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सुकली कंपोस्ट डिपो पर मनपा को फिर पडी सुप्रीम कोर्ट से फटकार

आयुक्त के हलफनामे पर सुप्रीम कोर्ट ने जताई असंतुष्टि

* सुप्रीम कोर्ट ने बॉयोमेडिकल कचरे की मात्रा पर उठाया सवाल
* अब रिपोर्ट सौंपने के लिए निरी को किया जाएगा नियुक्त
* मनपा पर हरित लवाद ने लगाया है 47 करोड का जुर्माना
अमरावती/दि.24 – अमरावती मनपा क्षेत्र अंतर्गत सुकली कंपोस्ट डिपो से होने वाले प्रदूषण के कारण राष्ट्रीय हरित लवाद द्बारा मनपा पर लगाए गए 47 करोड रुपए के जुर्माने को लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पिछली सुनवाई के समय सुप्रीम कोर्ट में बॉयोमायनिंग व प्रोसेसिंग यूनिट का काम कहा तक पहुंचा. इस संदर्भ में मनपा के अधिवक्ताओं द्बारा संतोषजनक जवाब नहीं दिए जाने के चलते आज 24 जुलाई को होने वाली सुनवाई में मनपा आयुक्त को पेश होने का निर्देश दिया था. जिसके चलते आज मनपा आयुक्त देविदास पवार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा पेश किया गया. लेकिन इस हलफनामे को लेकर भी न्या. अभय ओका व न्या. संजय करोल की खंडपीठ पूरी तरह से संतुष्ट नहीं दिखाई दी. ऐसे में मनपा को आज ही सुप्रीम कोर्ट की एक तरह से फटकार सुननी पडी. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए निरी को नियुक्त करने का आदेश जारी किया है.
उल्लेखनीय है कि, अमरावती मनपा क्षेत्र अंतर्गत सुकली कंपोस्ट डिपो पर घनकचरा व्यवस्थापन नहीं होने और मनपा क्षेत्र में बॉयोमायनिंग प्रकल्प नहीं रहने के चलते शहर में हो रहे प्रदूषण एवं पर्यावरण की हानि को लेकर पर्यावरण प्रेमी गणेश अनासाने ने राष्ट्रीय हरित लवाद के समक्ष मनपा के खिलाफ याचिका दायर कर रखी है. जिसके चलते राष्ट्रीय हरित लवाद ने अमरावती मनपा पर 47 करोड रुपए का जुर्माना लगाया था. जिसके खिलाफ अमरावती मनपा प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. जहां पर पर्यावरण प्रेमी गणेश अनासाने ने अपना पक्ष स्वयं रखा. वहीं मनपा ने अपना पक्ष रखने हेतु 2 अधिवक्ताओं की नियुक्ति की. परंतु पिछली तारीख पर हुई सुनवाई के समय मनपा के अधिवक्ताओं द्बारा किए गए युक्तिवाद से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ था. अत: सुप्रीम कोर्ट में आज हुई सुनवाई के दौरान मनपा आयुक्त को उपस्थित रहने हेतु कहा था. परंतु आयुक्त की ओर से पेश किए गए हलफनामे से भी सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ.

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