बिना किसी ठोस चर्चा के निपट गई मनपा की आमसभा
प्रोसेडिंग में गडबडी को लेकर विपक्ष ने मचाया हंगामा
* बायोमायनिंग तथा मल्टीयूटीलीटी वैन व शौचालय घोटाले के मामले भी रह गये स्थगित
अमरावती/दि.20- आज मनपा के विश्वरत्न डॉ. बाबासाहब आंबेडकर सभागार में मनपा के मौजूदा पदाधिकारियों व सदस्यों के कार्यकाल की संभवत: अंतिम आमसभा हुई. किंतु इस अंतिम आमसभा को लेकर मनपा के सत्ता पक्ष व विपक्ष में जो गंभीरता दिखाई देनी थी, उसका सर्वथा अभाव ही दिखाई दिया तथा विगत कुछ आमसभाओं की तरह यह आमसभा भी किसी ठोस नतीजे पर पहुंचे बिना आपसी गहमागहमी के साथ ही निपट गई. इस आमसभा के प्रारंभ में ही उस समय हंगामा मचा, जब पिछली आमसभा के कार्यवृत्तांत को सदन में मंजुरी के लिए पेश किया गया. इस समय नेता प्रतिपक्ष बबलु शेखावत तथा पूर्व महापौर व पार्षद विलास इंगोले एवं मिलींद चिमोटे ने इस बात को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज करायी कि, विगत आमसभा के दौरान उन्होंने जो कुछ कहा था, उससे प्रोसेडिंग में सही ढंग से दर्ज नहीं किया गया है और यह प्रोसेडिंग पूरी तरह से गलत है. विपक्षी पार्षर्दों का कहना रहा कि, सत्ता पक्ष ने जानबूझकर प्रोसेडिंग में छेडछाड व गडबडी करायी है. जिस पर पीठासीन सभापति व महापौर चेतन गावंडे ने विपक्ष को भरोसा दिलाया कि, आगामी आठ दिनों के भीतर नया प्रोसेडिंग बनाकर सभी सदस्योें को भेज दिया जायेगा.
इसके बाद 19 करोड रूपयों की लागत से साकार किये जानेवाले बायोमायनिंग प्रकल्प के विषय को उठाते हुए विपक्षी पदाधिकारियों ने दुबारा कहा कि, इस प्रकल्प पर मनपा का पैसा खर्च नहीं होना चाहिए, बल्कि इसके लिए राज्य सरकार से निधी मंजुर करायी जानी चाहिए. यह बात उन्होंने पिछली आमसभा में भी कही थी. जिसे प्रोसेडिंग में शामिल ही नहीं किया गया. इसी तरह विगत आमसभा के दौरान रेस्क्यू वैन की सही कीमत 15 दिन के भीतर बताने की बात खुद सत्ता पक्ष द्वारा कही गई थी. किंतु एक माह बाद हो रही आज की आमसभा में पेश किये गये प्रोसेडिंग में से उस पुरे विषय को ही उडा दिया गया. इसके अलावा विपक्ष ने शौचालय घोटाला मामले के संदर्भ में भी सत्ता पक्ष को जमकर आडे हाथ लिया. साथ ही यह जानना चाहा कि, जब खुद मनपा द्वारा दर्ज करायी गई शिकायत के आधार पर पुलिस द्वारा मामले की जांच की जा रही है, तो पुलिस जांच से संबंधित जानकारी मनपा को देने से कैसे मना कर सकती है. साथ ही इस बात पर भी विशेष जोर दिया गया कि, आखिर इस घोटाले में लिप्त और मनपा की तिजोरी से पैसा निकालनेवाले अधिकारियों व कर्मचारियों से घोटाले की रकम कब वसूल की जायेगी.
इस अंतिम आमसभा में जहां एक ओर विपक्ष काफी हद तक आक्रामक होता दिखा, वहीं दूसरी ओर सत्ता पक्ष सुरक्षित ढंग से बचावात्मक भूमिका में दिखाई दिया और जैसे-तैसे आमसभा की औपचारिक खानापूर्ति को पूर्ण करने का प्रयास भी करता दिखा. जिसके चलते महज ढाई घंटे तक आमसभा में कामकाज हुआ और अपरान्ह 1.30 बजे इस ऑनलाईन आमसभा का कामकाज खत्म कर दिया गया.
