अमरावती/दि.6– भारतीय त्यौहारों के साथ कहीं ना कहीं प्रकृति गिरी हुई होती है और भारतीय लोग एक तरह से निसर्ग पूजक है तथा खेत से निकलने वाले अनाज को भी लक्ष्मी के रुप में पूजा जाता है. इसी निमित्त गत रोज अमरावती शहर सहित जिले में बडे भक्तिभाव से आठवी का पर्व मनाया गया और किसानों ने माता लक्ष्मी से खेतों में रहने वाली अपनी फसलों की रक्षा करने की प्रार्थना की है.
बता दें कि, देवी के 9 रुपों में से आठवी भी एक रुप है और आठवी से ही सात दिन बाद लक्ष्मीपूजन किया जाता है. जिसके चलते आठवी के पर्व को दीपावली के आगमन का संकेत माना जाता है और आठवी वाले दिन ही माता लक्ष्मी को दीपावली हेतु आमंत्रित किया जाता है.
गत रोज आठवी पर्व के निमित्त बाजार में ज्वारी के धांडे (झोपडी) आवला, इमली, बेर, फूल व छोटे मटके जैसे साहित्य विक्री हेतु उपलब्ध थे. जिनकी भाविक श्रद्धलुओं ने बडे पैमाने पर खरीदी की. आठवी वाली रात ज्वारी के पांच जंठलों को एकत्रित बांधकर उसके नीचे छोटे मटके रखे जाते है और मटकों के भीतर आवला, बेर व इमली रखकर उन्हें ढांक दिया जाता है. जिस पर चांद व सूर्य की प्रतिमा सहित प्रथानुसार कुछ लोग हाथी की प्रतिमा रखते हुए पूजा करते है और धूप, नैवैद्य व फुल चढाने के साथ ही आरती पूजन करते हुए आंबिल का प्रसाद अर्पित करते है. पश्चात नवमी की सुबह भी इसी तरह से आंगण में पूजा करते हुए नैवेद्य अर्पित किया जाता है. जिस के बाद सभी भाविक प्रसाद ग्रहण करते है. कई भाविकों के यहां आठवी वाले पर्व पर ज्येष्ठा गौरी यानि महालक्ष्मी का पूजन व प्रसाद भी आयोजित किया जाता है और नवमी वाले दिन गौरी का विसर्जन किया जाता है.