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पिता समेत आंबेडकरी संगठनों की मांग
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जिला पुलिस अधिक्षक को सौंपा निवेदन
अमरावती/प्रतिनिधि दि.१० – जिले की चांदूर बाजार निवासी उच्च शिक्षित मनीषा गेडाम के हत्यारे सागर गुंडव को समय समय पर मदत करने वाली चांदूर बाजार पुलिस को भी इस हत्याकांड में आरोपी बनाने की मांग का निवेदन मृत मनीषा के पिता बापुराव गेडाम समेत आंबेडकरी संगठन के कार्यकर्ताओं ने जिला ग्रामीण पुलिस अधिक्षक को सौंपा है. उनका दावा है कि चांदूर बाजार थाने में दर्ज शिकायत पर पुलिस समय रहते कार्रवाई करती तो इस हत्याकांड को अंजाम देने से पहले सागर गिरफ्तार होता और मनीषा की जान बचती.
आज जिला ग्रामीण पुलिस अधिक्षक को निवेदन सौंपने के बाद यहां आयोजित पत्रकार परिषद में कहा गया कि महाविद्यालयीन शिक्षा लेते समय मनीषा का परिचय सागर गुंडव के साथ हुआ. शायद उनके बीच प्रेम संबंध भी निर्माण हुए होंगे, लेकिन बाद में जब सागर यह अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति रहने की बात मनीषा के निदर्शन में आयी. उसने सागर से बात करना बंद किया. इसका बदला यह निकाला गया कि सागर ने मनीषा के माता, पिता को तकलीफ देना शुरु किया. मनीषा के पिता और भाई को घर जाकर मारपीट की और बेटी का विवाह उसके साथ करवा दो नहीं तो हत्या करने की धमकी दी. जिसकी रिपोर्ट कई बार चांदूर बाजार पुलिस थाने में दर्ज की गई. वर्ष 2018 में दर्ज हुई शिकायत पर सागर गुंडव को जेल की सजा भी मिली थी. उससे त्रस्त होकर मनीषा गेडाम चांदूर बाजार छोडकर पुणा गई और वहां उसने नोैकरी ज्वाईंन की. उसके बाद भी सागर का मनीषा के माता, पिता को त्रस्त करना शुरु था. 14 फरवरी 2021 की रात सागर बापुराव गेडाम के घर रात 10 बजे चाकू लेकर आया और धमकी दी कि उनकी बेटी ने उससे बात नहीं की तो वह सभी की हत्या करेगा. जिसकी शिकायत दर्ज करने लडकी की मां चांदूर बाजार थाने में गई, लेकिन पुलिस ने शिकायत नहीं ली. 17 फरवरी को वकील व्दारा शिकायत दर्ज की गई. जिसपर सागर गुंडव के खिलाफ एट्रा सिटी एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया, लेकिन 452 धारा नहीं लगाई. 18 फरवरी की रात फिर सागर उनके घर पर आया. इसी दौरान समझ देने के लिए पुलिस वहां पहुंची और वह भाग निकला. तभी से वह फरार था. मनीषा के परिजनों ने कई बार पुलिस थाने में जाकर पूछताछ की, लेकिन जवाब यही मिलता था कि जांच शुरु है. मनीषा के पिता का आरोप यह है कि 20 से 22 दिन वह गांव में ही घुम रहा था, लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया. अगर पुलिस उसे गिरफ्तार करती तो आगामी अनर्थ टल सकता था. वह 13 मार्च को पुणा गया और मनीषा का पता लगाकर 10 मीनट उससे बात करने के लिए दुपहिया पर बिठाया और पुणे से 40 किलोमीटर दूर भोर के जंगल में ले जाकर पत्थर से कुचलकर उसकी हत्या की और लाश एक खाई में डालकर वह चांदूर बाजार वापस आया. 14 मार्च से 27 मार्च तक वह फिर चांदूर बाजार में ही था. इसी दौरान 14 मार्च को मनीषा की बडी बहन ने पुणे की चंदन नगर पुलिस में मनीषा के अपहरण की शिकायत दर्ज कर उसका संदेह सागर पर व्यक्त किया था. इस कारण अपहरण के मामले में उसे गिरफ्तार कर पुलिस पुणे ले गई. तब पूछताछ के दौरान उसने मनीषा की हत्या की कबुली दी. फिलहाल वह पुणा पुलिस की कस्टडी में है, लेकिन इस मामले में मनीषा के परिजनों ने चांदूर बाजार पुलिस की भूमिका पर संदेह व्यक्त कर उसे बचाने का प्रयास करने वाली पुलिस को भी सहआरोपी करने की मांग की है. आज पत्रकार परिषद में मनीषा के पिता बापुराव गेडाम के साथ सतीश सियाले, समाधान वानखडे, रामभाऊ पाटिल, वाल्मिक डोंगरे, अरुण आठवले, बाबुुराव गेडाम, शोभा सियाले, चित्रा गेडाम व प्रकाश बोरकर आदि उपस्थित थे.