अमरावती

कई लोकप्रिय योजनाओं पर चल सकती है कैंची

एसबीआई की रिपोर्ट पर लेना पड सकता है निर्णय

* राज्यों को खर्च कम करने बदलना होगा प्राधान्यक्रम
मुंबई/दि.21- देश के कई राज्य किसान कर्जमाफी जैसी लोकप्रिय योजनाओं पर बडे पैमाने पर पैसा खर्च कर रहे है. इसके साथ ही आगामी जून माह से राज्यों को केंद्र सरकार से वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी की ऐवज में मिलनेवाली भरपाई भी बंद हो जायेगी. ऐसी स्थिति में राज्यों को अपने पास होनेवाली राजस्व आय में से किस बात के लिए कितना खर्च करना है, इसका प्राधान्यक्रम नये सिरे से तय करना होगा. ऐसा एक रिपोर्ट में कहा गया है.
भारतीय स्टेट बैंक के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांती घोष ने यह रिपोर्ट पेश की है. जिसमें कहा गया है कि, कुछ मामलों में केंद्र सरकार से मिलनेवाला जीएसटी कर का राजस्व राज्य के कर राजस्व से एक पंचमांश से थोडा अधिक है और कई राज्यों द्वारा उनके होनेवाली राजस्व प्राप्ती में से कई तरह की नि:शुल्क योजनाओं पर पैसा खर्च कर रहे है, जो किसी भी लिहाज से योग्य नहीं है.

* इन राज्यों की स्थिति है उत्तम
महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, आसाम, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगना, पश्चिम बंगाल व गुजरात

* देश की तुलना में राज्यों का जीडीपी अधिक
– छह राज्यों में जीडीपी की तुलना में वित्तीय घाटा 4 फीसद से अधिक है. वहीं सात राज्यों में खर्च के मामले में अपनी बजट सीमा को पार कर लिया है.
– 11 राज्यों ने अपने वित्तीय घाटे को विगत आर्थिक वर्ष के दौरान अपने बजटिय आंकडों के बराबर या उससे कम रखने में सफलता हासिल की है. ऐसा भी इस रिपोर्ट में कहा गया है.

* राज्यों के पांव चादर से बाहर
यह स्पष्ट हो गया है कि, राज्यों द्वारा अब अपने पांव को चादर से बाहर निकाला जा रहा है. ऐसे में उनके लिये राजस्व प्राप्ती के अनुसार खर्च का प्राधान्यक्रम तय करना बेहद जरूरी है. कई राज्यों ने जीएसटी भरपाई योजना को और पांच वर्षों तक जारी रखने की मांग भी की है.
– सौम्या कांती घोष
मुख्य आर्थिक सलाहकार, एसबीआई

* क्या कहा है रिपोर्ट में
विकास के दृष्टिकोण को लेकर महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, आसाम, गुजरात, हरियाणा, राजस्थान, तेलंगना व पश्चिम बंगाल की आर्थिक वृध्दि देश की जीडीपी की तुलना में काफी अधिक है.

* कोरोना ने बिगाडा राज्यों का आर्थिक गणित
– कोविड संक्रमण की वैश्विक महामारी की वजह से राज्यों की आर्थिक स्थिति बिगड जाने की बात भी इस रिपोर्ट में कही गई है.
– 18 राज्यों के बजट का मूल्यांकन करने पर पाया गया कि, वर्ष 2021-22 में राज्यों के सकल देशांतर्गत उत्पादन के प्रतिशत के तौर पर औसत वित्तीय घाटा 0.50 फीसद से बढकर 4 फीसद से अधिक हो गया है.
– 35 फीसद पैसा तेलंगना राज्य द्वारा अपनी लोकप्रिय योजनाओं पर खर्च करता है. जिससे तेलंगना का अधिकांश राजस्व ऐसी योजनाओं पर खर्च हो जाता है.
– 5 से 19 फीसद तक राजस्व को लोकप्रिय योजनाओं पर खर्च करने का नियोजन राजस्थान, छत्तीसगढ, आंध्रप्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल व केरल राज्यों द्वारा तैयार किया जा रहा है. यदि राज्यों के खुद के राजस्व पर नजर डाली जाये, तो इन राज्यों द्वारा ऐसी योजनाओं पर करीब 63 फीसद रकम अपने राजस्व से खर्च की जायेगी.

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