* साहित्य में कोई चढ़-उतार नहीं
* माला, रस्सी, बठाटी से लेकर बैलों के पैरों के घुंगरु तक सभी सामग्री बाजार में उपलब्ध
अमरावती/दि.11- पोला पर्व को महज तीन दिन शेष रहे हैं. ऐसे में बैलों की सजावट के सामान सहित बाजार सज गए है. इस वर्ष बैलों की साज सज्जा के सामान में कोई तेजी नहीं है. पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी इसी भाव में सभी साहित्य बाजार में उपलब्ध है. माला, रस्सी, बठाटी, पैरों के घुंगरु समेत झूल, चौरे, सीकगौडी आदि सामान बाजार में किसानों द्वारा खरीदा जा रहा है. किसानों की भीड़ बाजार में काफी है. बारिश जारी रहने से किसानों में इस पर्व को लेकर भारी उत्साह दिखाई दे रहा है.
इतवारा बाजार के पाटनवाला हार्डवेअर के संचालक हुसैनभाई और मोहम्मदभाई पाटनवाला ने अमरावती मंडल को बताया कि बाजार में पोला निमित्त बैलों की सजावट के लिए दोर (रस्सी), बोरका, बठाटी, माला, कांच बठाटी, सिकगौडी, घुंगरू, पैजप, एसन, गले में डालने का गेठा माठा, चौरे, झूल आदि सभी सामग्री उपलब्ध है. पोला निमित्त सभी किसान यह सभी साहित्य अपने बैलों को सजाने के लिए ले जाते हैं. बारिश के अभाव में शुरुआत में किसानों की चहल-पहल कम थी, लेकिन बारिश होने के कारण हर वर्ष की तरह किसानों की भीड़ बढ़ गई है. वैसे भी अब पोले को महज तीन दिन शेष रहे हैं. 14 सितंबर को पोला और 15 को तान्हा पोला है. जिले में अधिकांश किसानों के पास ट्रैक्टर की सुविधा रहने से बैलों की संख्या अब कम हो गई है. ऐसा बताते हुए हुसैनभाई ने कहा कि फिर भी पोले के समय बाजार में रौनक रहती है. पहले की तुलना में व्यापार कम हुआ है. लेकिन किसानों में इस पर्व को लेकर काफी उत्साह है. अमरावती में संपूर्ण जिले के किसान पोला निमित्त खरीददारी को आते हैं. हर बार की तरह सभी माल के भाव ‘जैसे थे…’ अवस्था में है.
लातूर, पंढरपुर व पिंजर से आता है माल
हुसैनभाई पाटणवाला ने बताया कि बैलों की साज-सज्जा का यह माल लातूर, पंढरपुर, अकोला जिले के पिंजर और अमरावती जिले के अचलपुर से आता है. अमरावती के बाजार में जिले के अलावा आसपास के अन्य जिलों के भी किसान खरीददारी को आते हैं. भले ही बैलों की संख्या कम हुई, लेकिन बारिश संतोषजनक होने से और फसल खेतों में लहलहाती रहने से किसानों में पोला निमित्त भारी उत्साह है और उनके चेहरे पर रौनक दिखाई दे रही है.
60 रुपए से लेकर 4 हजार तक साहित्य उपलब्ध
हुसैनभाई और मोहम्मदभाई पाटनवाला ने बताया कि बैलों का यह साहित्य 60 रुपए से लेकर 4 हजार रुपए तक प्रति जोड़ी बाजार में उपलब्ध है. किसान अपने मुताबिक इस साहित्य की खरीदी करते हैं. दिवाली की तरह पोले के अवसर पर भी किसान अपने बैलों की साज सज्जा के लिए खुले हाथ से खरीददारी करते हैं. पोले तक ही यह बाजार रहता है. तीन दिन शेष रहने से अब बाजारों में किसानों की चहल-पहल बढ़ी है.