अमरावती

कुत्तों में ‘लुल्या’ का संक्रमण बढा

पातू लकुत्तों के स्वास्थ्य की ओर ध्यान देना जरुरी

अमरावती/दि.11 – कुत्तों पर ही विभिन्न संक्रामक रोगों का प्रादूर्भाव होता है. कुछ संसर्गजन्य रोग तो इतने घातक होते है कि, उसका संक्रमण इंसानों में भी फैलने की संभावना रहती है. कई बार त्वचा संबंधी बीमारियां होती है. जिसके अलावा लुल्या नामक बीमारी के चलते कुत्तों के पिछले पैर निष्क्रिय हो जाने यानि लुले पड जाने की भी संभावना रहती है. ऐसे में अपने घर का पालतू कुत्ता सुस्थिति में है अथवा नहीं इसकी ओर ध्यान देना बेहद आवश्यक है.
* क्या है लुल्या रोग संसर्ग
कुत्तें के दोनो पिछले पैर लुले पड जाते है और वह अगले 2 पैरों पर चलते हुए पीछे के दोनों पैरों को घसीटता है. कुत्तों में यह बीमारी संधीवात से संबंधित हो सकती है. विशेष उल्लेखनीय है कि, डीजेनेरोटीव मायलोपैथी से संबंधित यह बीमारी होती है.
* कुत्तों का टीकाकरण जरुरी
कुत्तों को विविध प्रकार की बीमारियों का संक्रमण ना हो, इस हेतु आवश्यक सतर्कता बरतना बेहद जरुरी है. इसके लिए कुत्तों का नियमित तौर टीकाकरण कराना चाहिए. तभी पालतू कुत्तें सुस्थिति में रहते है.
– प्रत्येक कुत्तें को हर तरह की बीमारी का प्रतिबंधात्मक टीकाकरण आवश्यक नहीं है. बल्कि इसका निर्धारण कुत्ते की आयु और जीवनशैली के आधार पर किया जाता है. यदि कुत्ते के चेहरे पर सुजन है, उसे उल्टीया हो रही है और वह आलसी हो गया है, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क किया जाना चाहिए.
* महंगी होती है दवाईयां
विशेष उल्लेखनीय है कि, सरकारी पशु चिकित्सालय में कुत्तों की दवाईयां उपलब्ध नहीं होती. बल्कि यह दवाईयां निजी मेडिकल स्टोअर से खरीदनी पडती है, जो अच्छी खासी महंगी होती है. जिसके चलते कुत्ते पालने का शौक रखने वाले लोगों को कुत्तों के इलाज और देखभाल पर अच्छा खासा पैसा खर्च करना पडता है.
* पालतू कुत्तों की देखभाल जरुरी
घर में पाले गए कुत्ते की देखभाल एवं उसके स्वास्थ्य हेतू संतुलित आहार बेहद महत्वपूर्ण है. इसके साथ ही उसके स्वास्थ्य के लिए टीकाकरण को औषधोपचार की ओर भी पूरा ध्यान देना पडता है.
कुत्तो में पिछले पैर लुले पड जाने के कई कारण होते है. जिसके लिए अलग-अलग प्रतिबंधात्मक टीके उपलब्ध है. ऐसे मेें पालतू कुत्तों में इस बीमारी के कोई भी लक्षण दिखाई देते ही तुरंत उसकी स्वास्थ्य जांच करानी चाहिए और जरुरत पडने पर प्रतिबंधात्मक टीके लगवाने चाहिए.
– डॉ. सागर ठोसर,
पशु चिकित्सक

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