अमरावती

बिना फिटनेस के भी सडकों पर दौड रही कई बसें

हादसा होने पर नहीं मिलता कोई बीमा या मुआवजा

अमरावती/दि.6– किसी भी निजी वाहन अथवा सरकारी बस में यात्रा करते समय उस वाहन का फिटनेस सर्टिफिकेट है अथवा नहीं, इसकी और अमूमन कोई भी यात्री ध्यान नहीं देता. परंतु यदि ऐसे वाहन के साथ किसी तरह का कोई हादसा घटित होता है तो, वाहन मालिक को किसी भी तरह का बीमा और हादसे में मृत अथवा घायल होने वाले किसी भी यात्री को किसी भी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिलता. ऐसे में यह बेहद जरुरी है कि किसी भी निजी वाहन अथवा सरकारी बस से यात्रा करते समय यात्रियों व्दारा उसके फिटनेस प्रमाणपत्र को देख लिया जाए, अन्यथा यह अनेदखी भारी भी पड सकती है.
उल्लेखनीय है कि यात्री ढुलाई व माल ढुलाई करने वाले सभी तरह के वाहनों के लिए फिटनेस प्रमाणपत्र अनिवार्य किया गया है. इस संदर्भ में प्रादेशिक परिवहन अधिकारी कार्यालय व्दारा समय-समय पर आवश्यक निर्देश दिए जाते है और इस संदर्भ में संबंधितों के साथ बैठक भी की जाती है. ताकि सभी तरह के वाहन चालकों व मालिकों को वाहन का फिटनेस कितना महत्वपूर्ण है यह बताया जा सके. फिटनेस प्रमाणपत्र नहीं रहने पर हादसे की स्थिति में यात्रियों को किसी भी तरह की कोई सहायता नहीं मिलती. साथ ही वाहन को होने वाले वाहन को भी नुकसान की क्षतिपूर्ति नहीं हो पाती है. ऐसे में प्रादेशिक परिवहन विभाग के जरिए सभी तरह के वाहनों का फिटनेस प्रमाणपत्र तय समयावधि के भीतर प्राप्त किया जाना चाहिए.

* 30 जून तक फिटनेस जांच अभियान
आरटीओ व्दारा विगत 16 मई से समूचे जिलें में निजी वाहनोें तथा लंबी दूरी वाली बसों की जांच शुरु की गई है. साथ ही जल्द ही स्कूल बसों को भी जांचने का काम शुरु किया जाएगा. यह अभियान 30 जून तक चलेगा, इस आशय की जानकारी प्रादेशिक परिवहन अधिकारी रामभाउ गित्ते व्दारा दी गई है.

* प्रत्येक स्कूल बस के लिए भी फिटनेस सर्टिफिकेट जरुरी
विद्यार्थियों को स्कूल लाने ले जाने का काम करने वाली स्कूल बसें यद्यपि उपर से काफी ‘टिपटॉप’ दिखाई देती है. लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं होता कि वे स्कूल बसें पूरी तरह से चुस्त दुुरुस्त भी हैं. ऐसे स्कूल बसों का फिटनेस जांचने हेतु गाडी के इंडिकेटर, इंजिन व चेसिस के साथ भी अन्य कई बातों की जांच करनी पडती है. यदि इनमें किसी भी तरह की कोई गडबडी रहती है तो, हादसा घटित होने की संभावना अधिक रहती है. जिसके चलते प्रत्येक स्कूल बस की फिटनेस को जांचने का आदेश जारी किया गया है.

* जिले में 378 बसें
जिले के 8 आगारों में 378 एसटी बसे हैं. इन बसों का फिटनेस प्रमाणपत्र खत्म होने से 8-10 दिन पहले ही रापनी के यांत्रिकी विभाग व्दारा बसों को आरटीओ के पास फिटनेस जांच हेतु भेजा जाता है. विगत मई माह में ही रापनी की 42 बसों के फिटनेस सर्टिफिकेट की प्रक्रिया पूर्ण की गई.

* ‘एम परिवहन’ एप पर देखें बसों का फिटनेस
प्रादेशिक परिवहन विभाग के ‘एम परिवहन’ एप पर अनफिट बसों की जानकारी को डाला जाएगा. जिसके लिए फिलहाल ऐसी बसों की जानकारी को संकलित किया जा रहा है. ऐसे में किसी भी बस से यात्रा करते समय यात्री को उस बस का नंबर इस एप पर दर्ज करते ही पता चल जाएगा की उक्त बस का फिटनेस प्रमाणपत्र जारी हुआ है अथवा नहीं.

* दर्शनीय भाग में फिटनेस स्टीकर
इसके अलावा बस में जहां पर यात्री को आसानी से दिखाई दे, ऐसे दर्शनी हिस्सेे में एक स्टीकर लगाना भी अनिवार्य किया जा रहा है. इस स्टीकर पर इंशुरंस की कालावधि सहित फिटनेस सर्टिफिकेट परमीट व अन्य जानकारी भी दर्ज रहेगी. जिसके जरिए यह पता चलेगा कि बस की फिटनेस अवधि कब तक वैध है.

Related Articles

Back to top button