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मनु ने सदैव किया नारी का सम्मान

पाठ्यक्रम के श्लोक का गलत अर्थ निकाल कर विरोध

स्वामी गोविंददेव गिरि जी का कहना
वोट न देने वाले को दंड का प्रावधान होना चाहिए
अमरावती/दि.3- अयोध्या के श्री राम जन्मभूमि न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि जी ने स्पष्ट कहा कि मनु हो या सनातन धर्म. महिलाओं का कभी अपमान नहीं किया गया. शालेय शिक्षा में हाल ही में शामिल मनुस्मृति के श्लोक के बेजा अर्थ निकाल कर विरोध किया जा रहा है. श्लोक तो छोडिए विरोध करने वाले किसी ने भी मनुस्मृति पढी ही नहीं. बस सुनी-सुनाई बातों के सहारे विरोध करने पर तुल जाते हैं. भारत की सनातन संस्कृति पर आक्रमण के लिए इन लोगों को विदेशों से धन की मदद सदियों से प्राप्त होती आयी है. यही लोग विरोध करते हैं. जबकि आज तो अरब देश भी भारत की सनातन संस्कृति का स्वागत करती है. वहां मंदिर और भारतीय संस्कृति के पर्वो को प्रोत्साहन मिल रहा है. स्वामी गोविंददेव जी रविवार संध्या शिलांगण रोड स्थित सीए आशीष हरकूट के निवास ‘रायगढ’ पर दैनिक अमरावती मंडल से बातचीत कर रहे थे. अयोध्या के राममंदिर से लेकर विविध मुद्दो और अपेक्षाओं के विषय में पूछी गयी जिज्ञासाओं का आचार्य श्री ने सप्रमाण शमन किया.
उन्होनें कहा कि मनु के जिस श्लोक का विरोध हो रहा है. उसमें नारियों के पीटने नहीं बल्कि रक्षा करने का उल्लेख है. श्लोक के अनुसार बाल्यावस्था में नारी की रक्षा का दायित्व पिता पर होता है. यौवनावस्था में यजमान पर और वृध्दावस्था में पुत्र पर. इतना ही श्लोक का अर्थ है. इसे शालाओं में पढाने पर कोई ऐतराज नहीं होना चाहिए.
आचार्य श्री ने राम राज्य की कल्पना को विषद किया. उन्होनें कहा कि संत ज्ञानेश्वर के पसायदान में राम राज्य की व्यवस्था कैसी होती है, इसका सुंदर एवं सटिक वर्णन है. भारत में ऐेसे राज्य की आशा अपेक्षा अधिकांश को है.
भौंकने के लिए विदेशी मदद
आचार्य श्री ने कहा कि भारत की संत महिमा और सनातन संस्कृति की परंपराओं पर आघात करने, इनके विरोध में बोलने, नैरेटिव सेट करने की कोशिश हेतु दूसरे देशों से धन और सभी प्रकार की सहायता दी जाती है. यह क्रम बरसों दशकों से चल रहा है. फिर भी भारत वर्ष और यहां की संस्कृति को आज विश्व के अग्रणी देश के मनीषी भी स्वीकार्य कर रहे हैं.
प्राण प्रतिष्ठा के गौरवमय क्षण, आनंदाश्रु
न्यास के यशस्वी कोषाध्यक्ष गोविंददेव गिरि जी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के सुखद क्षणों की और देश के राष्ट्रप्रमुख को अपने हाथों चरणामृत पिलाने की घटना की सुखद अनुभूति को बतलाया. उन्होनें कहा कि वह अत्यंत गरिमापूर्ण क्षण थे. चारों ओर जय-जयकार हो रही थी. मैं भी अभिभूत था कि राष्ट्रप्रमुख ने मुझे सात दिनों के उपवास को खंडित करने के लिए चरणामृत पिलाने का अनुरोध किया. यह पल वर्णनातीत रहे. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के लिए बतलाए गए नियमों, व्रत और संकल्प से कई अधिक उपवास और नियम का अनुपालन कर समस्त संत महात्माओं और मनीषियों को भी विस्मित कर दिया था. राष्ट्र प्रमुख के रुप में मोदी पर भारत वर्ष गौरव करता है.
मंदिर में उपर राम परिवार
राम मंदिर में राम लला के विराजमान होने पश्चात अभी भी दो ढाई वर्ष का कार्य शेष है. प्रथम मंजिल पर राम परिवार स्थापित होगा. उसी प्रकार परिसर में 6 और मंदिर होंगे, जिनमें विष्णु पंचायतन, गणेश जी, शिवजी, जगदंबा और हनुमान जी का देवालय का समावेश है. उसी प्रकार जहां राम रसोई थी वहां अन्नपूर्णा देवी का मंदिर बनेगा. महर्षी वशिष्ठ, विश्वामित्र, अगस्त्य, निषादराज, शबरी और विभिषण के भी मंदिर बनाए जा रहे है. यज्ञशाला और उत्सव मंडप का प्लान में समावेश है.
मथुरा के मंदिर को लेकर दस्तावेज प्रस्तुत
काशी और मथुरा के मंदिरों के बारे में पूछे जाने पर आचार्यश्री ने कहा कि मथुरा के संदर्भ में कागजात प्रस्तुत हो गए है. कोर्ट ने भी मान्य कर लिया है. ऐसे ही काशी के बारे में भी दावा सही सिध्द हुआ है. दोनों ही स्थानों पर मंदिरों के लिए सर्वसम्मती पर बल दिया जा रहा है.

मतदान न करने पर शास्ती
पूज्य गोविंददेव जी ने एक बडी जिज्ञासा शांत करते हुए बताया कि शासन कर्ताओं को क्या करना है, सरकारे क्या करनी जा रही है. यह शासकीय प्रवक्ता बताएंगे. वे भारत के लाखों करोडों लोगों की यह अपेक्षा व्यक्त करना चाहते हैं कि मतदान न करने वाले व्यक्ति को दंडित किया जाए. दंड का कानून में प्रावधान होना चाहिए. पांच वर्ष में एक बार आपकों वोट देने का कष्ट करना है. वह आपका अधिकार ही नहीं कर्तव्य भी है. इस बात का सभी को भान होना चाहिए.

हिंदू साम्राज्य हो
हिंदू राष्ट्र के विषय में पूछी गयी जिज्ञासा पर भागवताचार्य ने बहुत स्पष्ट कहा कि हिंदू राष्ट्र तो भारत है ही. हिंदू साम्राज्य होना चाहिए. यह कैसा होता है, सभी के लिए एक जैसे कानून और अन्य बाते रहनी चाहिए. संत ज्ञानेश्वर रचित पसायदान में राम राज्य को अधोरेखित किया गया है. स्वामी जी से वार्तालाप दौरान प.देवदत्त शर्मा, प्राचार्य अरविंद देशमुख, सीए आशीष हरकूट और अनेक गणमान्य की उपस्थिती रही.

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