मनपा चुनाव आरक्षण से कांग्रेस के कई दिग्गजों की राह हुई आसान
भाजपा के लिए आरक्षण की स्थिति पैदा कर सकती है कुछ मुसीबत
अमरावती/ दि.29 – मनपा के आगामी चुनाव के लिए आज नए सिरे से आरक्षण का ड्रा निकाला गया.क्योंकि इससे पहले मनपा व्दारा एससी, एसटी व सभी संवर्गो की महिलाओं के आरक्षण का ड्रा निकाला गया था. वहीं अब सुप्रीम कोर्ट व्दारा ओबीसी आरक्षण को कायम रखते हुए ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराये जाने को हरी झंडी दिये जाने के चलते अब पिछली बार एससी, एसटी संवर्ग हेतु आरक्षित की गई सीटों के आरक्षण को यथावत कायम रखते हुए सर्वसाधारण प्रवर्ग के लिए छोडी गई सीटों में से ओबीसी आरक्षण का ड्रा निकाला गया. जिसके चलते पिछले ड्रा को ध्यान में रखते हुए अपनी-अपनी राजनीतिक गोटियां फिट करने वाले चुनाव लडने के इच्छुकों के राजनीतिक समिकरण अब आरक्षण की नई स्थिति के चलते डावांडोल नजर आ रहे है. क्योंकि अब तक सर्वसाधारण प्रवर्ग के लिए रहने वाली सीटों में से कई सीटों पर ओबीसी संवर्ग का आरक्षण हो गया है. ऐसे में सर्वसाधारण प्रवर्ग के कई इच्छुकों को या तो अपना प्रभाग बदलना पडेगा या फिर चुनाव लडने की उम्मीद छोड देनी पडेगी. यहां विशेष उल्लेखनीय है कि मनपा चुनाव के लिए इससे पहले एससी, एसटी व महिला संवर्ग हेतु निकाले गए आरक्षण के ड्रा को ध्यान में रखते हुए यह आंकलन निकाला गया था कि आरक्षण की स्थिति के चलते कांग्रेस को चुनाव लडने में आसानी होगी. वहीं नई प्रभाग पध्दति व आरक्षण की स्थिति की वजह से भाजपा को कुछ मुश्किलों सामना करना पडेगा. वहीं अब ओबीसी आरक्षण को लेकर ड्रा निकाले जाने के बाद कांग्रेस के कई दिग्गज नेताओं के लिए चुनाव लडने का रास्ता और भी अधिक आसान हो गया है. वहीं भाजपा के कुछ चर्चित चेहरों को थोडा और मुश्किलों का सामना करना पड सकता है.
बता दें कि, बुधवारा प्रभाग में एक सीट एससी महिला, दूसरी सीट ओबीसी व तीसरी सीट सर्वसाधारण प्रवर्ग हेतु छूटी है. इस प्रभाग से विलास इंगोले लगातार छह बार चुनाव जीत चुके है और सातवें कार्यकाल के लिए उनका चुनावी मैदान में रहना तय है. आरक्षण की स्थिति के मद्देनजर माना जा रहा है कि, इस बार विलास इंगोले ओबीसी आरक्षित सीट से चुनाव लड सकते है. हालांकि यदि वे सर्वसाधारण वर्ग से भी चुनाव लडते है तो उनकी जीत इस प्रभाग में सुनिश्चित ही मानी जा रही है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि, अगर वे ओबीसी आरक्षित सीट से चुनाव लडते है तो सर्वसाधारण संवर्ग वाली सीट से प्रत्याशी कौन होगा. उल्लेखनीय है कि इससे पहले बुधवारा प्रभाग में कांग्रेस की ओर से सुनीता भेले पार्षद रही. किंतु अब यहां पर सर्वसाधारण संवर्ग हेतु उपलब्ध एकमात्र सीट पर महिला या पुरुष में से कोई भी चुनाव लड सकता है. ऐसे में माना जा रहा है कि शायद सुनीता भेले के स्थान पर इस बार उनके पति राजु उर्फ मनोज भेले चुनाव लड सकते है या फिर खुद सुनीता भेले भी दुबारा उम्मीदवार हो सकती है, हालांकि इसकी संभावना थोडी कम ही दिखाई दे रही है.
उधर दूसरी ओर बिच्छु टेकडी प्रभाग में एक सीट एससी (महिला), दूसरी सीट सर्वसाधारण (महिला) तथा तीसरी सीट सर्वसाधारण प्रवर्ग के लिए छूटी है.
