* केंद्र ने भी की अनुदान राशि में कटौती
अमरावती/दि.12- शहर की पेयजलापूर्ति का काम सिंभोरा से अमरावती तपोवन तक बिछाई गई पाइप लाइन की अवधि खत्म हो जाने से नई पाइप लाइन का प्रस्ताव केंद्र शासन की अमृत-2 योजना के तहत तैयार किया गया है. किन्तु पता चला है कि मनपा ने एक बार फिर हाथ खींच लिए हैं. उसी प्रकार केंद्र सरकार ने भी योजना में अपना हिस्सा कम कर दिया है. जिससे 856 करोड़ के प्रकल्प को लेकर अनिश्चितता बनी है. अमरावती मंडल 10 अगस्त के अंक में इस प्रस्ताव के बारे में बता चुका है. यह प्रस्ताव राज्य की उच्चाधिकार समिति के पास प्रलंबित है. महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण ने नई लोहे की पाइपलाइन का प्रस्ताव तैयार किया है. 1994 में बिछाई गई सीमेंट पाइप लाइन की 30 वर्षों की अवधि पूर्ण हो गई है. वह अब पानी का प्रेशर कई बार सहन नहीं कर पाती. बर्स्ट हो रही है. जिससे अनेक बार कई दिनों तक शहर की जलापूर्ति खंडित हुई है.
* 114 करोड़ से मरम्मत
जलापूर्ति और अन्य जनसमस्याओं को लेकर प्रशासन से लड़ने भिड़ने वाले पूर्व नगरसेवक प्रमोद पांडे ने बताया कि अमृत-1 में पाइप लाइन मरम्मत, पानी टंकी निर्माण और अन्य कामोें के लिए 114 करोड़ रुपए की योजना बनाई गई. जिसमें 50 प्रतिशत राशि केंद्र ने दी. 25 प्रतिशत राज्य सरकार ने वहन की. किन्तु मनपा द्वारा दिया जाने वाला 25 प्रतिशत का हिस्सा मनपा ने नहीं दिया. जिससे जीवन प्राधिकरण को वह भार उठाना पड़ा. मजीप्रा ने अमृत-1 अंतर्गत कार्य पूर्ण कर लिए हैं. शहर की अनेक पाइप लाइन की मरम्मत और टंकियों का निर्माण हुआ है. बाकी भी काम हुए हैं.
* 856 करोड़ का डीपीआर
अमृत-2 के तहत पाइप लाइन नये सिरे से बिछाना है. जिसका 856 करोड़ का डीपीआर बनाया गया है. मगर अब केंद्र ने अपना शेयर 50 ेसे घटाकर 37 प्रतिशत कर दिया है. जिससे राज्य पर 33 प्रतिशत और मनपा पर 30 प्रतिशत हिस्सा देने का भार बढ़ा है. स्थानीय निकाय पहले ही जलापूर्ति का जिम्मा लेने से बरसों से कतरा रही है. इस बार भी पता चला है कि मनपा ने अमृत-2 अंतर्गत योजना से हाथ खींच लिए हैं. 30 प्रतिशत राशि का प्रावधान नहीं कर पाने का पत्र मजीप्रा को दे देने की जानकारी है. जिससे प्रस्ताव राज्य शासन के पास अटकने की जानकारी सूत्र दे रहे हैं.
* 21 करोड़ खर्च का बोझ, वसूली नहीं होती
मजीप्रा का शहर को रोज 135 टीएलडी पानी पहुंचाने का कार्य बराबर जारी है. सूत्रों ने बताया कि इस पर लगभग 2 करोड़ 88 लाख रुपए का खर्च पानी को पीने लायक बनाने पर होता है. ऐसे ही बांध से पानी अमरावती तक पहुंचाने का सालाना करीब 18 करोड़ का बिजली बिल भी मजीप्रा को वहन करना पड़ रहा है.
* 391 करोड़ बकाया
सूत्रों ने बताया कि आम ग्राहकों पर पानी पट्टी के लगभग ढाई सौ करोड़ रुपए बकाये चल रहे हैं. यह राशि दिनोंदिन बढ़ती जा रही है. पानी जीवनावश्यक होने से मजीप्रा जल्दी कनेक्शन नहीं काटती. यदि वह भी बिजली कंपनी की तरह रुख अपनाए तो कदाचित वसूली का आंकड़ा बढ़ सकता है. बहरहाल पता चला है कि पानी सप्लाई बंद करने की जरा कोशिश करने पर पॉलिटिकल प्रेशर भी तेजी से आता है. मनपा पर भी मजीप्रा के 140 करोड़ रुपए बकाये होने और इस प्रकार कुल बकाया 391 करोड़ के पार हो जाने की जानकारी सूत्रों ने दी. गत जनवरी से मार्च दौरान मजीप्रा ने निजी एजंसी के जरिए वसूली का प्रयास किया था. वह विशेष सफल नहीं रहा. 12-15 करोड़ की वसूली मुश्किल से हो सकी. जन प्रतिनिधि पेयजल जैसी अत्यावश्यक सेवा रहने पर भी विशेष रुचि लेते नजर नहीं आते.