* पुतले का विषय हुआ ‘टांय-टांय फिस्स’
उल्लेखनीय है कि, विगत एक सप्ताह से अमरावती शहर में पुतलों को लेकर राजनीति जबर्दस्त ढंग से गरमायी हुई है और पुतले हटाये जाने की कार्रवाई को लेकर मनपा प्रशासन राजनीतिक दलों सहित कई नागरिकों का रोष झेल रहा है. ऐसे में बसपा गुट नेता चेतन पवार ने गत रोज यह दावा किया था कि, वे गुरूवार 20 जनवरी को होने जा रही मनपा की आमसभा में पूरी ताकत के साथ पुतलों का विषय उठायेंगे. जिसे लेकर पवार ने कुछ अखबारों में बडी-बडी खबरें भी प्रकाशित करवायी, ताकि माहौल बनाया जा सके. किंतु उम्मीद के मुताबिक आमसभा की कार्रवाई के दौरान चेतन पवार की ओर से यह विषय सदन में रखा ही नहीं गया और यह विषय मनपा की कार्यक्रम पत्रिका में भी शामिल नहीं था. ऐसे में इसे लेकर सदन में किसी तरह की कोई चर्चा होने की गुंजाईश भी नहीं थी. जिसकी वजह से चेतन पवार की ओर से पुतलों के प्रस्ताव को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से ‘टांय-टांय फिस्स’ साबित हो गया.
* कई प्रस्ताव पांच वर्ष से चर्चा का इंतजार ही करते रहे
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, फरवरी 2017 में मनपा का पिछला आमचुनाव हुआ था और 9 मार्च 2017 को मनपा के नवनिर्वाचित सदस्यों की पहली आमसभा हुई थी. उस समय नवनिर्वाचित सदस्यों में से कई सदस्यों ने कई प्रस्ताव आमसभा के समक्ष चर्चा हेतु रखे थे, किंतु हैरानी और हैरत की बात यह है कि, विगत पांच वर्ष के दौरान उसमें से अधिकांश प्रस्ताव अब भी मनपा की कार्यक्रम पत्रिका में बने हुए है, यानी उन प्रस्तावों को मनपा की प्रत्येक आमसभा की कार्यक्रम पत्रिका में शामिल तो किया जाता है, किंतु उन पर एक बार भी कोई चर्चा नहीं हुई और वे प्रस्ताव पांच वर्ष से प्रस्ताव ही बनकर रह गये. जिन पर अब तक कोई निर्णय ही नहीं हुआ. ऐसे में सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, शहर के विकास को लेकर बडे-बडे दावे व वादे करनेवाले मनपा के सत्ता पक्ष और विपक्ष द्वारा इन पांच वर्ष के दौरान आमसभाओं के जरिये क्या कामकाज किया गया. माना कि, विगत करीब पौने दो वर्षों के दौरान कोविड संक्रमण एवं लॉकडाउन की वजह से लंबे समय तक मनपा की आमसभाएं ही नहीं हुई और बाद में ऑनलाईन तरीके से आमसभाओं का आयोजन किया जाने लगा. साथ ही पिछली दो या तीन आमसभाएं ऑफलाईन तरीके से ही हुई. किंतु इन आमसभाओं में भी कोई सार्थक चर्चा नहीं की जा सकी और कोई ठोस निर्णय नहीं लिये जा सके, बल्कि पूरा समय आरोप-प्रत्यारोप और गहमा-गहमी में ही बीत गया. वहीं शुरूआती तीन साल के दौरान भी सबकुछ सामान्य रहते समय कई प्रस्ताव प्रलंबित ही पडे रहे.
* ऑनलाईन के खर्च को महंगी पडी आमसभा
बता दें कि, इस समय अमरावती मनपा पहले ही जबर्दस्त आर्थिक तंगी से जूझ रही है. वहीं ऑनलाईन तरीके से आमसभा का आयोजन करने के लिए मनपा को 45 से 50 हजार रूपये का खर्च करना पडता है. किंतु इन आमसभा के लिए इतना भारी-भरकम खर्च और तमाम तरह का तकनीकी तामझाम करने के बाद भी मनपा की कई ऑनलाईन आमसभाएं ऐसी भी रही, जो शुरू होते ही स्थगित कर दी गई. यानी आमसभा के आयोजन हेतु किया गया खर्च पूरी तरह से पानी में चला गया. इसे जनता द्वारा अदा किये जानेवाले टैक्स की खुली बर्बादी कहा जा सकता है. जिसे लेकर न तो सत्ता पक्ष गंभीर दिखाई दिया और न ही विपक्ष ने इसे लेकर कोई संजीदगी दिखाई. बल्कि इसकी बजाय सत्ता पक्ष व विपक्ष आपसी सिर-फुटव्वल में ही मगन रहे. जिसकी वजह से आम जनता के हितों की अनदेखी व शहर के विकास की ऐसी-तैसी होती रही. इसी का परिणाम रहा कि, विगत पांच वर्षों के दौरान मनपा की आय बढाने के प्रयास करना तो दूर, मनपा क्षेत्र में स्थित संपत्तियों का मूल्य निर्धारण यानी असेस्मेंट ही नहीं हुआ. इसकी वजह से पूरे पांच साल तक मनपा की तिजोरी में ठन-ठन गोपाल वाली स्थिति रही.