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स्कायवॉक के मार्ग में अब भी कई बाधाएं

एक ही जमीन के लिए दो बार एनओसी मांग रहा सिडको

चिखलदरा/दि.4 – विगत लंबे समय से जहां एक ओर चिखलदरा में इंदौर की एक्वा पंप इंड्रस्ट्रीज द्वारा बनाए जा रहे स्कायवॉक का काम बंद पडा हुआ है. वहीं दूसरी ओर सिडको द्वारा इस मामले में कोई रास्ता निकालने की बजाय एक ही जमीन के लिए दो बार एनओसी मांगते हुए स्कायवॉक के निर्माण के रास्ते में बाधा पैदा की जा रही है. ऐसे में इस प्रकल्प का काम विगत करीब डेढ साल से बंद पडा है और अब दुबारा काम को शुरु करने के लिए कंपनी द्वारा विगत 6 माह से मूल कीमत में 20 फीसद बढोत्तरी की मांग की जा रही है. इस पर भी सिडको द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है. जिसके चलते उक्त कंपनी द्वारा कोर्ट में जाने की तैयारी की जा रही है. यदि ऐसा होता है. स्कायवॉक का काम लंबे समय तक अधर में लटका रह सकता है.
बता दें कि, विदर्भ के एकमात्र हिलस्टेशन चिखलदरा में दुनिया के तीसरे और एशिया के पहले स्कायवॉक बनाने का काम विगत लंबे समय से चल रहा है. परंतु इस काम के रास्ते में कई तरह की बाधाएं और दिक्कते लगातार आ रही है. अव्वल तो इस काम की देखरेख की जिम्मा रहने वाले सिडको के पास यहां पर कोई स्थायी अधिकारी नहीं है. सिडको (चिखलदरा) के मुख्य व्यवस्थापक जामनीकर करीब 6 माह पहले रिटायर हो गए. लेकिन उनके स्थान पर यहां कोई भी अधिकारी आने के लिए तैयार नहीं है. जिसके कारण सिडको ने प्लानिंग का अभाव दिखाई दे रहा है. यहीं वजह है कि, सिडको द्वारा एक ही जमीन की एनओसी दो बार मांगी जा रही है. स्कायवॉक के निर्माण के समय सिडको ने पुलिस वायरलेस सेंटर की कुछ जमीन केबलरोप लगाने के लिए मांगी थी. जिसके नहीं मिलने की वजह से स्कायवॉक का काम करीब 6 माह तक बंद रहा. पश्चात दैनिक अमरावती मंडल में इसे लेकर खबरे प्रकाशित होने पर तत्कालीन जिलाधीश शैलेश नवाल द्वारा की गई जांच में पता चला कि, नजूल की उक्त जमीन वर्ष 1980 में जिलाधीश द्वारा ही पुलिस वायरलेस विभाग को आवंटित की गई थी. परंतु 40 वर्ष बीत जाने के बावजूद पुलिस वायरलेस विभाग ने उक्त जमीन का अपेक्षित उद्देश्य के लिए प्रयोग नहीं किया था. जिसके चलते उक्त जमीन को जिलाधीश द्वारा अपने कब्जे में वापिस लिया जा सकता है. यह बात ध्यान में आते ही तत्कालीन जिलाधीश शैलेश नवाल ने उक्त जमीन को अपने कब्जे में वापिस लेने के साथ ही उक्त जमीन सिडको को आवंटित कर दी. जिसके बाद वहां पर केबलरोप लगाने का काम शुरु हो पाया.
ऐसी स्थिति सिडको द्वारा एक बार फिर पैदा कर दी गई है और पुलिस वायरलेस विभाग से ही दुबारा स्कायवॉक के प्रवेश हेतु जमीन मांगी गई है. जहां पर पहले ही वायरलेस सेंटर द्वारा कम्पाउंड वॉल का निर्माण किया जा रहा है. ऐसे में यह सवाल उपस्थित होता है कि, सिडको ने एक ही बार में वह जमीन क्यों नहीं मांगी और क्या सिडको के पास स्कायवॉक के निर्माण को लेकर कोई नियोजन नहीं है और सिडकों द्वारा स्कायवॉक के मामले में केवल टाइमपास ही किया जा रहा है. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि, सिडको के लचर कामकाज और नियोजनशुन्यता की वजह से स्कायवॉक का काम अधर में अटका पडा है.

 

 

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