बायोमायनिंग ठेके को लेकर मनपा की मनमानी संदेह के घेरे में
पुराने प्रस्ताव का विखंडन किये बिना नया टेंडर किया गया कॉल
* मनमाने तरीके से नियम व शर्तें तय करते हुए सुपर गोल्ड कंपनी को दिया ठेका
* पहले निकॉल कंपनी ने 18 फीसद बिलो में उठाया था ठेका
* अब 8 फीसद बिलो में नई कंपनी को दिया गया ठेका
* प्रशासक के निर्णय से मनपा को होगा नुकसान
अमरावती/दि.15- विगत लंबे समय से अमरावती महानगरपालिका में बायोमायनिंग व घनकचरा व्यवस्थापन का विषय चर्चा में चल रहा है और इसके लेकर किसी समय राष्ट्रीय हरित लवाद ने अमरावती मनपा पर करोडों रूपयों का दंड भी लगाया था. जिसके बाद मनपा के तत्कालीन सदन में इसे लेकर गतिविधियां तेज हुई थी और प्रशासन ने बायोमायनिंग ठेके को लेकर प्रक्रिया तेज करते हुए अपनी ओर से एक प्रस्ताव स्थायी समिती के समक्ष मंजुरी हेतु भिजवाया था. जिसे स्थायी समिती के साथ-साथ आमसभा की भी मंजुरी मिल गई थी और निविदा प्रक्रिया में पात्र रही अलग-अलग कंपनियों में निकॉल नामक कंपनी को 18 फीसदी बिलो में बायोमायनिंग के काम का ठेका देना तय हो गया. परंतू इसके बाद मनपा के पदाधिकारी व सदस्यों का कार्यकाल खत्म हो गया और मनपा में प्रशासकराज शुरू हुआ. ऐसे में स्थायी समिती की बैठक में अनुपस्थित रहनेवाले एक सदस्य द्वारा उठाये गये आक्षेप के चलते मनपा प्रशासन ने बायोमायनिंग ठेके की पूरी प्रक्रिया को ही अपने मन से खारिज कर दिया और जीईएम पोर्टल पर नई निविदा प्रक्रिया जारी करते हुए बायोमायनिंग का ठेका बडे ही मनमाने ढंग से नांदेड स्थित सुपर गोल्ड कंपनी को दिया गया. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, जहां इससे पहले निकॉल कंपनी ने 18 फीसद बिलो में बायोमायनिंग के काम का ठेका लिया था, वहीं सुपर गोल्ड ने इस काम का ठेका 8 फीसद बिलो में लिया है. यानी मनपा को अब इस काम पर पहले की तुलना में अधिक पैसा खर्च करना होगा.
इस पूरे मामले को लेकर इस समय मनपा प्रशासन संदेह और सवालों के घेरे में घिरा हुआ नजर आ रहा है. सबसे बडा संदेह तो बायोमायनिंग के काम का ठेेका जीईएम पोर्टल के जरिये दिये जाने को लेकर है. इस पोर्टल के जरिये मनपा द्वारा अपनी जरूरत के लिहाज से वस्तुओं की खरीदी के लिए निविदाएं आमंत्रित की जाती है और यह पोर्टल बायोमायनिंग जैसे काम के ठेके के लिए नहीं है. लेकिन विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मनपा प्रशासन ने इसमें एक बडी ही शानदार चालाकी की. जिसके तहत बायोमायनिंग ठेके के काम के साथ-साथ बायोमायनिंगवाले स्थान पर हाईमास्ट लाईट व स्ट्रीट लाईट लगाने के काम को भी जोडा गया और इस ‘चिल्लर’ काम की आड लेकर बायोमायनिंग जैसे ‘होलसेल’ काम का ठेका मनमाने ढंग से अपनी पसंदवाली कंपनी को दे दिया गया.
सर्वाधिक हैरत इस बात को लेकर भी है कि, इससे पहले निकॉल नामक कंपनी को बायोमायनिंग का ठेका दिये जाने संबंधी प्रस्ताव खुद मनपा प्रशासन द्वारा स्थायी समिती के पास मंजुरी के लिए भेजा गया था. जिसे स्थायी समिती द्वारा अपनी मंजूरी भी दी गई. लेकिन इस मंजूर प्रस्ताव को विखंडित करने हेतु भेजे बिना ही मनपा प्रशासन ने मनमाने ढंग से उसी काम के ठेके हेतु नई प्रक्रिया शुरू की और जो कंपनी इससे पहले की निविदा प्रक्रिया में रेस से बाहर हो गई थी, उस कंपनी को इस बार बायोमायनिंग के काम का ठेका दिया गया.
मनपा के प्रशासनिक कामों पर अपनी नजर व पकड रखनेवाले सुत्रों के मुताबिक चूंकि इस समय मनपा में प्रशासक राज चल रहा है और प्रशासन के निर्णयों पर अंकुश या नियंत्रण रखने हेतु सभागृह व जनप्रतिनिधि अस्तित्व में नहीं है, इस बात का मनपा प्रशासन द्वारा पूरा फायदा उठाया जा रहा है.
* सांसद डॉ. बोंडे ने उठायी आपत्ति
– जांच समिती गठित करने के निर्देश
– 23 को दुबारा होगी बैठक
बता दें कि, गत रोज ही राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने मनपा मुख्यालय पहुंचकर विभिन्न विषयों को लेकर विभाग प्रमुखों के साथ बैठक की. इस बैठक के दौरान बायोमायनिंग के विषय को लेकर भी सांसद डॉ. बोंडे ने प्रशासन को जमकर आडे हाथ लिया और बायोमायनिंग ठेका दिये जाने को लेकर हुई गडबडी की जांच करने हेतु एक समिती गठीत करने का आदेश जारी किया. साथ ही सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने आगामी 23 जुलाई को एक बार फिर इस विषय को लेकर बैठक बुलाने की बात कही.
* ऑनलाईन बैठक की लिंक नहीं मिलने से हुआ था हंगामा
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, मनपा के सभागृह का कार्यकाल खत्म होते-होते बायोमायनिंग से संबंधित ठेके को मंजूरी देने हेतु स्थायी समिती की अंतिम बैठक ऑनलाईन तरीके से बुलाई गई थी. जिसमें कुछ सदस्य तो ऑफलाईन शामिल हुए थे. वहीं कुछ सदस्यों ने ऑनलाईन हिस्सा लिया था. लेकिन एक सदस्य को इस बैठक की लिंक ही नहीं मिल पायी. जिसके चलते वह सदस्य इस बैठक में ऑफलाईन तरीके से शामिल नहीं हो पाया और उस सदस्य ने इस बैठक की वैधता एवं बैठक में लिये गये फैसले पर सवाल खडा कर दिया. जिसके चलते प्रशासन ने स्थायी समिती की बैठक में मंजुर किये गये प्रस्ताव को खारिज करते हुए बायोमायनिंग के ठेके की निविदा हेतु नये सिरे से प्रक्रिया चलायी.