* टोम्पे महाविद्यालय में मराठी भाषा गौरव दिन मनाया
चांदूर बाजार/दि.28-मराठी भाषा का इतिहास गौरवशाली है. मराठी भाषा की पहली पंक्ती का उल्लेख कर्नाटक राज्य के श्रवणबेलगोल में गोमटेेश्वर मंदिर परिसर में किया हुआ दिखाई देता है. मराठी साहित्य में प्राचीन मध्ययुगीन और अर्वाचन समय के कई संत, महंत, कवि, लेखकों ने मराठी भाषा को समृद्ध किया है. संत ज्ञानेश्वर ने मराठी भाषा को अमृत भाषा बताया है.
इसलिए महानुभाव संप्रदाय के चक्रधर स्वामी ने 12 वीं सदी में अपने शिष्यों को मराठी भाषा समृद्ध करने की बात कही थी. इसलिए मराठी ज्ञानभाषा बनें, यह बात मार्गदर्शक, इतिहास के अभ्यासक व कथा प्रवक्ता डॉ. ज्ञानेश्वर वारंगे ने कही.
स्थनीय गो. सी. टोम्पे कला, वाणिज्य व विज्ञान महाविद्यालय में मराठी विभाग द्वारा मराठी भाषा गौरव दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में वे बोल रहे थे. इस अवसर पर कार्यक्रम अध्यक्ष प्राचार्य डॉ. राजेंद्र रामटेके, प्रमुख अतिथि डॉ. लालबा दुमटकर, डॉ. जयंत बनसोड, डॉ. शशिकांत दुपारे, डॉ. प्रशांत सातपुते, डॉ. प्रवीण खोडे, डॉ. श्याम येवतीकर, प्रा. योगेश सुने, प्रा. प्रतीक्षा आवारे प्रमुखता से उपस्थित थे. सर्वप्रथम मान्यवरों के हाथों कविश्रेष्ठ कुसुमाग्रज की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. प्रस्तावना डॉ. लालबा दुमटकर ने रखी. इस अवसर पर मराठी विभाग की ओर से राज्य के विविध महाविद्यालय में निबंध स्पर्धा, वक्तृत्व स्पर्धा, वादविवाद स्पर्धा में प्राविण्य प्राप्त विद्यार्थियों का सत्कार किया गया. कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रियदर्शनी देशमुख ने किया. आभार प्रा. प्रतीक्षा आवारे ने माना. कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी प्राध्यापक, कर्मचारी, विद्यार्थी उपस्थित थे.