ऐसे में बिच्छु टेकडी प्रभाग की सर्वसाधारण सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर पूर्व पार्षद एवं कांग्रेस के शहराध्यक्ष बबलू शेखावत का नाम अभी से क्लिअर माना जा रहा है. जिनके साथ कांग्रेस के पैनल में एससी व सर्वसाधारण प्रवर्ग की दो महिलाएं रहेगी. यहां पर बबलू शेखावत को दावेदारी के मामले में पार्टी के भीतर से किसी प्रतिस्पर्धा का सामना नहीं करना पडेगा. साथ ही साथ बबलू शेखावत के खिलाफ दमदार प्रत्याशी देने के लिए भाजपा सहित अन्य दलों को काफी विचार-विमर्श करना होगा. इसके अलावा रुख्मिणी नगर प्रभाग में एक सीट एससी (महिला), दूसरी सीट ओबीसी तथा तीसरी सीट सर्वसाधारण (महिला) के लिए छूटी है. ऐसे में रुख्मिणी नगर प्रभाग से कांग्रेस के पूर्व पार्षद रहने वाले और ओबीसी संवर्ग से वास्ता रखने वाले प्रदीप उर्फ बंडू हिवसे का रास्ता अभी से आसान दिखाई दे रहा है और उन्हें भी पार्टी के भीतर से या किसी अन्य दल से किसी सशक्त प्रतिस्पर्धी का सामना शायद ही करना पडे. इसके अलावा महेंद्र कॉलोनी में एक सीट ओबीसी, दूसरी सीट सर्वसाधारण (महिला) व तीसरी सीट सर्वसाधारण प्रवर्ग के लिए छूटी है. जहां पर ओबीसी संवर्ग से पूर्व पार्षद धिरज हिवसे की दावेदारी को अभी से तय और सशक्त माना जा रहा है. आरक्षण की लगभग यही स्थिति श्री संत गाडगे बाबा प्रभाग में भी है. जहां पर ओबीसी आरक्षित सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर बालू भुयार चुनाव लड सकते है. जिनकी दावेदारी को अभी से काफी मजबूत भी माना जा रहा हेै.
ओबीसी आरक्षण की वजह से बसपा के चेतन पवार और राकाँपा के अविनाश मार्डिकर को काफी तकलीफों का सामना करना पड सकता है. चेतन पवार पहले बेनोडा प्रभाग से चुनाव लडने की मानसिकता में थे. लेकिन वहां पर पहली सीट एससी, दूसरी सीट ओबीसी (महिला) व तीसरी सीट सर्वसाधारण (महिला) के लिए आरक्षित हुई है. ऐसे में चेतन पवार के लिए बेनोडा प्रभाग से चुनाव लडना संभव ही नहीं. जिसके चलते वे शायद अब किरण नगर प्रभाग से चुनाव लडने पर विचार करे. जहां पर पहली सीट ओबीसी, दूसरी सीट सर्वसाधारण (महिला) व तीसरी सीट सर्वसाधारण संवर्ग के लिए छूटी है. इसके साथ ही बेनोडा प्रभाग में अपना प्रभुत्व रखने वाले अविनाश मार्डिकर के लिये भी इस बार बेनोडा प्रभाग से चुनाव लडना संभव नहीं है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मार्डिकर अपने लिये कोई दूसरा प्रभाग ढुंढते है या ुफिर चुनाव लडना ही टालते है.
आरक्षण की स्थिति के चलते साईनगर प्रभाग में भी राजनीतिक समिकरण पहले से गडबडाया हुआ है. इस प्रभाग से इससे पहले भाजपा प्रत्याशी के तौर पर पूर्व महापौर चेतन गावंडे व मनपा के सभागृह नेता तुषार भारतीय चुनाव जीते थे, लेकिन इस बार इस प्रभाग की तीन में से दो सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित हुई है. जिसमें से एक सीट ओबीसी (महिला) व दूसरी सीट सर्वसाधारण (महिला) के लिए आरक्षित हुई है और तीसरी सीट सर्वसाधारण वर्ग के लिए छूटी है. यानी साईनगर प्रभाग में इसी एक सीट पर किसी पुरुष प्रत्याशी व्दारा चुनाव लडा जा सकता है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि, इस एक सीट पर तुषार भारतीय या चेतन गावंडे में से कौन चुनाव लडता है और किसे चुनाव लडने के लिए आसपास स्थित किसी अन्य प्रभाग का सहारा लेना पडता है.
आरक्षण की वजह से पश्चिम बडनेरा व पूर्व बडनेरा में भी बडी रोचक स्थिति है. इन दोनों प्रभागों की पहली सीट एससी, दूसरी सीट ओबीसी (महिला) व तीसरी सीट सर्वसाधारण (महिला) प्रवर्ग के लिए आरक्षित हुई है, यानी पूर्व व पश्चिमी बडनेरा की कुछ छह सीटों में से किसी भी सीट पर सर्वसाधारण एवं ओबीसी संवर्ग के पुरुष प्रत्याशी को चुनाव लडने का अवसर नहीं मिलेगा. ऐसे में यहां पर भी चुनाव लडने के इच्छुकों व्दारा अब तक तय किये गए राजनीतिक समीकरण गडबडाते नजर आ रहे है. इसके साथ ही नवसारी, नवोदय, विलास नगर, नवाथे, अंबापेठ व संत गाडगे बाबा प्रभाग सहित सराफा प्रभाग में आरक्षण की स्थिति के चलते भाजपा को प्रत्याशी तय करने में काफी समस्याओं व दिक्कतों का सामना करना पड सकता है. जिन्हें अब तक भाजपा का प्रभाव रहने वाले प्रभाग माना जाता था. लेकिन इस बार आरक्षण की वजह से सारी स्थितिया उलट-पुलट हो गई है.