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तहसील कार्यालय में दस्त पंजीयन कराने ढेरों दिक्कतें

केवल एक कार्यालय के दम पर चल रहा पूरा कामकाज

* करीब 125 गांवों की संपत्तियोें के खरीदी-बिक्री का होता है व्यवहार
* पंजीयन कराने 15-15 दिनों का लगता है ‘टोकन’
अमरावती/दि.11– अमरावती मनपा क्षेत्र में रहनेवाली संपत्तियों की खरीदी-बिक्री हेतु जिलाधीश कार्यालय परिसर स्थित उपनिबंधक कार्यालय में जहां चार-चार पंजीयन कार्यालय कार्यरत है, वहीं मनपा क्षेत्र के अलावा अमरावती तहसील में शामिल करीब सवा सौ छोटे-बडे गांवों में स्थित जमीन-जायदाद की खरीदी-बिक्री का दस्त पंजीयन अमरावती तहसील कार्यालय में करना होता है, जहां पर केवल एक ही पंजीयन कार्यालय कार्यरत है. ऐसे में इस पंजीयन कार्यालय में हमेशा ही खरीदी-बिक्री के व्यवहारों का पंजीयन कराने हेतु लंबी-लंबी कतारे लगी रहती है और भीडभाड का आलम कुछ ऐसा होता है कि, यहां पर दस्त पंजीयन कराने हेतु आनेवाले नागरिकों को बाकायदा पंद्रह दिन बाद का समय देते हुए टोकन नंबर आवंटित किया जाता है. जिसकी वजह से तहसील के ग्रामीण क्षेत्र से वास्ता रखनेवाले नागरिकों को एक अदद पंजीयन कराने हेतु कम से कम दो से तीन चक्कर तहसील कार्यालय के मारने पडते है.
बता दें कि, स्थानीय अमरावती तहसील कार्यालय परिसर में बेहद सकरी सी जगह और महज एक छोटे से कमरे में तहसील क्षेत्र के लिए खरीदी-बिक्री का पंजीयन कार्यालय स्थित है. जहां पर पूरे तहसील क्षेत्र में होनेवाले प्लॉट व खेतों की जमीनों की खरीदी-बिक्री के व्यवहारों का पंजीयन होता है. अमरावती तहसील कार्यालय के कार्यक्षेत्र अंतर्गत अमरावती मनपा में शामिल होनेवाला शहरी क्षेत्र छोडकर तहसील का शेष इलाका आता है. जिसमें तहसील के करीब 120 से 125 गांवों का समावेश है. इन तहसील क्षेत्रोें की ज्यादातर जमीन कृषि भुमि है. वहीं इन दिनों रिहायशी क्षेत्रों का लगातार विस्तार हो रहा है. ऐसे में कृषि भुमि को अकृषक करने और वहां लेआउट डालने का काम काफी रफ्तार पकड चुका है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनों की खरीदी-बिक्री का सिलसिला इन दिनों काफी तेज है. यहां यह कहना अतिशयोक्ती नहीं होगा कि, शहरी क्षेत्र की तुलना में इस समय ग्रामीण क्षेत्रोें में खरीदी-बिक्री के व्यवहार कई गुना अधिक प्रमाण में हो रहे है. किंतु जहां एक ओर शहरी क्षेत्र के लिए उपनिबंधक कार्यालय में खरीदी-बिक्री के व्यवहारों का पंजीयन करने हेतु चार-चार केंद्र कार्यरत है. वहीं दूसरी ओर करीब सवा सौ गांवों की जमीनों का खरीदी-बिक्री का पंजीयन करने हेतु तहसील कार्यालय के उपनिबंधक कार्यालय में केवल एक ही केंद्र काम कर रहा है. ऐसे में इस कार्यालय का मनुष्यबल भी दस्त पंजीयन हेतु अपर्याप्त साबित हो रहा है. जिसके चलते यहां पंजीयन से संबंधित फाईलों का अंबार लगा रहता है और पुरानी फाईलें ही प्रलंबित रहने के चलते नये दस्त प्रस्तुत करनेवाले पक्षकारों को अगले 12 से 15 दिन बाद का नंबर देते हुए टोकन आवंटित किया जाता है. इसमें भी उसी दिन पंजीयन का कार्य पूरा हो जायेगा, यह तय नहीं होता, बल्कि यह इस बात पर निर्भर करता है कि, पुरानी फाईलों का निपटारा कब व कैसे होता है.
इस स्थिति के चलते जहां एक ओर तहसील क्षेत्र के ग्रामीण नागरिकों को अपनी जमीनों की खरीदी-बिक्री के व्यवहार को लेकर काफी तकलीफों का सामना करना पड रहा है, वहीं दूसरी ओर महज एक केंद्र रहने के चलते धीमी रफ्तार से पंजीयन का कार्य होने की वजह से सरकार को भी उसी धीमी रफ्तार से राजस्व मिल रहा है. यदि तहसील कार्यालय में दस्त पंजीयन हेतु केंद्रों की संख्या बढाई जाती है, तो निश्चित रूप से पंजीयन संबंधी कामों को गति मिलने के साथ-साथ सरकार को मिलनेवाले राजस्व में भी तेजी आयेगी.

* पंजीयन केंद्रों की संख्या बढाना हमारे हाथ में नहीं है, बल्कि इसके लिए आस्थापना व पदों को सरकार की ओर से मंजुरी मिलना आवश्यक है. यह सही है कि, पूरे तहसील क्षेत्र के लिए दस्त पंजीयन हेतु केवल एक केंद्र काफी हद तक अपर्याप्त है. किंतु उपलब्ध आस्थापना व मनुष्यबल के जरिये हम अपनी तमाम जिम्मेदारियों को समय पर पूरा करने का प्रयास कर रहे है.
– संतोष काकडे
तहसीलदार, अमरावती तहसील

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