अमरावती

स्टेटस्-को मामले में आयुक्त के समक्ष मैराथॉन सुनवाई

फैसला सुरक्षित, जिप पदाधिकारियों व अधिकारियों की दिक्कते कायम

अमरावती/दि.15 – तीर्थक्षेत्र व ग्रामीण रास्तों के कामों का चयन करते समय उसमें प्राधान्य सूची का पालन नहीं किया गया. इस आशय का आरोप लगाते हुए दायर की गई याचिका पर विभागीय आयुक्त पीयूष सिंह ने जिला परिषद के 135 करोड रूपयों के कामों पर ‘जैसे-थे’ का आदेश जारी किया था. इसके संदर्भ में मंगलवार 14 दिसंबर को विभागीय आयुक्त कार्यालय में शिकायतकर्ता व जिप प्रशासन की मैराथॉन सुनवाई हुई और दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद विभागीय आयुक्त ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया. ऐसे में अब आयुक्त द्वारा इस विषय को लेकर क्या निर्णय लिया जाता है, इस ओर सभी का ध्यान लगा हुआ है.
बता दें कि, जिला परिषद प्रशासन द्वारा 30-54 व 50-54 लेखाशीर्ष अंतर्गत तीर्थक्षेत्र विकास व ग्रामीण रास्तों के निर्माण हेतु 135 करोड रूपयों के कामों का नियोजन किया गया था. जिसे लेकर सबसे पहले राज्यमंत्री बच्चु कडू द्वारा आपत्ति उठाई गई. साथ ही यह नियोजन नियमानुसार नहीं रहने की शिकायत करते हुए प्रहार के जिला परिषद सदस्य श्याम मसराम ने जिप प्रशासन को संभागीय आयुक्त के कोर्ट में खींचा. पश्चात विभागीय आयुक्त पीयूष सिंह ने इन कामों को लेकर ‘जैसे-थे’ का आदेश जारी किया और पहले 8 दिसंबर व बाद में 14 दिसंबर को इस मामले की सुनवाई रखी गई. जिसके अनुसार मंगलवार को विभागीय आयुक्त पीयूष सिंह के दालान में इस मामले को लेकर मैराथॉन सुनवाई चली. जिसमें दोनों पक्षों की ओर से युक्तिवाद किया गया. इस अवसर पर जिप प्रशासन की ओर से अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्रीराम कुलकर्णी तथा निर्माण विभाग के कार्यकारी अभियंता सुभाष वाठ ने पक्ष रखा. वहीं जिप के नेता प्रतिपक्ष रविंद्र मुंदे व जिप सदस्य श्याम मसराम ने भी अपने आरोपोें को लेकर युक्तिवाद किया. करीब डेढ घंटे तक चली सुनवाई में दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद विभागीय राजस्व आयुक्त ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा है. ऐसे में अब सभी की निगाहें इस ओर लगी हुई है कि, आयुक्त पीयुष सिहं द्वारा इस मामले में क्या फैसला सुनाया जाता है.

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