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मांत्रिक ने चार कुपोषित बच्चों की बचाई जान, भेजा अस्पताल

चिखलदरा/दि. 31- मेलघाट में कुपोषण रोकथाम के लिए उठाए गए विविध कदम और योजनाएं नाकाफी साबित हुई है. करोडो खर्च के बावजूद यह समस्या खत्म होने का नाम नहीं ले रही थी. कुपोषित बच्चों की जान बचाने स्वास्थ्य विभाग ने मांत्रिकों की मदद ली. मांत्रिक को यहां भूमका कहा जाता है.
* मार्गदर्शक सूचना तैयार
कुपोषित बालक की पहचान हेतु मार्गदर्शक सूचना बनाई गई है. लाल निशान के आधार पर तीव्र कुपोषित बच्चों को अस्पताल भेजना आवश्यक है. स्वास्थ्य विभाग की अपील पर भूमका ने 4 कुपोषित बच्चों को अस्पताल भिजवाया. जिससे इन बच्चों की जान बच गई. भूमका चन्नू भूरा भुसूम की इस कार्य की सराहना हो रही है. वह खडीमल के रहनेवाले है. चुर्णी में मांत्रिकों से स्वास्थ्य विभाग ने मदद की अपील की थी. उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया. कुपोषित बच्चों को अस्पताल लाने अपनाई गई यह नीति कारगर बताई जा रही है.
* कार्यशाला में हुए शामिल
परतवाडा की जीवन विकास संस्था ने गत सितंबर में मांत्रिकों की कार्यशाला आयोजित की थी. जिसमें खडीमल के चन्नू भूसुम भी सहभागी हुए. उस दौरान कुपोेषित बच्चों को पहचानने का प्रशिक्षण दिया गया था.
* बीमार बच्चा कम वजन का
कुपोषित बच्चों की पहचान हेतु आंगणवाडी में वजन, उंचाई नापने के लिए मशीन रहती है. बीमार होने पर बच्चे का वजन कम हो जाता है. बच्चों के स्वास्थ्य में थोडा सा सुधार होने के बाद अस्पताल भेजने की सलाह दी जाती है. जबकि मांत्रिक नाडी परीक्षण करके उसके मंत्र और पानी मारकर जडी बूटी देते है.

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