विनामूल्य हस्तांतरित कर दिया गया था. जिसके बाद विमानतल के विस्तारीकरण व विकास हेतु इस परिसर की 287 हेक्टेअर जमीन को नए सिरे से अधिकृत किया गया. साथ ही 18 हेक्टेअर जमीन अमरावती-यवतमाल रास्ते के स्थलांतरण हेतु सार्वजनिक लोक निर्माण विभाग को हस्तांतरित की गई. वर्ष 2013 के बाद इस विमानतल के संदर्भ में तत्कालीन मुख्यमंत्री के अतिरिक्त सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग व एएआय के अध्यक्ष विजयप्रकाश अग्रवाल की 17 जुलाई 2013 को हुई बैठक में एएआय ने इस विमानतल को विकसित करने की तैयारी दर्शायी. जिसके चलते महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने 28 फरवरी 2014 को शासनादेश जारी कर यह विमानतल विस्तार व विकास हेतु एएआय को हस्तांतरित कर दिया. जिसके अनुसार फिलहाल अस्तित्व में रहनेवाले विमानतल व उस पर हुए निर्माण के साथ ही संपादित की गई 411 हेक्टेअर जमीन अगले 60 वर्ष की कालावधि हेतु एएआय को किराया तत्व पर नूतनीकरण के प्रावधानो सहित हस्तांतरित की गई. विविध करों में सहुलियत देकर बडनेरा-यवतमाल जोड रास्ते, विमानतल को जोडने हेतु फोर लेन रास्ते, विद्युत वाहिनी की पुनर्स्थापना व जलापूर्ति जैसे कामों के लिए 34 करोड रुपयों के खर्च को मान्यता दी गई थी. परंतु वर्ष 2015 तक इसमें से कोई भी काम हकिकत में साकार नहीं हुआ था और इस तरह वर्ष 2009 से 2014 तक सरकारी स्तर पर बार-बार होनेवाले नीतिगत बदलाओं के अलावा कोई काम नहीं हुआ था.
इसके उपरांत वर्ष 2014 में एक बार फिर अमरावती के विधायक चुने जाने के बाद डॉ. सुनील देशमुख ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर विमानतल से संबंधित सभी महकमों के साथ बैठक आयोजित करने का निवेदन किया था. जिसके चलते 23 अप्रैल 2015 को जिले के सभी जनप्रतिनिधियों के साथ तत्कालीन केंद्रीय नागरी उड्ड्ययन मंत्री गजपति राजू एएआय के अध्यक्ष विजय अग्रवाल की बैठक केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की प्रमुख उपस्थिती में आयोजित की गई थी. उस बैठक में एएआय के अध्यक्ष ने अपेक्षित यात्री संख्या नहीं मिलने की वजह को आगे करते हुए अमरावती विमानतल के अव्यवहारिक रहने की बात कही थी और विमानतल का विकास व विस्तार करने में असमर्थता जताई थी. जिसके चलते एअरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से विमानतल का विकास होने की आशा धुमिल हो गई थी. ऐसी स्थिति में विमानतल विकास के अलावा अन्य महत्वपूर्ण मंजूरी प्राप्त कामों के लिए सरकारी स्तर पर सातत्यपूर्ण प्रयास कर अप्रैल 2019 में 39.33 करोड रुपयों की निविदा प्रक्रिया एमएडीसी द्वारा शुरु की थी. जिसमें उस समय अस्तित्व में रहनेवाले रनवे की लंबाई बढाने के साथ ही अप्रन एरिया, अंतर्गत रास्ते, ड्रैनेज सिस्टीम, जोड रास्ते व अन्य कामों का समावेश था. निविदा प्रक्रिया शुरु रहने के दौरान ही तत्कालीन वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बजट में अमरावती विमानतल हेतु निधि का प्रावधान किया. वहीं निविदा निश्चित होकर काम का ठेका मुंबई की एआयसी इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. को मिला. पश्चात इस काम का भूमिपूजन तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथो 13 जुलाई 2019 को जिले के सभी जनप्रतिनिधियों व गणमान्यों की उपस्थिति में हुआ था. वहीं अब निर्माण कार्य खत्म होकर बेलोरा विमानतल का मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथो शुभारंभ होने जा रहा है.
हकिकत में उस वक्त रनवे का काम टायरिंग कोट तक पूरा कर दिया गया था. जिसके जरिए बेलोरा विमानतल से एटीआर-72 प्रकार वाले यात्री विमानों की उडान शुरु होगी. इसी तरह प्रशासकीय इमारत, टर्मिनल बिल्डींग व एटीसी टॉवर को लेकर 59 करोड रुपयों की निविदा अंतिम चरण में रहते समय कोविड संक्रमन का दौर शुरु हो गया था और सारी प्रक्रिया ठप हो गई थी. लेकिन कोविडकाल के खत्म हो जाने के बाद भी सरकार एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के स्तर पर कोई प्रयास नहीं हो रहे थे. जिसके चलते डॉ. सुनील देशमुख ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इस पर हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार को कडी फटकार लगाई थी. जिसके बाद अमरावती विमानतल के विकास ने गति पकडी. साथ ही हाईकोर्ट द्वारा फडकाए जाने के बाद एमएडीसी ने अमरावती विमानतल के समयबद्ध विकास का काम करने का हलफनामा भी पेश किया था.
इन तमाम उतार-चढाव से होकर गुजरते हुए जिले के विकास में मील का पत्थर साबित हो सकनेवाले अमरावती विमानतल को आखिरकार डीजीसीए की ओर से हवाई उडाने शुरु करने के लिए मैसेज मिल गया है और विकास कामों के कई चरणों को पार करते हुए आखिरकार 14 वर्ष की लंबी प्रतीक्षा के बाद विमानतल के उद्घाटन व हवाई उडानों के शुभारंभ वाला सौभाग्यशाली दिन अमरावतीवासियों के नसीब में आ रहा है. जब कल 16 अप्रैल को अमरावती विमानतल का उद्घाटन होने के साथ ही इस विमानतल से मुंबई के लिए हवाई जहाज उडान भरेगा.
जहां तक इस विमानतल के नामकरण का सवाल है तो इस विमानतल को शिक्षा महर्षी डॉ. पंजाबराव देशमुख का नाम दिए जाने का प्रस्ताव अमरावती महानगर पालिका व अमरावती जिला परिषद की आमसभाओ में सर्वसम्मती से पारित हो चुका है. साथ ही साथ जिले के सांसद बलवंत वानखडे ने भी लोकसभा में अमरावती विमानतल को डॉ. पंजाबराव देशमुख का नाम देने की मांग केंद्र सरकार के सामने उठाई थी. इसके अलावा फुले, शाहू, आंबेडकर, भाऊसाहेब देशमुख फाऊंडेशन द्वारा भी अमरावती विमानतल को डॉ. पंजाबराव देशमुख का नाम देते हुए विमानतल परिसर में भाऊसाहेब का पूर्णाकृति पुतला स्थापित करने की मांग को लेकर जिलाधीश कार्यालय के समक्ष प्रदर्शन किया गया था. यदि यह मांग भी पूरी हो जाती है तो इसे सोने पर सुहागा वाली बात कहा जा सकेगा.
– ओमप्रकाश झोड
रिसर्च स्कॉलर

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